दुबई का अल मकतूम एयरपोर्ट होगा हाई-टेक, AI लाएगा विमान को गेट के और करीब

4पीएम न्यूज नेटवर्क: जैसा की आप जानते हैं दुबई दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे व्यस्त शहरों में से एक है। यहां हर साल लाखों लोग आते-जाते हैं।

हवाई यात्रा के लिए दुबई का मौजूदा हवाई अड्डा, दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बहुत व्यस्त है। लेकिन अब दुबई सरकार एक नया और विशाल हवाई अड्डा बना रही है – अल मकतूम इंटरनेशनल एयरपोर्ट। यह हवाई अड्डा इतना बड़ा होगा कि दुनिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बन जाएगा। इसकी खास बात यह है कि यहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल होगा। एआई से विमानों के गेट यानी बोर्डिंग पॉइंट यात्रियों के लिए ज्यादा करीब आ जाएंगे। इससे पैदल चलने की दूरी कम हो जाएगी। यात्रियों को थकान नहीं होगी और समय बचेगा।यह खबर हाल ही में आई है।

वहीं इसे लेकर दुबई एयरपोर्ट्स के चीफ एग्जीक्यूटिव पॉल ग्रिफिथ्स का कहना है कि एआई से गेटों को डायनामिक तरीके से बदला जाएगा। यानी कि, हर फ्लाइट के लिए गेट को यात्रियों की जरूरत के हिसाब से चुना जाएगा। अगर दो फ्लाइट्स के बीच ज्यादा कनेक्टिंग पैसेंजर हैं, तो उनके गेट एक-दूसरे के पास रखे जाएंगे। इससे ट्रांजिट टाइम कम होगा। यह योजना अल मकतूम हवाई अड्डे की विशालता को ध्यान में रखकर बनाई गई है। हवाई अड्डा 70 वर्ग किलोमीटर में फैला होगा, जो दुबई इंटरनेशनल से पांच गुना बड़ा है। यहां पांच समानांतर रनवे और 400 से ज्यादा विमान गेट .

लेख में हम इसी बारे में विस्तार से बात करेंगे। तो दोस्तोंहम इसे आसान शब्दों में समझाएंगे कि अल मकतूम हवाई अड्डा क्या है, एआई कैसे काम करेगा, पैदल चलना क्यों कम होगा, और यह दुबई की यात्रा को कैसे बदल देगा। हम इतिहास, तकनीक, फायदे, चुनौतियां और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करेंगे। तो बिना देर किये दोस्तों चलिए वीडियो को आगे बढ़ाते हैं।

अल मकतूम इंटरनेशनल एयरपोर्ट दुबई के जेबेल अली इलाके में है। यह दुबई साउथ का हिस्सा है, जो एक बड़ा प्लान्ड सिटी प्रोजेक्ट है। इसका निर्माण 2005 में शुरू हुआ था। शुरू में इसका नाम दुबई वर्ल्ड सेंट्रल था। 2010 में यह कार्गो फ्लाइट्स के लिए खुला। पैसेंजर फ्लाइट्स 2013 से शुरू हुईं। लेकिन अभी यह छोटा है। ज्यादातर कार्गो और कुछ कमर्शियल फ्लाइट्स चलती हैं। दुबई की ग्रोथ तेज है। हर साल पर्यटक, बिजनेस लोेग और निवासी बढ़ रहे हैं। दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट 100 मिलियन पैसेंजर्स को हैंडल करने की कगार पर है। लेकिन जगह कम पड़ रही है। शहर के बीच में होने से विस्तार मुश्किल है। इसलिए सरकार ने अल मकतूम को बड़ा बनाने का फैसला किया। अप्रैल 2024 में शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम, दुबई के शासक, ने नया मास्टर प्लान अप्रूव किया। इसमें 128 बिलियन दिरहम यानी लगभग 35 बिलियन डॉलर का निवेश होगा।

पहला फेज 2032 तक तैयार होगा, जिसमें 150 मिलियन पैसेंजर्स की क्षमता होगी। पूरा प्रोजेक्ट 2050 के बाद खत्म होगा, 260 मिलियन पैसेंजर्स और 12 मिलियन टन कार्गो हैंडल करेगा।यह प्रोजेक्ट दुबई को एविएशन कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड बनाएगा। यहां दो पैसेंजर टर्मिनल और सात कॉनकोर्स होंगे। कॉनकोर्स को अंडरग्राउंड ट्रेन से जोड़ा जाएगा। एआई और रोबोटिक्स से हर काम आसान होगा। यह सिर्फ एयरपोर्ट नहीं, बल्कि लॉजिस्टिक्स, रेसिडेंशियल और कमर्शियल हब होगा। आसपास 1 मिलियन लोगों के लिए घर बनेंगे।

एआई आखिर कैसे विमानों के गेट नजदीक लाएगा। पारंपरिक एयरपोर्ट्स में गेट फिक्स्ड होते हैं। हर एयरलाइन को अपना गेट मिलता है। लेकिन अल मकतूम में एआई डायनामिक अलोकेशन करेगा। मतलब, रीयल टाइम में बदलाव होगा। सवाल उठता है कि कैसे? एआई सिस्टम पैसेंजर्स का डेटा देखेगा। जैसे, कितने लोग कनेक्टिंग फ्लाइट लेंगे। अगर लंदन से आई फ्लाइट के 200 पैसेंजर न्यूयॉर्क जा रहे हैं, तो दोनों गेट एक-दूसरे के बगल में रखे जाएंगे। इससे पैदल दूरी 5-10 मिनट रह जाएगी, बजाय 20-30 मिनट के। एआई फ्लाइट शेड्यूल, पैसेंजर वॉल्यूम, बैगेज और मौसम को भी ध्यान में रखेगा।

यह टेक्नोलॉजी पहले से टेस्ट हो रही है। दुबई इंटरनेशनल में स्मार्ट गेट्स हैं, जहां फेशियल रिकग्निशन से इमिग्रेशन 6 सेकंड में हो जाता है। अल मकतूम में यह और एडवांस्ड होगा। यहां बॉर्डरलेस प्रोसेसिंग होगी – बायोमेट्रिक्स से चेक-इन, सिक्योरिटी और इमिग्रेशन बिना रुके।एआई सिर्फ गेट के लिए नहीं। यह बैगेज हैंडलिंग भी करेगा। रोबोट्स बैग उठाएंगे। ऑटोमेटेड पीपल मूवर ट्रेन पैसेंजर्स को कॉनकोर्स के बीच ले जाएंगी। इसके साथ ही एआई ट्रेन को कंट्रोल करेगा, पैसेंजर वॉल्यूम के हिसाब से। इससे भी पैदल चलना कम होगा।

अल मकतूम 70 वर्ग किलोमीटर में फैला होगा। दोस्तों फर्ज कीजिए, यह एक छोटे शहर जितना बड़ा। अगर पैदल चलना ज्यादा हो, तो पैसेंजर्स थक जाएंगे। खासकर परिवारों, बुजुर्गों और बच्चों के लिए। लंबी दूरी से समय बर्बाद होता है। स्टडीज दिखाती हैं कि औसत पैसेंजर 15-20 मिनट पैदल चलता है। अल मकतूम में डिजाइन “इंटिमेसी एट स्केल” है – बड़ा लेकिन आरामदायक।एआई से गेट करीब आने से वॉकिंग 50% कम हो जाएगी।

मिसाल के लिए मान लीजिये अगर दो फ्लाइट्स के बीच 500 कनेक्टिंग पैसेंजर हैं, एआई उन्हें साइड बाय साइड गेट देगा। साथ ही, अंडरग्राउंड ट्रेन 14 स्टेशन वाली होगी। यह 15-20 मिनट की दूरी को 5 मिनट में कवर करेगी। सीटेड कैरिज में आराम से सफर। एआई ट्रेन को रीयल टाइम में डायरेक्ट करेगा। इसके अलावा और फायदों की बात की जाए तो कम वॉकिंग से रिटेल एरिया में ज्यादा समय। पैसेंजर्स रिलैक्स्ड रहेंगे, शॉपिंग करेंगे। दुबई एयरपोर्ट्स का लक्ष्य है फ्रिक्शनलेस जर्नी। बिना रुके चलते रहें। बायोमेट्रिक सिग्नेचर से पूरा प्रोसेस।

वहीं AI के अन्य तकनी कों के बारे में बात की जाए तो ये भविष्य का एयरपोर्टएआई सिर्फ गेट के लिए नहीं। पूरा एयरपोर्ट स्मार्ट होगा। बायोमेट्रिक्स और स्मार्ट कॉरिडोर- पैसेंजर एंटर होते ही फेस स्कैन। चेक-इन, सिक्योरिटी बिना काउंटर। एक कॉरिडोर से 10 पैसेंजर एक साथ पास। अल मकतूम में eVTOL एयरक्राफ्ट लैंडिंग भी होगी। इसके अलावा रोबोटिक्स की बात करें तो रोबोट्स बैग कैरी करेंगे। बर्थडे रूम सर्विस, व्हीलचेयर असिस्ट। इमर्सिव एक्सपीरियंस – VR से वर्चुअल टूर। इसके अलावा सस्टेनेबिलिटी की बात करें तो एआई एनर्जी मैनेजमेंट करेगा। सोलर पैनल, LED लाइट्स। LEED गोल्ड सर्टिफिकेशन का लक्ष्य। कार्बन फुटप्रिंट कम। ये तकनीकें पैसेंजर सेंटर्ड हैं। दोस्तों दुबई का विजन ट्रैवल को सेलिब्रेट करना।

यह प्रोजेक्ट दुबई की इकोनॉमी को चमकाएगा। 260 मिलियन पैसेंजर्स से जॉब्स बढ़ेंगी – 1 मिलियन रेसिडेंट्स। लॉजिस्टिक्स हब बनेगा। कार्गो 12 मिलियन टन। ईस्ट-वेस्ट कनेक्शन मजबूत। वहीं बात करें टूरिज्म कि ज्यादा कनेक्टिविटी से पर्यटक आएंगे। रिटेल, ड्यूटी फ्री बड़ा। पैसेंजर्स ज्यादा समय शॉपिंग में बिताएंगे। ग्लोबल कॉम्पिटिशन अबू धाबी, दोहा, जेद्दा जैसे एयरपोर्ट्स से मुकाबला। अल मकतूम सबसे बड़ा बनेगा।

प्रोजेक्ट अगर इतना बड़ा है तो जाहिर है चुनौतियाँ भी बड़ी ही होंगी। कंस्ट्रक्शन में देरी हो सकती है। 2009 की इकोनॉमिक क्राइसिस और कोविड ने पहले रुकावट डाली। अब 35 बिलियन डॉलर का बजट फंडिंग जरूरी। पर्यावरण इतना बड़ा, प्रदूषण बढ़ सकता। लेकिन सस्टेनेबल डिजाइन से बैलेंस।ट्रांजिशन, 2032 में DXB से शिफ्ट। पुराने एयरपोर्ट को क्या करना? शायद म्यूजियम या छोटा हब।लेकिन दुबई की स्पीड से ये सॉल्व होंगी। कॉन्ट्रैक्ट्स अवॉर्ड हो चुके – सेकंड रनवे पर काम शुरू है। फर्ज कीजिये 2050। आप दुबई आते हैं। eVTOL से लैंड। फेस स्कैन से एंट्री। एआई गेट असाइन करता। 5 मिनट में बोर्डिंग। ट्रेन से कॉनकोर्स। रोबोट बैग देता। शॉपिंग, ईटिंग – सब आसान है ।

पैदल कम, आराम ज्यादा। यह ट्रैवल का नया युग होगा।दुबई का यह प्रोजेक्ट दुनिया को दिखाएगा कि टेक्नोलॉजी से यात्रा कितनी आसान हो सकती है। एआई से न सिर्फ गेट करीब, बल्कि पूरा अनुभव बेहतर। तप दोस्तों अल मकतूम हवाई अड्डा दुबई का सपना है। एआई से पैदल चलना कम, सुविधा ज्यादा। यह 260 मिलियन पैसेंजर्स का हब बनेगा। 2032 से शुरू, 2050 तक पूरा। आसान अल्फ़ाज़ों में बात करें तो, बड़ा एयरपोर्ट, स्मार्ट तरीके से। यात्रियों के लिए खुशी, दुबई के लिए गर्व।

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