दिल्ली में नहीं गली Nitish की दाल, Shah ने रद्द किया दौरा, NDA टूटा!
बिहार विधानसभा चुनाव जैसे- जैसे नजदीक आ रहे हैं... सियासत भी जोरों से शुरू हो गई है... इस बीच दिल्ली पहुंचे नीतीश कुमार को दिल्ली दरबार से निराशा हाथ लगी है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः बिहार की राजनीति हमेशा से भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है…… यहां के सामाजिक और राजनीतिक समीकरण न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं…… हाल के घटनाक्रम में, बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार की दिल्ली यात्रा….. और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे का रद्द होना…… राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में गहरे तनाव का संकेत देता है……. खबरों के मुताबिक नीतीश कुमार दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात के बाद नाराज होकर लौटे हैं……. और अमित शाह ने अपने प्रस्तावित बिहार दौरे को रद्द कर दिया है……. खासकर 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों से पहले यह स्थिति बनी है….. जो NDA के लिए एक बड़े संकट की ओर इशारा करती है…… आम हम इस खबर में बात करेंगे…… इस घटनाक्रम के विभिन्न पहलुओं, इसके कारणों, और भारतीय जनता पार्टी पर इसका प्रभाव…… साथ ही यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि….. यह स्थिति NDA के भविष्य को कैसे प्रभावित कर सकती है….
नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में एक कद्दावर नेता हैं…….. जिनकी रणनीतिक चतुराई और गठबंधन बदलने की कला ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई है……. नीतीश का NDA के साथ रिश्ता उतार-चढ़ाव भरा रहा है……. 2013 में उन्होंने बीजेपी के साथ 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया था……. जब नरेंद्र मोदी को NDA का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किया गया……. 2017 में वे फिर से NDA में लौटे……. लेकिन 2022 में RJD के साथ महागठबंधन बनाकर सरकार बनाई……. फिर 2024 की शुरुआत में नीतीश ने एक बार फिर NDA का दामन थामा……. और बिहार में सरकार बनाई……. यह बार-बार गठबंधन बदलना उनकी रणनीति का हिस्सा रहा है……. लेकिन इसने उनकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं……
हाल की दिल्ली यात्रा में नीतीश ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, और अन्य नेताओं से मुलाकात की थी……. जानकारी के अनुसार इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे, नेतृत्व……. और रणनीति पर चर्चा करना था……… नीतीश ने JD(U) के लिए अधिक सीटों……. और बिहार में NDA के चेहरे के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत करने की मांग की थी…… लेकिन बीजेपी ने उनकी मांगों को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया……. जिसके कारण नीतीश नाराज होकर पटना लौट आए……. इसके तुरंत बाद अमित शाह का बिहार दौरा रद्द होने की खबर ने NDA में तनाव की अटकलों को और हवा दी…….
आपको बता दें कि अमित शाह बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले नेता…….. बिहार में NDA की रणनीति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं…….. उनका प्रस्तावित बिहार दौरा…… जून 2025 में होने वाला था…….. NDA कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और नीतीश कुमार के साथ संयुक्त रैलियों के माध्यम से गठबंधन की एकता प्रदर्शित करने का हिस्सा था…….. इस दौरे में अमित शाह को बिहार के कई हिस्सों में रैलियों को संबोधित करना था…….. साथ ही स्थानीय बीजेपी नेताओं और JD(U) के साथ समन्वय बैठकें करनी थीं……
हालांकि इस दौरे का अचानक रद्द होना कई सवाल खड़े करता है……. क्या यह नीतीश की नाराजगी का परिणाम था……. या बीजेपी की रणनीति में बदलाव का हिस्सा…….. कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी ने नीतीश की मांगों को ठुकराकर यह संदेश देने की कोशिश की……. कि वे बिहार में अपनी स्थिति को कमजोर नहीं होने देंगे…… दूसरी ओर यह भी संभव है कि नीतीश की नाराजगी के बाद बीजेपी ने इस दौरे को रद्द कर तनाव को सार्वजनिक मंच पर उजागर होने से रोकने की कोशिश की……. यह रद्दीकरण NDA के भीतर असहमति को और उजागर करता है……. जो बीजेपी के लिए एक रणनीतिक चुनौती बन सकता है…….
आपको बता दें कि NDA में तनाव के कई कारण हैं…….. जो केवल नीतीश और बीजेपी के बीच मतभेदों तक सीमित नहीं हैं……. बल्कि बिहार की जटिल सामाजिक और राजनीतिक गतिशीलता से भी जुड़े हैं…… बता दें कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 74 सीटें जीतीं…….. जबकि JD(U) को केवल 43 सीटें मिलीं……. इसके बावजूद, बीजेपी ने नीतीश को मुख्यमंत्री बनाए रखने का वादा निभाया……. लेकिन 2025 के चुनावों में नीतीश JD(U) के लिए अधिक सीटें चाहते हैं……. ताकि उनकी पार्टी गठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत कर सके……. बीजेपी जो अब बिहार में अपनी पकड़ को और मजबूत करना चाहती है……… कम सीटें देने के मूड में नहीं है……. यह असहमति दोनों दलों के बीच तनाव का प्रमुख कारण बन गई है……
नीतीश कुमार को NDA का चेहरा बनाए रखने की घोषणा बार-बार की गई है…….. लेकिन बीजेपी के कुछ नेताओं के बयानों ने इस पर संदेह पैदा किया है……. उदाहरण के लिए अमित शाह ने एक साक्षात्कार में अस्पष्ट जवाब दिया था…….. जिसमें उन्होंने नीतीश को पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने से इनकार नहीं किया…… लेकिन स्पष्ट समर्थन भी नहीं दिया…… इससे JD(U) कार्यकर्ताओं में असुरक्षा की भावना बढ़ी है……
नीतीश कुमार की बार-बार गठबंधन बदलने की रणनीति ने उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं……. विपक्ष, विशेष रूप से RJD के तेजस्वी यादव, ने नीतीश की मानसिक……. और शारीरिक स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वे “अपने होश में नहीं हैं”…… और उनके करीबी सहयोगियों द्वारा “हाइजैक” किए गए हैं…… बीजेपी के कुछ नेताओं ने भी नीतीश की उम्र…… और स्वास्थ्य को लेकर असमंजस जताया है…… जिससे JD(U) के समर्थकों में असंतोष बढ़ा है…….
वहीं NDA में अन्य सहयोगी दलों……. जैसे चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास)….. और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, ने भी समीकरण को जटिल बनाया है……. चिराग पासवान ने हाल ही में मुजफ्फरपुर बलात्कार-हत्या मामले में नीतीश सरकार की कानून-व्यवस्था और स्वास्थ्य व्यवस्था की आलोचना की थी, जो NDA के भीतर एकता की कमी को दर्शाता है।
RJD और कांग्रेस के नेतृत्व वाला महागठबंधन बिहार में NDA को कड़ी चुनौती दे रहा है…… तेजस्वी यादव ने नीतीश की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए बार-बार कहा है कि नीतीश की सरकार जनता के मुद्दों को संबोधित करने में विफल रही है…… यह बयानबाजी NDA के भीतर असंतोष को और बढ़ा रही है…….
बीजेपी के लिए यह स्थिति कई चुनौतियां पेश करती है……. बिहार में उसकी स्थिति पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुई है……. लेकिन नीतीश कुमार जैसे अनुभवी नेता के बिना वह अपनी पकड़ बनाए रखने में सक्षम होगी या नहीं,……. यह एक बड़ा सवाल है……… JD(U) बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग, कुर्मी और कोएरी और दलित समुदायों के बीच मजबूत समर्थन रखती है……. अगर नीतीश NDA से अलग होते हैं……. तो बीजेपी को इन समुदायों का समर्थन खोने का खतरा है…….
इसके अलावा, बीजेपी की रणनीति हमेशा से ध्रुवीकरण और हिंदुत्व पर आधारित रही है…….. लेकिन नीतीश ने सामाजिक समावेश और धर्मनिरपेक्षता की छवि बनाए रखी है…….. उनकी नाराजगी और संभावित अलगाव बीजेपी की इस रणनीति को कमजोर कर सकता है……. खासकर अल्पसंख्यक समुदायों का समर्थन खोने के जोखिम के साथ…….
वहीं नीतीश कुमार के राजनीतिक इतिहास को देखते हुए……. उनके फिर से गठबंधन बदलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता……. RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने पहले ही संकेत दिया है…… कि उनके दरवाजे नीतीश के लिए खुले हैं…….. हालांकि, नीतीश के लिए यह कदम आसान नहीं होगा……. उनकी बार-बार बदलती निष्ठा ने उनकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया है…… और जनता के बीच उनकी छवि पर भी असर पड़ा है……. इसके अलावा बीजेपी के साथ उनकी मौजूदा साझेदारी ने JD(U) को केंद्र में महत्वपूर्ण भूमिका दी है……….. जैसे कि 2024 के लोकसभा चुनावों में JD(U) के 14 सीटें जीतने से NDA-3 सरकार के गठन में मदद मिली।
बता दें कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव NDA और बीजेपी के लिए एक बड़ा इम्तिहान होंगे……. अगर नीतीश NDA में रहते हैं……. तो बीजेपी को उनकी मांगों को संतुलित करना होगा……. वहीं दूसरी ओर अगर नीतीश फिर से पलटी मारते हैं…….. तो बीजेपी को बिहार में अपनी रणनीति को पूरी तरह से बदलना पड़ सकता है……. नीतीश के बेटे निशांत कुमार की संभावित राजनीतिक एंट्री भी चर्चा में है…….. अगर नीतीश स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति से हटते हैं……… तो निशांत को JD(U) का नेतृत्व सौंपा जा सकता है…… जो गठबंधन की गतिशीलता को और बदल सकता है……



