गर्मियों में डिहाइड्रेशन का खतरा अधिक, बचाव के लिए खूब पियें पानी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पूरे देश में इन दिनों भयंकर गर्मी और धूप का दौर जारी है। बढ़ रहा तापमान हमारी सेहत के लिए कई प्रकार से हानिकारक हो सकता है। इससे हीट स्ट्रोक और कुछ स्थितियों में आपातकालीन स्वास्थ्य समस्याओं का भी खतरा रहता है। डॉक्टर कहते हैं, गर्मी के दिनों में डिहाइड्रेशन होना बहुत आम है। डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी होने से लू लगने के साथ किडनी, पाचन सहित कई अंगों के लिए भी समस्याएं हो सकती हैं। गर्मी के कारण होने वाली बीमारियों का प्रमुख कारण शरीर में पानी की कमी होना है। यदि आपका पेट पानी या स्वस्थ तरल पदार्थों से भरा रहता है तो लू लगने या तापमान बढऩे के कारण होने वाली समस्याओं का जोखिम कम हो जाता है। गर्मी के दिनों में सभी लोगों को कम से कम 4 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए।

पानी के पर्याप्त मात्रा के संकेत

गर्मी से बचे रहने के लिए दिनभर अधिक से अधिक मात्रा में पानी या तरल चीजें पीते रहें। इसे आप क्रॉस चेक भी कर सकते हैं कि क्या आप पर्याप्त मात्रा में इसका सेवन कर रहे हैं या नहीं? यदि आपके शरीर में पानी की कमी नहीं है तो आपको हर दो से ढाई घंटे में पेशाब जाने की अनुभूति होती रहती है। साफ-स्पष्ट, पतला मूत्र अच्छा संकेत है कि आप अच्छी तरह से हाइड्रेटेड हैं। इसके अलावा यदि पेशाब के दौरान जलन नहीं होती, पसीने का उत्पादन सही तरीके से हो रहा है तो यह भी अच्छा संकेत है।

डिहाइड्रेशन के दुष्प्रभाव

लंबे समय तक या बार-बार डिहाइड्रेशन की समस्या होते रहना मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई), किडनी में पथरी और यहां तक कि किडनी फेलियर का भी कारण हो सकती है। निर्जलीकरण के कारण सिरदर्द भी हो सकता है। जब आप कम पानी पीते हैं तो पेशाब का उत्पादन भी कम होता है जिससे शरीर से अपशिष्ट निकल नहीं पाते हैं। ये समस्या कई प्रकार से गंभीर जोखिमों वाली मानी जाती है।

डिहाइड्रेशन के संकेत

शरीर में कहीं पानी की कमी तो नहीं है, सभी लोगों को इसका पता लगाते रहना भी आवश्यक है। कुछ सामान्य से लक्षणों के आधार पर इसकी पहचान की जा सकती है। इसमें आपके चेहरे-आंखों से संबंधित कई दिक्कतें हो सकती हैं। बार-बार प्यास लगना। गहरा पीला, तेज गंध वाला पेशाब होना। सामान्य से कम बार पेशाब जाना। चक्कर आना या कमजोरी महसूस करना। मुंह, होंठ और जीभ सूखा हुआ महसूस होना। आंखें में लालिमा, दर्द होना। त्वचा में रूखापन अधिक होना।

बचने के आयुर्वेदिक उपाय

सौंफ

कई बार डायरिया होने पर शरीर से इतनी अधिक मात्रा में पानी निकल जाता है कि मरीज डिहाइड्रेशन के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में सौंफ के बीज उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार सौंफ की तासीर ठंडी होती है और यह डायरिया के लिए जि़म्मेदार बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करती है जिससे डिहाइड्रेशन की समस्या से बचाव होता है।

तुलसी

तुलसी में बहुत अधिक औषधीय गुण होते हैं और इसी वजह से इसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपने देश में इस पौधे की पूजा भी की जाती है। डिहाइड्रेशन के कारण होने वाले पेट दर्द से आराम दिलाने में तुलसी की पत्तियां अहम भूमिका निभाती हैं। डिहाइड्रेशन होने पर यह शरीर के तापमान को ठंडा बनाये रखने में मदद करती हैं।

गिलोय जूस

अधिकतर मामलों में पाचन से जुड़े संक्रमण के कारण ही मरीज को डिहाइड्रेशन की समस्या होती है। ऐसे में गिलोय का जूस पीना काफी फायदेमंद होता है। इससे शरीर की इम्युनिटी पावर बढ़ती है और मरीज को जल्दी आराम मिलता है।

गन्ने का जूस

गन्ने के जूस में कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन जैसे ज़रुरी पोषक तत्व काफी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। डिहाइड्रेशन होने पर शरीर में इन पोषक तत्वों की बहुत कमी हो जाती है। गन्ने के जूस का सेवन करने से आपको ये सभी इलेक्ट्रोलाइट वापस मिल जाते हैं।

 

 

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