दिव्यांग लवली को मिला अडानी का सहारा

अडानी फाउंडेशन ने लिया इलाज-पढ़ाई का जिम्मा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। लखीमपुर की आठ साल की दिव्यांग लवली को उद्योगपति गौतम अडानी ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। यह जानकारी अडानी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर दी है। बच्ची को यह सहारा अडानी फाउंडेशनकी ओर से मिला है। अब फाउंडेशन न सिर्फ लवली का समुचित इलाज कराएगा, बल्कि उसकी पढ़ाई की जिम्मेदार भी ले ली है। इससे लवली बेहद खुश है और वह कहती है कि अब वह ठीक होकर अन्य बच्चों की तरह गेंद खेलने लगेगी। गोला गोकर्णनाथ तहसील के दूरदराज के गांव कंधरापुर की मासूम लवली की कहानी बेहद दर्द भरी है।
वह महज सात महीने की थी, तभी उसकी मां किस्मती ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया। पिता धर्मवीर कुछ महीने बाद ही दूसरी शादी कर घर से अलग रहने लगा। लवली को उसके 65 वर्षीय बाबा ओमप्रकाश सिंह और दादी उर्मिला ने पाला पोसा, लेकिन वह कभी अपने पैरों पर ठीक से नहीं खड़ी हो पाई। अडानी फाउंडेशन की टीम ने कंधरापुर पहुंचकर अपने साथ लवली और उसके बाबा-दारी को शुक्रवार को लखनऊ लेकर रवाना हो गई है।

फेसबुक पर वायरल हुई थी वीडियो

इधर, फेसबुक पर लवली की दिव्यांगता का एक वीडियो और उसकी मार्मिक कहानी वायरल हुई, जिसे उद्योग जगत की शख्सियत गौतम अडानी ने देखा और वह द्रवित हो गए। उन्होंने लवली के इलाज और पढ़ाई का जिम्मा लेने की ठान ली। इस अडानी फाउंडेशन ने गांव आकर उसके बाबा-दादी से मिला और उन्हें पूरी जानकारी दी। लवली के बाबा-दादी यह जानकार बहुत खुश हैं।

गौतम अडानी ने ट्विट कर कहा- बेटी का बचपन यूं छिन जाना दुखद

गौतम अडानी ने एक्स पर कहा, एक बेटी का बचपन यूं छिन जाना दुखद है! छोटी-सी उम्र में लवली और उसके दादा-दादी का संघर्ष बताता है कि एक आम भारतीय परिवार कभी हार नहीं मानता। अडानी फाउंडेशन यह सुनिश्चित करेगा की लवली को बेहतर इलाज मिले और वो भी बाकी बच्चों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ सके। हम सब लवली के साथ हैं।

लवली का जन्म से ही बायां हाथ और पैर टेढ़ा है

लवली का जन्म से ही बायां हाथ और पैर टेढ़ा है, जिसके चलते उसे चलने-फिरने में परेशानी होती है। लवली के बाबा-दादी ने उसका काफी इलाज कराया, लेकिन वह ठीक नहीं हो सकी। लवली तीन साल की हुई तो गांव के सरकारी स्कूल में दाखिला भी करा दिया। अब वह पांचवी कक्षा की छात्रा है और पढ़ाई में खूब मन लगाती है। बाबा ओमप्रकाश सिंह कहते हैं उनकी मंशा पोती को पढ़ा लिखाकर बड़ा अफसर बनाने की है।

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