चुनाव से पहले ही NDA में बड़ी फूट, राजभर ने दिखाए बागी तेवर, अकेले चुनाव लड़ने का क्र दिया ऐलान!
यूपी विधानसभा चुनाव में अभी भले ही थोड़ा समय बचा हो लेकिन आगामी पंचायत चुनाव को लेकर राज्य का सियासी पारा हाई है। सभी दलों के नेता अपने-अपने खेमे को मजबूती दिलाने में जुटे हुए हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: यूपी विधानसभा चुनाव में अभी भले ही थोड़ा समय बचा हो लेकिन आगामी पंचायत चुनाव को लेकर राज्य का सियासी पारा हाई है। सभी दलों के नेता अपने-अपने खेमे को मजबूती दिलाने में जुटे हुए हैं।
ऐसे में एक तरफ जहां विपक्ष गठबंधन की चुनाव से पहले तैयारियां तेज कर दी हैं तो वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी गठबंधन NDA भी एक्टिव मोड में है। भले ही चुनावी तारीखों का ऐलान न हुआ हो लेकिन चुनावी सुगबुगाहट तेज हो गई है। इसी बीच NDA में असली कलह भी देखने को मिल रही है। आलम ये है कि NDA गठबंधन में शामिल दल खुलेआम बगावती तेवर दिखा रहे हैं, पंचायत चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर रहे हैं। लेकिन वहीं योगी और शाह हाथ पर हाथ धरे हुए नजर आ रहे हैं। शायद उन्हें ये समझ ही नहीं आ रहा है कि आखिर इस आपस कलह से कैसे निपटना है।
चुनाव से पहले एक बार फिर NDA में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव से पहले बड़ा ऐलान किया है। राजभर ने साफ किया कि पंचायत चुनाव अपने समय से होंगे। राज्य सरकार की ओर से सभी तैयारियां कर ली गईं है। राजभर ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अभी से पंचायत चुनावों की तैयारियों में जुट जाने की अपील की। दरअसल गाजीपुर की जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र के सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं की मासिक बैठक स्थानीय एक मैरेज हॉल में हुई। इसी बैठक में पंचायत चुनावों को लेकर राजभर ने ऐलान किया।
ओम प्रकाश राजभर ने पंचायत चुनाव को लेकर कहा कि उनकी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी इस बार पंचायत चुनाव एनडीए से अलग होकर लड़ेगी. ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि भले ही वह 2027 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे, लेकिन पंचायत चुनाव में वह अकेले उतरेंगे. उन्होंने साफ़ किया कि पंचायत चुनाव उनकी पार्टी अकेले के दम पर लड़ेगी। ऐसे में अब एक बात तो क्लियर हो गई है कि पंचायत चुनावों में कोई भी गठबंधन उनकी पार्टी की ओर से नहीं रहेगा। जिससे NDA की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह का अलगाव भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है।
वहीं इसी दौरान ओम प्रकाश राजभर ने न सिर्फ पंचायती चुनाव को लेकर अपनी बात रखी बल्कि एसआईआर की समय सीमा बढ़ाने और इससे जुड़े मुद्दों पर बड़ा बयान दिया। राजभर न सिर्फ पंचायत चुनाव में NDA को झटका देने वाले हैं बल्कि आगामी समय में होने वाले घोसी उपचुनाव में भी भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोकते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल घोसी विधानसभा सीट एक बार फिर राजनीतिक हलचल का केंद्र बन गई है।
समाजवादी पार्टी के विधायक और क्षेत्र के प्रभावशाली नेता सुधाकर सिंह के निधन के बाद विधानसभा ने इस सीट को रिक्त घोषित कर दिया है। ऐसे में नियमों के अनुसार, अगले छह महीनों के भीतर यहां उपचुनाव होना तय है। अब ये माना जा रहा है कि सुधाकर सिंह की अचानक मौत के बाद यह माना जा रहा है कि पार्टी सहानुभूति फैक्टर का इस्तेमाल कर सकती है। चर्चा यह है कि सपा से सुधाकर सिंह के बेटे सुजीत सिंह इस सीट पर उम्मीदवार बन सकते हैं।
सुजीत सिंह पहले ब्लॉक प्रमुख भी रह चुके हैं और स्थानीय स्तर पर अच्छी पकड़ रखते हैं। उनके पिता के निधन पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उन्हें गले लगाकर सांत्वना दी थी, जो कई राजनीतिक संकेत दे गया। कई सियासी पंडितों का मानना है कि सपा इस सीट को बचाने के लिए परिवार को टिकट देकर भावनात्मक माहौल का फायदा उठा सकती है।
वहीं घोसी सीट पर भाजपा की दावेदारी भी मजबूत मानी जाती है। इस बार चर्चा में सबसे प्रमुख नाम है विजय राजभर। 2019 के उपचुनाव में विजय राजभर ने सुधाकर सिंह को हराकर भाजपा को बढ़त दिलाई थी। हालांकि पिछले चुनाव में दारा सिंह चौहान के मैदान में उतरने के कारण वे टिकट से चूक गए थे। हालांकि बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भी इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोक दी है।
पार्टी अध्यक्ष और मंत्री ओम प्रकाश राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर को टिकट दिलाने के लिए काफी प्रयासरत हैं। अरविंद राजभर पहले घोसी लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। हालांकि वह जीत नहीं पाए, लेकिन वोट बैंक में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। ओपी राजभर की राजनीतिक रणनीति और दबदबे को देखते हुए यह माना जा रहा है कि गठबंधन के भीतर यह सीट सुभासपा को भी मिल सकती है।
इस बीच ओमप्रकाश राजभर ने भी अरविंद राजभर के चुनाव लड़ने को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दे दी है. राजभर ने हाल ही में दिए एक बयान में कहा कि ‘एनडीए जो भी प्रत्याशी देगा उसके लिए हम पूरी मेहनत करेंगे. वहीं अरविंद राजभर को लेकर उन्होंने कहा कि गृह मंत्री और मुख्यमंत्री से मिलकर हम इसपर बात करेंगे. अगर एनडीए य करेगी तो अरविंद राजभर घोसी से चुनाव लड़ेंगे.’
वहीं अरविंद राजभर ने भी घोषी उपचुनाव में अपनी दावेदारी को लेकर कुछ ऐसा ही मिलता जुलता जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि ‘एनडीए जो भी प्रत्याशी देगा हम उसके लिए मेहनत करेंगे. हालांकि इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि वो गृहमंत्री और मुख्यमंत्री से मिलकर सुभासपा के लिए बात करेंगे. हम हर हाल में एनडीए के साथ हैं. एनडीए जो भी प्रत्याशी देगा उसके साथ मिलकर हम लोग काम करेंगे.’
हालांकि अरविंद राजभर के इस बयान ने एक बात साफ कर दिया है कि वह भी घोषी उपचुनाव चुनाव लड़ना चाहते हैं. वहीं जानकारी के लिए आपको बता दें कि घोसी सीट पर 1 लाख से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं. जबकि 70 हजार के आसपास दलित 60 हजार के लगभग राजभर और 5000 के करीब यादव वोटर हैं. बहरहाल घोसी सीट पर एनडीए किस प्रत्याशी को मैदान में उतारेगी यह तो आने वाला समय बताएगा. लेकिन जिस हिसाब से राजभर बड़े-बड़े दावे किये जा रहे हैं इससे एक बात तो तय है कि वो NDA की मुश्किलें और बढ़ा सकते हैं।


