बढ़ रहा चुनावी कदाचार, उठो उखाड़ फेंको सरकार
लोकतंत्र की रक्षा के लिए कांग्रेस करेगी जनांदोलन, पार्टी की जनता से अपील- एकजुट होकर सरकार की गलत नीतियों को करें विरोध

पार्टी संविधान दिवस पर मनाएगी संविधान बचाओ दिवस
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 26 नवंबर को संविधान दिवस को संविधान बचाओ दिवस के रूप में मनाएगी, जिसका उद्देश्य लोकतांत्रिक संस्थाओं और संविधान की मूल भावना के समक्ष मौजूदा चुनौतियों को उजागर करना है। यह पहल देश में संवैधानिक नैतिकता और लोकतंत्र पर बढ़ते खतरों, जैसे चुनावी कदाचार और संस्थाओं के दुरुपयोग के प्रति कांग्रेस की चिंता को दर्शाती है।
पार्टी ने सभी राज्य इकाइयों को सेमिनार और संगोष्ठियों जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को इन खतरों से अवगत कराने और संविधान की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने का निर्देश दिया है। पार्टी ने कहा कि जिसमें व्यवस्थित रूप से वोटों की चोरी, चुनावी कदाचार, संस्थाओं का दुरुपयोग और मतदाता सूची को विकृत करने के संदिग्ध विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर)-चालित प्रयास शामिल हैं। ये कार्रवाइयाँ हमारी संवैधानिक नैतिकता और लोकतांत्रिक परंपराओं के मूल पर प्रहार करती हैं। कांगे्रस ने लोगों से एकजुट होकर सरकार की गलत नीतियों पर प्रहार करने की अपनी की। कांग्रेस ने सभी प्रदेश कांग्रेस समितियों से प्रत्येक जि़ला मुख्यालय पर गंभीरता, अनुशासन और अधिकतम भागीदारी के साथ कार्यक्रम आयोजित करने का आग्रह किया। सुझाई गई गतिविधियों में सेमिनार, संगोष्ठियाँ और चर्चाएँ शामिल हैं। संविधान दिवस, जिसे संविधान दिवस के रूप में भी जाना जाता है, 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को ऐतिहासिक रूप से अपनाने के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को मनाया जाता है, जो एक ऐसा मील का पत्थर था जिसने देश के लोकतांत्रिक शासन और कानून के शासन की नींव रखी।

राज्य इकाइयों को निर्देश
कांग्रेस ने अपनी सभी राज्य इकाइयों को निर्देश दिया है कि वे 26 नवंबर को देश भर के प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) कार्यालयों और जिला मुख्यालयों में संविधान बचाओ दिवस के रूप में मनाएँ। पत्र में, कांग्रेस ने इस अवसर के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संविधान दिवस के पावन अवसर पर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सभी प्रदेश कांग्रेस समितियों से आह्वान करती है कि वे 26 नवंबर को देश भर में संविधान बचाओ दिवस के रूप में मनाएँ। हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं और हमारे संविधान की मूल भावना के समक्ष अभूतपूर्व चुनौतियों को देखते हुए इस वर्ष का यह दिवस अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पूरा देश इस समय दबाव में
पार्टी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि संविधान में निहित मूलभूत मूल्य, जिनमें न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की सुरक्षा शामिल है, वर्तमान में स्पष्ट रूप से दबाव में हैं। पत्र में आगे इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि देश संवैधानिक नैतिकता और लोकतंत्र के लिए ख़तरा है। पत्र में कहा गया है कि देश संविधान पर बढ़ते हमले का गवाह बन रहा है, जिसमें व्यवस्थित रूप से वोटों की चोरी, चुनावी कदाचार, संस्थाओं का दुरुपयोग और मतदाता सूची को विकृत करने के संदिग्ध विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर)-चालित प्रयास शामिल हैं। ये कार्रवाइयाँ हमारी संवैधानिक नैतिकता और लोकतांत्रिक परंपराओं के मूल पर प्रहार करती हैं। इन ख़तरों को लोगों के सामने उजागर करना और संविधान, उसकी संस्थाओं और उसके मूल्यों की रक्षा के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
पश्चिम बंगाल सरकार व चुनाव आयोग जारी है तकरार
ममता का चुनाव आयोग को पत्र, डेटा एंट्री और वोटिंग केंद्रों के मुद्दे पर उठाया सवाल
भाजपा ने टीमएमसी को घेरा, बोली- दबाव बनाना चाह रहीं सीएम
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोव व टीएमसी सरकार में तकरार कम नहीं हो रही है। इनसबके बीच भाजपा भी ममता बनर्जी पर हमलावर है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) द्वारा डेटा एंट्री और सॉफ्टवेयर विकास कार्यों को आउटसोर्स करने के संदिग्ध प्रस्ताव (आरएफपी) पर गंभीर सवाल उठाए हैं, इसे निहित स्वार्थों की पूर्ति का प्रयास बताया है।
उन्होंने यह भी आपत्ति जताई कि निजी परिसरों में मतदान केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव से निष्पक्षता और स्थापित मानदंडों का उल्लंघन होता है, जो राजनीतिक दबाव की ओर इशारा करता है। भाजपा ने उनके आरोपों का तुरंत जवाब देते हुए तृणमूल पर चुनाव आयोग पर दबाव बनाने का आरोप लगाया। अपने पत्र में, बनर्जी ने कहा कि उन्हें यह जानने के बाद चुनाव आयोग से संपर्क करने के लिए विवश होना पड़ा कि सीईओ कार्यालय ने जिला चुनाव अधिकारियों (डीईओ) को एसआईआर से संबंधित गतिविधियों के लिए अपने मौजूदा संविदा डेटा एंट्री ऑपरेटरों या बांग्ला सहायता केंद्र (बीएसके) के कर्मचारियों का उपयोग न करने के लिए कहा है। इसके बजाय, उन्होंने बताया कि सीईओ ने एक वर्ष की अवधि के लिए 1,000 डेटा एंट्री ऑपरेटरों और 50 सॉफ्टवेयर डेवलपर्स को नियुक्त करने के लिए एक आरएफपी जारी किया है। ुख्यमंत्री ने पत्र में कहा, क्या यह कवायद किसी राजनीतिक दल के इशारे पर निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए की जा रही है? इस आरएफपी का समय और तरीका निश्चित रूप से जायज संदेह पैदा करता है। मुख्यमंत्री ने निजी आवासीय परिसरों के अंदर मतदान केंद्र स्थापित करने के कथित प्रस्ताव पर भी आपत्ति जताई और दावा किया कि ऐसे स्थान निष्पक्षता से समझौता करते हैं, स्थापित मानदंडों का उल्लंघन करते हैं तथा निवासियों और आम जनता के बीच भेदभावपूर्ण अंतर पैदा करते हैं। उन्होंने दावा किया कि सुगमता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए मतदान केन्द्र हमेशा सरकारी या अर्ध-सरकारी संस्थानों में स्थापित किए जाते हैं।
अनुभवी कर्मचारी को छोड़ बाहरी एजेंसी से लिया जा रहा है काम : ममता बनर्जी
बनर्जी ने सवाल उठाया कि जब जिला कार्यालयों में पहले से ही अनुभवी कर्मचारी उसी काम को संभाल रहे हैं तो बाहरी एजेंसी को क्यों लाया जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि एक ही काम को पूरे एक साल के लिए बाहरी एजेंसी से कराने की क्या जरूरत है, जबकि जिला कार्यालयों में पहले से ही ऐसे कार्यों के लिए पर्याप्त संख्या में सक्षम पेशेवर मौजूद हैं। उन्होंने कहा, परंपरागत रूप से, क्षेत्रीय कार्यालय हमेशा आवश्यकतानुसार अपने स्वयं के संविदात्मक डेटा एंट्री कर्मियों को नियुक्त करते रहे हैं। यदि तत्काल आवश्यकता हो, तो जिला कार्यालय अधिकारी स्वयं ऐसी नियुक्ति करने के लिए पूर्णत: सक्षम हैं। बनर्जी ने आश्चर्य व्यक्त किया कि सीईओ कार्यालय क्षेत्रीय कार्यालयों की ओर से यह भूमिका क्यों निभा रहा है।
सिर्फ सिंध नहीं पूरा पाकिस्तान लें: अल्वी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की सिंध से जुड़ी हालिया टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेतृत्व यह दावा करता है कि पड़ोसी देश कभी भारत का हिस्सा थे, तो यह चर्चा सिर्फ़ सिंध तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए।
एएनआई से बात करते हुए अल्वी ने कहा, सिर्फ़ सिंध ही क्यों? पूरे पाकिस्तान को ही लीजिए। जब आरएसएस प्रमुख बार-बार कहते हैं कि बांग्लादेश, अफग़़ानिस्तान और पाकिस्तान भारत का हिस्सा थे, तो फिर हम सिर्फ़ सिंध की ही बात क्यों करें? सेना को तैनात कीजिए और पाकिस्तान, अफग़़ानिस्तान और बांग्लादेश को भारत में शामिल कीजिए। अल्वी की यह टिप्पणी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की टिप्पणी के एक दिन बाद आई है, जिस पर राजनीतिक बहस छिड़ गई है और कई विपक्षी नेताओं ने प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कांग्रेस नेता ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके वैचारिक सहयोगियों पर भडक़ाऊ बयान देने का आरोप लगाया, जो राष्ट्रीय मुद्दों से ध्यान भटकाते हैं।
अल्वी ने आगे कहा कि इस तरह की टिप्पणियाँ क्षेत्र में तनाव बढ़ाती हैं और जनता को गुमराह करती हैं। आर्थिक चुनौतियों, बेरोजग़ारी और मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, सत्तारूढ़ दल भावनाओं को भडक़ाने वाले मुद्दे उठाता रहता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को पूर्व उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के एक कथन का हवाला देते हुए कहा कि सीमा बदल सकती है और कौन जानता है, कल सिंध फिर से भारत में वापस आ जाए। सिंधी लोगों की मातृभूमि के रूप में जाना जाने वाला सिंध क्षेत्र, भारत की सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। यह सिंधु घाटी सभ्यता का केंद्र भी था। 1947 में विभाजन के साथ यह क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा बन गया।
एमसीडी उपचुनाव के प्रचार में आई तेजी
भाजपा की रैलियों से माहौल गर्म, आप-कांग्रेस ने भी अपना दावा ठोका
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। एमसीडी उपचुनाव की 12 रिक्त सीटों के लिए प्रचार अभियान तेज़ हो गया है, भाजपा, आप और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए रैलियाँ और घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि पार्टी के आंतरिक आकलन से पता चलता है कि वह 12 में से 11 वार्ड जीत रही है, और इसका श्रेय उन्होंने अपनी संगठनात्मक ताकत को दिया। इस दिन का मुख्य आकर्षण मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सात सभाएँ और रैलियाँ रहीं।
अशोक विहार और द्वारका बी में पन्ना प्रमुख सम्मेलनों को संबोधित करते हुए, उन्होंने कार्यकर्ताओं से मतदान के दिन दोपहर के भोजन से पहले मतदान सुनिश्चित करने के लिए मतदाता सूचियों की दोबारा जाँच करने का आग्रह किया। उन्होंने ग्रेटर कैलाश में आरडब्ल्यूए से बातचीत की, संगम विहार ए, सैनिक विहार और विनोद नगर में सभाओं को संबोधित किया और कहा कि उन्हें विश्वास है कि मतदाता अरविंद केजरीवाल द्वारा पेश की गई चुनौती का करारा जवाब देंगे। रेखा गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सिर्फ राजधानी नहीं, भारत के भविष्य का पहला पन्ना है। यहां जो विकास हो रहा है उससे पूरे देश में यह विश्वास मजबूत होता है कि विकसित भारत के हम नेतृत्वकर्ता हैं। नगर निगम उपचुनाव में आपका एक–एक वोट भाजपा के सुशासन, स्वच्छता और समृद्ध दिल्ली के मिशन को और गति देगा। यह केवल प्रतिनिधि चुनने का निर्णय नहीं, दिल्ली की दिशा तय करने का संकल्प है। उन्होंने कहा कि विकसित दिल्ली का सपना तभी साकार होगा, जब आपका एक–एक वोट इस संकल्प की शक्ति बनेगा। भाजपा के लिए जन सेवा, पारदर्शिता और सुशासन ही प्राथमिकता है।
भारतीय सेना एक धर्मनिरपेक्ष संस्था: सुप्रीम कोर्ट
सीजेआई सूर्यकांत का पहला बड़ा फैसला, ईसाई आर्मी ऑफिसर की याचिका खारिज
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक ईसाई आर्मी ऑफिसर की बर्खास्तगी को सही करार दिया है। सैमुअल कमलेसन नाम के एक सैन्य अधिकारी ने अपनी रेजिमेंट के साप्ताहिक धार्मिक परेड में हिस्सा लेने से मना कर दिया था, जिसके आधार पर उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जिसे भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) सूर्यकांत की बेंच ने खारिज कर दिया है।
लाइवलॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने आर्मी ऑफिसर की बर्खास्तगी वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए, उनकी याचिका खारिज कर दी है। इस दौरान सीजेआई सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने याचिकाकर्ता सैमुअल कमलेसन से कहा, आप अपने जवानों की भावनाओं का सम्मान करने में नाकाम रहे हैं। धार्मिक अहंकार इतना ज्यादा है कि आपको दूसरों की कोई परवाह नहीं है। ईसाई ऑफिसर ने अपने खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई को यह कहकर अदालत में चुनौती दी थी कि मंदिर में घुसने के लिए बाध्य किया जाना, उनकी धार्मिक आजादी का उल्लंघन होगा। लेकिन, अदालत ने पाया कि उनका आचरण एक वैध आदेश को ठुकराने जैसा था। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि भारतीय सेना एक धर्मनिरपेक्ष संस्था है और इसकी अनुशासन से समझौता नहीं किया जा सकता।
कहा कि हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया है, जबकि उस पक्ष के आवेदन में ऐसी कोई मांग नहीं की गई थी।
कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद की सुनवाई 1 को
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट एक हिंदू पक्ष की उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है, जिसने दूसरे हिंदू पक्ष को भगवान कृष्ण के सभी भक्तों का प्रतिनिधि बनाए जाने पर आपत्ति जताई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ यह याचिका दाखिल की गई है। सोमवार (24 नवंबर, 2025) को कोर्ट ने कहा कि वह 1 दिसंबर को इस याचिका पर सुनवाई करेगा। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की बेंच ने कहा कि इस मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में विवादित स्थल से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने का अनुरोध करते हुए अलग मुकदमा दायर करने वाले एक अन्य हिंदू पक्ष को सभी भक्तों का प्रतिनिधि मानने की अनुमति दी थी। पीडित हिंदू पक्ष के एडवोकेट श्याम दीवान ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में दूसरे पक्ष को सभी श्रद्धालुओं का प्रतिनिधि मानने में त्रुटि हुई। ़ उउन्होंने कहा कि वह (उनके मुवक्किल) मुकदमा दायर करने वाले पहले व्यक्ति थे और हाईकोर्ट का इस तरह के विवाद से जुड़े दीवानी मुकदमों में से एक में दूसरे पक्ष को आगे बढ़ाना अनुचित था।



