यूपी में भी ईद की छुट्टी कैंसिल, भड़का मुस्लिम समाज, भयंकर बवाल!

हरियाणा के बाद अब यूपी में योगी बाबा के एक विभाग ने हिटलरी आदेश जारी करते हुए ईद की छुट्टी कैंसिल को कैंसिल कर दिया है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश में एक बार फिर योगी आदित्यनाथ सरकार अपने फैसलों को लेकर विवादों के घेरे में है…… इस बार मामला ईद की छुट्टी को रद्द करने का है…… जिसे लेकर विपक्ष ने बीजेपी और योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है….. जानकारी के मुताबिक योगी सरकार के एक विभाग ने अचानक यह हिटलरी फरमान जारी किया है कि…… इस साल ईद के मौके पर कोई आधिकारिक अवकाश नहीं होगा…… इस फैसले ने न केवल राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है…… बल्कि आम जनता…… और खासकर मुस्लिम समुदाय में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है….. विपक्ष इसे बीजेपी की ध्रुवीकरण की राजनीति का हिस्सा करार दे रहा है…… वहीं सत्ताधारी दल अपने इस कदम को प्रशासनिक सुधार का नाम दे रहा है…… लेकिन सवाल यह है कि क्या यह फैसला वाकई प्रशासनिक जरूरतों के लिए लिया गया है….. या इसके पीछे कोई गहरी सियासी मंशा छिपी है…..

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार पिछले आठ वर्षों से सत्ता में काबिज है…… और लगातार बड़े-बड़े दावे करती रही है….. बता दें कि डबल इंजन की सरकार का नारा देकर प्रदेश की जनता को विकास….. और सुशासन का सपना दिखाया गया…… लेकिन हकीकत में यह सपना कितना पूरा हुआ…… यह सवाल आज भी हर आम नागरिक के मन में उठ रहा  है….. हाल ही में बिजली विभाग ने ऐलान कर दिया कि प्रदेश के सभी बिजली कार्यालय 30 और 31 मार्च को खुले रहेंगे……. पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने यह निर्देश दिया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतिम दिनों में बिजली उपभोक्ताओं को कोई असुविधा न हो…… और कैश काउंटर सहित सभी सेवाएं सामान्य दिनों की तरह चलें…… यह कदम सुनने में भले ही राहत देने वाला लगे…… लेकिन बीजेपी की नीतियों और उनके कार्यों पर सवाल उठा रहा है…..

डॉ. आशीष कुमार गोयल ने शुक्रवार को शक्तिभवन में समीक्षा बैठक के दौरान यह निर्देश दिया कि 30 मार्च और 31 मार्च को भी बिजली कार्यालय खुले रहेंगे……. उन्होंने गर्मी के मद्देनजर एडवांस प्लानिंग करने और बिजली खरीद की कार्यवाही पूरी करने की बात भी कही…….. साथ ही, जहां मरम्मत के लिए मशीनें बंद हैं…….उन्हें तत्काल चालू करने का आदेश दिया…… यह सब सुनने में बहुत अच्छा लगता है……. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह व्यवस्था पहले से नहीं होनी चाहिए थी……. गर्मी हर साल आती है, बिजली की मांग हर साल बढ़ती है……. फिर हर बार आखिरी वक्त पर ऐसी बैठकें….. और निर्देश क्यों…… बीजेपी सरकार दावा करती है कि उसने बिजली आपूर्ति को बेहतर किया है……. लेकिन गांवों और छोटे शहरों में आज भी घंटों की बिजली कटौती आम बात है…….. क्या दो दिन कार्यालय खोलने से यह समस्या हल हो जाएगी…..

बीजेपी और उसके नेता, खासकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बार-बार कहते हैं कि उन्होंने उत्तर प्रदेश को बिजली संकट से मुक्त कर दिया है…… 24 घंटे बिजली का नारा दिया गया…… लेकिन क्या यह नारा सचमुच धरातल पर उतरा……. ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग बिजली के लिए तरसते हैं……… गर्मी के दिनों में बिजली कटौती से लोग परेशान रहते हैं…….. और ट्रांसफार्मर जलने की घटनाएं आम हो गई हैं……. शहरों में भी हालात बहुत बेहतर नहीं हैं…… बिजली बिलों में बेतहाशा वृद्धि ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है……. लेकिन आपूर्ति में सुधार की बजाय सिर्फ कागजी आंकड़े पेश किए जाते हैं……. ऐसे में, 30 और 31 मार्च को कार्यालय खोलने का फैसला क्या वास्तव में जनता को राहत देगा……. या यह सिर्फ वित्तीय वर्ष के आंकड़े सुधारने की कवायद है…….

आपको बता दें कि डॉ. गोयल ने गर्मी के लिए एडवांस प्लानिंग की बात कही…… लेकिन यह सवाल उठता है कि यह प्लानिंग पहले क्यों नहीं की गई…… मार्च का महीना खत्म होने को है…… और अब जाकर सरकार को गर्मी की याद आई…… बीजेपी सरकार पिछले आठ साल से सत्ता में है….. फिर भी हर साल गर्मी में बिजली संकट की खबरें क्यों सुर्खियों में रहती हैं…… क्या यह सरकार की नाकामी नहीं है कि बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के बजाय हर साल आखिरी वक्त पर हड़बड़ी में फैसले लिए जाते हैं…… बिजली उत्पादन बढ़ाने, ट्रांसमिशन लाइनों को दुरुस्त करने…… और नए बिजली संयंत्र स्थापित करने के दावे तो बहुत हुए…… लेकिन हकीकत में कितना काम हुआ…… यह जनता भली-भांति जानती है…..

वहीं बीजेपी सरकार पर हमेशा से यह आरोप लगता रहा है कि उसकी नीतियां आम जनता से ज्यादा बड़े उद्योगपतियों और पूंजीपतियों के हित में हैं…….. बिजली क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा देना इसका एक उदाहरण है……. निजी कंपनियों को बिजली वितरण का जिम्मा देने की बात हो रही है…… लेकिन क्या इससे आम उपभोक्ता को फायदा होगा…… आपको बता दें कि निजीकरण के बाद बिजली के दाम बढ़ते हैं…… और सेवा की गुणवत्ता में खास सुधार नहीं होता…… बीजेपी के शासन में बिजली बिलों में हुई बढ़ोतरी ने मध्यम वर्ग और गरीब तबके को परेशान कर दिया है….. ऐसे में दो दिन कार्यालय खोलने का फैसला जनता को राहत कम…… और सरकार की छवि चमकाने की कोशिश ज्यादा लगता है……

बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी कम नहीं हैं……. बिजली विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हैं……. मीटर रीडिंग में गड़बड़ी, बिना वजह के बढ़े हुए बिल, और अधिकारियों की लापरवाही की कहानियां हर घर में सुनने को मिलती हैं…. बीजेपी के नेता भले ही शून्य भ्रष्टाचार की बात करें……. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है…… वहीं अगर सरकार वास्तव में जनता की भलाई चाहती……. तो इन समस्याओं का स्थायी समाधान ढूंढा जाता……. इसके बजाय, छुट्टियों में कार्यालय खोलने जैसे कदम उठाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है…..

उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हाल के दिनों में कई मौकों पर जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा है……. लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी को राज्य में अपेक्षा से कम सीटें मिलीं……. जो यह दर्शाता है कि जनता के बीच असंतोष बढ़ रहा है……. बिजली, पानी, सड़क और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर सरकार का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है……… ऐसे में, 30 और 31 मार्च को बिजली कार्यालय खोलने का फैसला एक रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है…… बीजेपी शायद यह दिखाना चाहती है कि वह जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील है……. लेकिन क्या यह संवेदनशीलता सिर्फ दिखावे तक सीमित नहीं है…..

बीजेपी सरकार के आठ साल के शासन में बड़े-बड़े वादे तो बहुत हुए……. लेकिन उन वादों का ढोल पीटने के अलावा हकीकत में कितना काम हुआ…… यह जनता से छिपा नहीं है…..। बिजली कार्यालयों को दो दिन खोलना कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है…… बल्कि यह सरकार की नाकामी का प्रतीक है कि उसे आखिरी वक्त पर ऐसे कदम उठाने पड़ रहे हैं……. अगर बीजेपी वास्तव में जनता की भलाई चाहती है…….. तो उसे बुनियादी समस्याओं का स्थायी समाधान ढूंढना होगा…… नहीं तो 24 घंटे बिजली और सबका साथ, सबका विकास जैसे नारे सिर्फ हवा में गूंजते रह जाएंगे……. और जनता की नाराजगी का शोर इन नारों को दबा देगा….. और सत्ताईसे चुनाव में बीजेपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा देगा….

 

 

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