लेटरल एंट्री को लेकर विपक्ष के निशाने पर सरकार
- तेजस्वी ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
- राहुल-अखिलेश बोले- सरकार का यह फैसला आरक्षण विरोधी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। पिछलेे दरवाजे से लाकसेवा आयोग में (लेटरल एंट्री) के जरिये प्रशासनिक पदों पर विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति के मामले को लेकर सत्ता पक्ष व विपक्ष में वार-पलटवार तेज हो गया है। विपक्षी पार्टी समेत एनडीए के कई घटक दलों ने भी सरकार के फैसले की आलोचना की है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का कहना है कि सरकार का यह फैसला आरक्षण विरोधी है।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी इसपर आपत्ति जताया है। उन्होंने कहा भाजपा आरक्षण खत्म करने की साजिश कर रही है। मैं इसका पूरे जोर शोर के साथ विरोध करता हूं। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी इसको दलित व ओबीसी विरोधी बताते हुए इसके खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। भाजपा अपनी विचारधारा के लोगों को पिछले दरवाजे से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साजिश कर रही है, उसके खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है। यूपीएससी लेटरल भर्ती यूपीएससी ने अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों में निदेशक, संयुक्त सचिव और उप सचिव के 45 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन निकाला है। यह भर्तियां लेटरल एंट्री के तहत की जाएंगी। वहीं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने यूपीएससी लेटरल भर्ती पर एतराज जताया है। उन्होंने कहा है कि मेरी पार्टी पूरी तरीके से इस तरीके की नियुक्तियों को लेकर अपनी सोच स्पष्ट करती है। उन्होंने कहा कि कहीं पर भी अगर सरकारी नियुक्तियां होती हैं तो उसमें आरक्षण के प्रावधानों का पालन होना चाहिए।
कांग्रेस भी कर चुकी है ऐसी भर्तियां : अश्विनी वैष्णव
अश्विनी वैष्णव ने राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा , मनमोहन सिंह की 1976 में वित्त सचिव के पद पर नियुक्ति किस व्यवस्था के तहत हुई थी? तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में मनमोहन सिंह को सीधे वित्त सचिव बनाया था, जो बाद में वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री भी बने। अश्विनी वैष्णव ने आगे कहा, कांग्रेस शासन में सैम पित्रोदा, वी कृष्षणमूर्ति, अर्थशास्त्री बिमल जालान, कौशिक विरमानी, रघुराम राजन जैसे लोगों को सरकार में शामिल किया गया।