बिहार में डोमिसाइल नीति लागू
तेजस्वी बोले- यह हमारी बड़ी जीत है

- राजद ने बनाया था इस बार के चुनाव में इसे मुख्य मुद्दा
- अब शिक्षक बहाली में राज्य के निवासियों का होगा फायदा : नीतीश कुमार
- लंबे समय से इस नीति को लागू करने की आम बिहारी कर रहा था मांग
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार में सीएम नीतीश ने डोमिसाइल नीति लागू कर एक बड़ा चुनावी दांव चल दिया है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक और लोकलुभावन कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकारी शिक्षकों की भर्ती में डोमिसाइल नीति की घोषणा कर बड़ा चुनावी दांव खेल दिया है। इससे पहले भी नीतीश ने कई ऐलान किये हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि जहां तक डोमिसाइल की बात है हमने इस बात को पहले ही कहा था कि जब हमारी सरकार आएगी तो हम इसे लागू करेंगे। यह सरकार वही कर रही है जो तेजस्वी कह रहा है। आने वाले दिनों में आप देखना कि वे माई बहन मान योजना की भी कॉपी करेंगे।
उनके पास अपना कोई विजन या रोडमैप नहीं है। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं को साधने के लिए ये बड़ा चुनावी दांव चला है। मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि टीआई 4 और 5 में अब डोमिसाइल नियम लागू किया जाएगा। यानी अब केवल बिहार के स्थायी निवासी ही इस परीक्षा में भाग लेने के पात्र होंगे। मुख्यमंत्री का कहना था कि राज्य के युवा काफी समय से इस मांग को लेकर आंदोलनरत थे और अब सरकार ने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए ये निर्णय लिया है। नीतीश के इस फैसले पर प्रशांत किशोर ने कहा कि यह लोकतंत्र की जीत है जनता की जीत है। उन्होंने सीएम नीतीश पर करारा हमला बोला और कहा 20 साल में इन्होंने कुछ नहीं किया डोमिसाइल के लिए छात्र संघर्ष कर रहे थे। जब इन्होंने देख लिया है कि जनता ने उन्हें हटाने का मन बना लिया है तो अब डोमिसाइल नीति लागू कर रहे हैं। अब बिहार में डोमिसाइल लागू करने से जनता भ्रम में आने वाली नहीं है।
डोमिसाइल नीति क्या है, किसे होगा फायदा?
इस नीति के लागू होने के बाद जो भी संबधित राज्य का वोटर होगा, वो ही नौकरियों के लिए भर्ती में अप्लाई कर पाएगा। केवल वही अभ्यर्थी राज्य में होने वाली परीक्षा में बैठ सकेंगे, जो बिहार के मूल निवासी हैं और जिनके पास वैध डोमिसाइल सर्टिफिकेट होगा। किसी राज्य में किसी भी विभाग में नौकरी के लिए भर्ती प्रक्रिया में डोमिसाइल नीति लागू होने का मतलब है कि इस भर्ती में उस राज्य के लोग ही अप्लाई कर सकते हैं। नौकरी देने में सिर्फ उस राज्य के निवासियों को ही प्राथमिकता दी जाएगी। अगर अभिभावक उस राज्य के निवासी हैं तो बच्चों को, या शादी होने के बाद पति उस राज्य का निवासी है तो पत्नी को, या उस राज्य में अगर आपका स्थायी घर है, तो इस तरह की शर्तों को पूरा करने पर आप डोमिसाइल की कैटेगरी में शामिल हो सकते हैं। डोमिसाइल नीति लागू होने से तत्काल होने वाली शिक्षक भर्ती परीक्षा में बिहार के अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
बिहार में डोमिसाइल का मुद्दा नया नहीं
डोमिसाइल का मुद्दा बिहार के लिए नया नहीं है। यह पहले से ही नीतीश के लिए चुनावी मुद्दा रहा है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भी सीएम नीतीश कुमार ने डोमिसाइल नीति लागू करने का वादा किया था। लेकिन, जब जीत मिली और नीतीश की सरकार बनी तो सीएम नीतीश ने इसे लागू भी कर दिया। मगर ये लंबे समय तक नहीं रह पाया और ढाई साल बाद जुलाई 2023 में इसे खत्म भी कर दिया गया था। उस वक्त सरकार ने तर्क दिया था कि स्कूलों में मैथ्स और साइंस पढ़ाने के लिए अच्छे टीचर्स नहीं मिल रहे थे। डोमिसाइल नीति हटाने के बाद प्रदेश में लंबे समय तक छात्रों ने आंदोलन भी किया और विरोध प्रदर्शन के साथ नारा दिया गया था- ‘वोट दे बिहारी और नौकरी ले बाहरी, अब ये नहीं चलेगा।’ अब सीएम नीतीश का ये फैसला ऐसे समय में आया है, जब राज्य में चुनावी माहौल गरम है और विपक्ष लगातार सरकार पर रोजगार और शिक्षा के मोर्चे पर विफल रहने के आरोप लगा रहा है।
झांसे में नहीं आएंगे बिहारी: जदयू
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि सीएम नीतीश ने राज्यहित में डोमिसाइल नीति लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। हमने तो ये बड़ा फैसला बिहार के युवाओं के हित में लिया है लेकिन अब विपक्ष, खास कर राजद यह नजीर पेश करे कि हरियाणा से लाकर आप राज्यसभा में लोगों को नामित नहीं करेंगे ये लोग बिहार के कार्यकर्ताओं की हाक़मरी करते हैं। ऐसा करना कब बंद करेंगे।



