AIMIM के पांच विधायक नीतीश से मिले, CMO में मोदी के अफसरों के आने से बढ़ी हलचल

एआईएमआईएम के पांचों विधायक अचानक नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे हैं तो वहीं दूसरी ओर सीएमओ में मोदी के खास अफसरों को बैठाने की कवायद पर नीतीश कुमार भयंकर तरीके से फायर हो गए हैं, इसको लेकर हड़कंप मचा गया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: एआईएमआईएम के पांचों विधायक अचानक नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे हैं तो वहीं दूसरी ओर सीएमओ में मोदी के खास अफसरों को बैठाने की कवायद पर नीतीश कुमार भयंकर तरीके से फायर हो गए हैं, इसको लेकर हड़कंप मचा गया है।

दावा किया जा रहा है कि नीतीश कुमार ऑपरेशन तीर चलाकर अपने कुनबे को बढ़ाना चाहते हैं तो वहीं दूसरी ओर सम्राट चौधरी सीएमओ में मोदी के अफसरों के साथ शासन पर अपनी मजबूत पकड़ बनाना चाहते हैं। ऐसे में दोनों मामलों में न सिर्फ रार-तकरार का दौर चल रहा है बल्कि एनडीए में भारी सिर फुटव्वल और टूट होने के आसार 15 दिन की सरकार में ही दिखाई देने लगे हैं। क्यों अचानक एआईएमआईएम के 5 विधायक नीतीश कुमार से मिलने पहुंचें है और क्यों सीएमओ में नए अफसरों की तैनाती को लेकर नीतीश कुमार भड़के हैं, ये आगे हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में बताएंगे।

बिहार में जब से सरकार बनी है नीतीश कुमार अपने विधायकों की संख्या को बढ़ाने के लिए पूरी तरह से एक्टिव हैं। इसके पीछे वजह यह है कि नीतीश कुमार की सीटें बीजेपी के मुकाबले चार कम हो गई हैं और हर जगह बीजेपी इसका फायदा उठाना चाहती है। पहले नीतीश कुमार का सबसे अहम विभाग गृह मंत्रालय छीनकर बीजेपी ने अपने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को दे दिया। फिर उसके बाद काफी गहमागहमी के बाद भी बीजेपी ने प्रेम कुमार के रुप में अपना ही स्पीकर चुनावाया और अब बीजेपी एक नए गेम प्लान में लग गई है। वो गेम प्लान यह है कि पीएम साहब के चाणक्य की पूरी मंशा है कि सीएमओ में यानि नीतीश कुमार के ऑफिस में मोदी के चहेते आईएएस और आईपीएस अफसरों की तैनाती हो जाए। जिससे दिल्ली से ही मनमानी का खेल चल सके।

बिहार में सम्राट चौधरी का जलवा होने जा रहा है बल्कि ये भी कह सकते हैं कि जलवा हो चुका है। क्योंकि नीतीश कुमार की जगहों पर वो ही दिख रहे हैं। आपको याद दिला दें कि जब 5 दिसंबर को सत्र का समापन हुआ था तो नीतीश कुमार नहीं बल्कि विपक्ष के सवालों को जवाब देने के लिए सम्राट चौधरी ही आए थे जबकि आमतौर पर होता यह है कि आखिरी दिन सवालों को जवाब देने के लिए सीएम ही आते हैं लेकिन नीतीश कुमार के पटना में रहने के बावजूद सम्राट चौधरी ही सदन में विपक्ष का जबाव देने आए।

दूसरी अहम बात यह है कि गृह मंत्रालय छिनने के बाद जब से सरकार बनी है नीतीश कुमार आमतौर से मीडिया के सामने कम आए हैं और चर्चा है कि बिहार में दो सीनियर आईएएस दिल्ली से बिहार आने वाले हैं। ये मोदी दोनों आईएएस मोदी के बहुत ही खास हैं और इसकी सीएमओ में तैनाती होगी। हालांकि इसको लेकर जदयू और नीतीश कुमार विरोध में है। ये सीएम के अधिकारों पर सीधे खुद को तौर पर हमला है।

देश में जब से बीजेपी की गुजरात लॉबी सरकार आई तब से देश के साथ प्रदेश की सरकारों की भी कमान पीएम साहब के चाणक्य अपने हाथ में रखते है। हर बार उनके पर्ची वाले सीएम को जगह मिलती है। राज्यस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली इसका बडा उदाहरण है। साथ ही पीएम साहब के चाणक्य अपने सहयोगी पार्टी को कैसे ट्रीट करते है, इसकी जीती जागती मिसाल आप महराष्ट्र से लेकर सकते है। जब उद्धव ठाकरे की पार्टी को तोड़ना था तो एकनाथ शिंदे को सीएम बना दिया लेकिन जब चुनाव हुआा और शिंदे को सीएम की कुर्सी से हटाकर डिप्टी सीएम बना दिया गया लेकिन बिहार में यह खेल नहीं चल पाया, क्योंकि वहां नीतीश कुमार थे लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि हर ओर से नीतीश कुमार पर भयंकर प्रेशर है।

अगर नीतीश कुमार का पुराना दौर होता तो नीतीश कुमार शायद अब तक बीजेपी का झटक चुके होते लेकिन इस बार शायद वो ऐसा करने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि वो जानते हैं कि उनकी पार्टी पूरी तरह से टूट जाएगी और सीएम कुर्सी ही नहीं पार्टी भी छिनना तय है लेकिन इसके बाद भी नीतीश सीएमओं में मोदी के दो अफसरों की तैनाती का पुरजोर विरोध फिलहाल कर रहे हैं। हालांकि नीतीश कुमार ने इसके साथ अपने ऑपरेशन तीर वाला खेल भी शुरु कर दिया है। क्योंकि नीतीश कुमार की पार्टी में 6 मंत्री के पद खाली है, इसको लेकर नीतीश कुमार ने बीजेपी के ऑपरेशन लोट्स से पहले ही ऑपरेशन तीर चलाना शुरु कर दिया है।

कल ही एआईएमआईएम के पांच विधायक नीतीश कुमार से मिले हैं। अंदरखाने की खबर है कि नीतीश कुमार इन एआईएमआईएम के पांचों विधायकों को अपने खेमे में लाने के लिए तैयारी कर रहे हैं और इसी क्रम में नीतीश कुमार की मुलाकात एआईएमआईएम के विधायकों से हुई है। कहा जा रहा है कि वैसे मुलाकात का मतलब कुछ और है लेकिन मीडिया में खबरें कुछ और चला जा रही है। खबर है कि मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के सभी पांच विधायकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की।

एआईएमआईएम के विधायक दल के नेता अख्तरुल ईमान के नेतृत्व में इस प्रतिनिधिमंडल ने सरकार के सामने सीमांचल क्षेत्र के विकास से जुड़े प्रमुख मुद्दों को मजबूती से रखा। विधायकों ने मांग की कि सीमांचल के जिलों के लिए एक विशेष योजना बनाई जाए, ताकि संतुलित और तेज विकास सुनिश्चित हो सके। हालांकि विकास की मांग पहले ही एआईएमआईएम विधायकों की ओर की जा चुकी है और खुद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार में शामिल होने की बात कही थी तब से लेकर अब तक कयासों का दौर जारी है और जिस तरह से नीतीश कुमार एआईएमआईएम के विधायकों से मिल रहे हैं तो ऐसे में साफ है कि कुछ न कुछ खेल जरुर है और बाद में मुर्शीद आलम की बात कहीं न कहीं पूरे मामले में खेल को साफ करती दिख रही है।

मुलाकात के बाद एआईएमआईएम विधायक मुर्शीद आलम ने मीडिया से बातचीत में नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार उनके राजनीतिक गुरु रहे हैं और उन्होंने ही उन्हें आगे बढ़ाने का अवसर दिया था। आलम ने बताया कि 2014 में नीतीश कुमार ने उन्हें जेडीयू में शामिल कराया था और पहली बार बड़े स्तर पर राजनीतिक काम का मौका दिया। ऐसे में साफ है कि कुछ न कुछ अंदर चल रहा है। वैसे भी साल 2020 के चुनाव में सीमांचाल से एआईएमआईएम को पांच सीटें मिली थीं लेकिन पांच में ये पांचों विधायक टूटकर आरजेडी में चले गए थे लेकिन तेजस्वी की सरकार न बनने से पूरा गेम पलट गया था, इसलिए इस बार एआईएमआईएम के विधायक नीतीश कुमार का चक्कर लगा रहे हैं और सच तो यह भी है कि इन पांच विधायकों की जरुरत नीतीश कुमार को भी है।

वैसे भी नीतीश कुमार बीजेपी की प्रेशर पॉलिटिक्स से परेशान हैं। सीएमओ में मोदी के चहेते अफसरों की तैनाती, प्रदेश के सभी बड़े बड़े मंत्री पदों पर बीजेपी के नेताओं की ताशपोशी और स्पीकर चुनाव में बीजेपी की मनमानी इससे नीतीश कुमार अपने विधायकों की संख्या को कम से कम चार तो हर हाल में बढ़ाना चाहते हैं ताकि वो बीजेपी के साथ बराबरी की बात कर सकेें लेकिन सवाल जो सबसे ज्यादा पेचीदा है कि क्या एआईएमआईएम के विधायक एनडीए को समर्थन करेंगे या फिर सीधे नीतीश कुमार की पार्टी में जाएंगे, वैसे जिस तरीके का माहौल है और जैसा कि एआईएमआईएम का पिछला इतिहास है, उसमें पार्टी का टूटना तय माना जा रहा है।

अब आगे हो गया क्या देखना सबसे ज्यादा अहम होगा। क्योंकि नीतीश कुमार गठबंधन की राजनीति में शुरु से प्रेशर पॉलिटिक्स के खिलाफ रहे हैं लेकिन पीएम साहब के चाणक्य जी हैं कि मानने को तैयार नहीं है। वो नीतीश को चारों ओर से घेरने की तैयारी में है, और ऐसे में तय है कि आज नहीं तो कल बिहार में बड़ा खेल होना तय है। पूरे मामले पर आपका क्या मानना है। क्या बिहार में एआईएमआईएम एक बार फिर से टूट जाएगी या फिर एआईएमआईएम एनडीए सरकार में शामिल होने जा रही है। क्या नीतीश कुमार के उपर सीएमओ में मोदी के अफसरों की तैनाती नीतीश कुमार का खेल पूरी तरह से खत्म करने का है।

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