गाजियाबाद: बाबू जगजीवन राम कॉलोनी पर संकट, GDA ने जारी किया डिमोलिशन नोटिस

राजेंद्र नगर स्थित बाबू जगजीवन राम कॉलोनी के निवासियों को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) की ओर से नोटिस जारी किया गया है।

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क: राजेंद्र नगर स्थित बाबू जगजीवन राम कॉलोनी के निवासियों को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) की ओर से नोटिस जारी किया गया है।

नोटिस में कहा गया है कि कॉलोनी के 172 मकान करीब 50 साल पहले एक पार्क की 2,864 वर्ग मीटर जमीन पर अवैध रूप से बनाए गे थे। इस मामल में GDA ने कॉलोनीवासियों को 15 दिनों के भीतर घर खाली करने का निर्देश दिया है। प्राधिकरण का कहना है कि यह जमीन सार्वजनिक उपयोग, विशेष रूप से पार्क के लिए आरक्षित थी, जिस पर अतिक्रमण कर निर्माण किया गया।

नोटिस मिलने के बाद इलाके में निवासियों में आक्रोश और चिंता का माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे दशकों से वहां रह रहे हैं और अब अचानक बेघर किए जाने की धमकी मिल रही है। कई परिवारों ने विधिक कार्रवाई और आंदोलन की चेतावनी भी दी है। GDA अधिकारियों के मुताबिक, यदि निर्धारित समय में घर खाली नहीं किए गए, तो तोड़ीफोड़ी की कार्रवाई की जाएगी।

जीडीए के एक अधिकारी के अनुसार, 2023 में एनजीटी याचिका (National Green Tribunal) दायर की गई थी, जिससे यह मामला रोशनी में आया. मामला अभी भी चल रहा है. अधिकारी ने बताया, हालांकि, 2024 में तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस मुद्दे पर एक बैठक हुई थी. इसमें निर्णय लिया गया था कि पार्क की जमीन पर बने अवैध ढांचों, मकानों, आरसीसी सड़क और औद्योगिक यूनिट को ध्वस्त कर दिया जाए. निर्देशों के अनुसार, निवासियों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं, जिसके बाद जीडीए अपनी इच्छानुसार तोड़फोड़ करने के लिए आजाद होगा.

क्यों लिया जा रहा एक्शन
हालांकि, मूल मामले में याचिकाकर्ता सुशील राघव ने कहा कि यह कॉलोनी एनजीटी में उनकी याचिका का हिस्सा नहीं थी. साल 1962 में, एक निजी डेवलपर ने सुधार बोर्ड, जिसे अब जीडीए कहा जाता है, से कॉलोनी का लेआउट पास करवाया था. लेआउट प्लान के अनुसार, इस क्षेत्र की 12,040 वर्ग मीटर जमीन पार्क की जमीन के रूप में मार्क की गई थी और अपने मूल आवेदन में, मैंने बताया था कि इस क्षेत्र की कुछ औद्योगिक यूनिट ने अपने इस्तेमाल के लिए पार्क में एक सड़क बना ली है.

उन्होंने आगे कहा, बाबू जगजीवन राम कॉलोनी का कोई जिक्र नहीं था, लेकिन ऐसा लगता है कि मामले के बाद विकास प्राधिकरण ने एक सर्वे करके यह देखा है कि यह कॉलोनी भी पार्क की जमीन पर बनाई गई है. नोटिस के समय के बारे में पूछे जाने पर, राघव ने कहा, बुधवार को यह मामला एनजीटी में सामने आया और जीडीए को पीठ के सामने कुछ कार्रवाई पेश करनी थी.

कब होगी मामले पर अगली सुनवाई?
इस बीच, सरकार के वकील ने एनजीटी को बताया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक 13 जुलाई को निर्धारित है. एनजीटी ने इसके लिए समय दिया है, लेकिन इस शर्त के साथ कि कार्रवाई रिपोर्ट तीन सप्ताह के अंदर दाखिल की जाए. मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को होनी है, लेकिन यह अभी भी तय नहीं है कि जीडीए उससे पहले तोड़फोड़ अभियान चलाएगा या नहीं.

निवासी हुए नोटिस से बैचेन
हालांकि, यह नोटिस सामने आने के बाद कॉलोनी के निवासी परेशान हो गए हैं. सभी बैचेन हो गए हैं. एक निवासी रतन ने कहा, हमारा परिवार लगभग 50 सालों से इस कॉलोनी में रह रहे हैं और यहां जमीन खरीदने वालों में से कई की मृत्यु हो चुकी है और इतने सालों बाद, हमें बताया जा रहा है कि यह अवैध है और हमारे घर तोड़ दिए जाएंगे. मैं पूछना चाहता हूं कि अगर यह अवैध था, तो इसे बेचते समय अधिकारी क्या कर रहे थे? क्या उन्हें दोष नहीं देना चाहिए? हम कहां जाएंगे?”

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