क्या हमेशा कम प्लेटलेट्स काउंट खतरे की निशानी है? जानिए एक्सपर्ट्स की राय
शरीर में प्लेटलेट्स यानी रक्त कणिकाएं खून बहने से रोकने और घाव भरने में अहम भूमिका निभाती हैं। जब शरीर में कंही चोट लगती है,

4पीएम न्यूज नेटवर्क: शरीर में प्लेटलेट्स यानी रक्त कणिकाएं खून बहने से रोकने और घाव भरने में अहम भूमिका निभाती हैं। जब शरीर में कंही चोट लगती है, तो प्लेटलेट्स उस जगह सक्रिय होकर खून के बहाव को रोकते हैं और क्लॅाटिंग की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं।
आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति में इनका स्तर 1.5 लाख से 4.5 लाख प्रति माइक्रो लीटर के बीच होता है. लेकिन कुछ लोगों में ये हमेशा 1 से डेढ़ लाख के बीच ही रहता है. ऐसे लोग अगर कभी अपनी जांच कराते हैं तो वह घबरा जाते हैं. मन में आता है कि ये कोई बीमारी तो नहीं? यहां तक की ब्लड कैंसर तक समझ लेते हैं, लेकिन वाकई ये हमेशा खतरे की बात है?
प्लेटलेट्स का लेवल कितना होना जरूरी है. इनका काम क्या है और कुछ लोगों में ये 1 से डेढ़ लाख के बीच क्यों रहता है. ऐसे कई सवालों का जवाब एक्सपर्ट्स से जानेंगे, लेकिन पहले जान लेते हैं कि प्लेटसेट्स शरीर में क्या काम करते हैं.
प्लेटलेट्स शरीर की बोन मैरो ( अस्थि मज्जा) में छोटे-छोटे सेल्स होते हैं. ये खून का थक्का बनाने में मदद करते हैं. इसका मतलब कि जब भी कभी शरीर में कहीं चोट लग जाती है तो प्लेटलेट्स उस वक्त खून को बहने से रोकते हैं. शरीर में इनका काम इतना महत्वपूर्ण है कि इनकी संख्या अगर तय मानक ( 20 से 30 हजार) से कम हो जाए तो व्यक्ति की मौत तक का खतरा रहता है.
कुछ लोगों में जन्म से ही प्लेटलेट्स की संख्या एक से डेढ़ लाख के बीच हो सकती है. मेडिकल की भाषा में इसको
Constitutional Thrombocytopenia कहा जाता है. ऐसे लोगों में सालों तक यही काउंट मेंटेन रहता है. लेकिन इससे कोई खतरा नहीं होता है.
इन लोगों के शरीर में प्लेटलेट्स के फंक्शन भी नॉर्मल रहते हैं और ये बोन मैरो की किसी बीमारी का संकेत भी नहीं होता है.इन लोगों के प्लेटलेट्स अच्छी क्वालिटी वाले होते हैं और खून जमाने का काम ठीक से करते हैं. हां, लेकिन अगर इनका लेवल 1 लाख से कम है और इसके साथ ही हिमोग्लोबिन और टीएलसी भी कम है तो फिर देखना पड़ता है कि मरीज को कोई गंभीर बीमारी तो नहीं है. इस दौरान मरीज की फिर कुछ दिन में जांच की जाती है और अगर लेवल एक लाख से लगातार नीचे जा रहा है तो फिर उसको इलाज की जरूरत होती है.
डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड और चिकनगुनिया की होती है जांच
प्लेटेलेट्स अगर 1 लाख से नीचे है और इनका लेवल बढ़ नहीं रहा है तो सबसे पहले इंफेक्शन की जांच होती है. देखा जाता है कि व्यक्ति को डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड और चिकनगुनिया तो नहीं है. अगर इनमें से कोई भी एक बीमारी है तो उससे कारण ये कम हो सकती हैं, लेकिन इस तरह का कोई इंफेक्शन नहीं है और फिर भी प्लेटलेट्स कम है तो फिर इसकी जांच करनी पड़ती है. ऐसे मामलों में ब्लड कैंसर का भी रिस्क हो सकता है.


