शिकायतों के बीच चुनाव आयोग ने उठाया ये बड़ा कदम

नई दिल्ली। चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव को लेकर सख्त है। इसी क्रम में आयोग ने अब चुनाव प्रचार में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए होर्डिंग सहित मुद्रित चुनाव संबंधी सामग्री पर मुद्रक और प्रकाशक की पहचान देने का निर्देश दिया है। चुनाव अधिकारी का कहना है कि यह फैसला नगर निगम के अधिकारियों के नियंत्रण वाले होर्डिंग स्थानों पर मुद्रक या प्रकाशक की पहचान के बिना होर्डिंग देखे जाने के बाद लिया गया।

आप ने भी उठाया था मुद्दा

आम आदमी पार्टी ने भी हाल में इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से संपर्क किया था। चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 127ए का हवाला दिया है। बता दें धारा 127ए मुद्रक और प्रकाशक का नाम और पता प्रदर्शित किए बिना चुनावी पर्चे, पोस्टर, तख्तियां या बैनर छापने या प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगाती है।

EC कही ये बात

आयोग द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि प्रकाशकों की पहचान होना इसलिए जरूरी है, क्योंकि कोई पैसा खर्च होता है तो उसकी जानकारी मिल सके। वहीं अगर चुनावी अभियान के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन पाया जाता है तो कार्रवाई की जा सके। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने हाल ही में इस बिंदु को उजागर करने के लिए एक दोहा भी पढ़ा था कि गलत सूचना पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। उन्होंने गलत सूचना को एक बुलबुला के रूप में वर्णित किया था जो छूने पर फट जाता है।

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