गुजरात वोटर लिस्ट विवाद, 37 लाख मृत और लापता नाम दर्ज, मोदी पर आरोप

गुजरात की वोटर लिस्ट में बड़ा खुलासा हुआ है... रिपोर्ट के अनुसार 37 लाख ऐसे नाम शामिल हैं... जो या तो मृतक हैं या पलायन कर चुके हैं...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत के लोकतंत्र की रीढ़ मानी जाने वाली मतदाता सूची को मजबूत.. और पारदर्शी बनाने के लिए गुजरात में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान ने एक बड़ा खुलासा किया है.. राज्य की मतदाता सूची में करीब 40 लाख से अधिक नामों को हटाने की प्रक्रिया चल रही है.. इनमें मृत व्यक्तियों, स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं, लापता लोगों.. और डुप्लीकेट एंट्रीज के नाम शामिल हैं.. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार यह अभियान मतदाता सूची को पूरी तरह साफ-सुथरा बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.. ताकि आगामी चुनावों में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो..

वहीं यह खुलासा तब सामने आया जब राज्य भर में 5 करोड़ से अधिक मतदाताओं को गणना फॉर्म बांटे गए.. इन फॉर्मों के माध्यम से बूथ लेवल ऑफिसर्स ने घर-घर जाकर सत्यापन किया.. प्रारंभिक आंकड़ों से पता चला कि सूची में 15.58 लाख मृत मतदाताओं के नाम दर्ज थे.. जबकि 4.40 लाख मतदाता अपने पते पर लापता पाए गए.. इसके अलावा, 21.68 लाख मतदाता स्थायी रूप से कहीं और चले गए हैं.. और 2.68 लाख डुप्लीकेट नाम हैं.. कुल मिलाकर 40.12 लाख नाम हटाए जाने की संभावना है.. यह आंकड़ा राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा जारी बुलेटिन में प्रमाणित है..

गुजरात में SIR अभियान की शुरुआत 4 नवंबर को हुई थी.. यह राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे SIR के दूसरे चरण का हिस्सा है.. जिसमें 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं.. चुनाव आयोग ने 2002-2004 की मतदाता सूची को आधार मानकर यह अभियान शुरू किया.. क्योंकि तब से कई बदलाव आए हैं.. जिसमें लोगों की मृत्यु, प्रवास, नई जन्में पीढ़ियां आदि शामिल है.. गुजरात जैसे औद्योगिक राज्य में प्रवास की दर अधिक होने से सूची में त्रुटियां बढ़ गई थीं.. CEO कार्यालय के अनुसार यह अभियान पारदर्शिता, समावेशिता.. और मतदाता-अनुकूल दृष्टिकोण पर आधारित है..

SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन, मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण है.. सामान्य पुनरीक्षण हर साल होता है.. लेकिन SIR एक गहन घर-घर सर्वेक्षण है.. इसमें BLO मतदाताओं के घर जाते हैं.. फॉर्म बांटते हैं और विवरण सत्यापित करते हैं.. फॉर्म में नाम, पता, उम्र, फोटो, आधार नंबर आदि की जानकारी ली जाती है.. अगर कोई नाम गलत पाया जाता है.. तो उसे ‘अंडर प्रोसेस’ में रखा जाता है.. और अंतिम सूची में हटा दिया जाता है.. आपको बता दें कि चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक, SIR का उद्देश्य मृत या लापता मतदाताओं के नाम हटाना… डुप्लीकेट एंट्रीज को दूर करना.. नए मतदाताओं को जोड़ना.. प्रवासियों को नए पते पर स्थानांतरित करना है…

राष्ट्रीय स्तर पर SIR दो चरणों में चल रहा है.. पहला चरण बिहार में पूरा हो चुका है.. जहां 35 लाख लापता मतदाता मिले.. दूसरा चरण गुजरात सहित 12 राज्यों में है.. जहां 51 करोड़ मतदाताओं की जांच हो रही है.. इसके लिए 5.33 लाख BLO और 7 लाख BLA (बूथ लेवल एजेंट) तैनात हैं.. गुजरात में 5 करोड़ से अधिक फॉर्म छापे गए.. जिनमें से 99.43% बांटे जा चुके हैं.. SIR गुजरात में सावधानीपूर्वक चरणों में चलाया गया.. जिसमें BLO को प्रशिक्षण दिया गया.. 2002 की सूची को आधार बनाया गया.. 5 करोड़ 97 लाख फॉर्म बांटे गए.. BLO ने तीन बार घर जाकर प्रयास किया.. वहीं फॉर्म स्कैन कर डिजिटल रूप में अपलोड हो रहे हैं.. 20% से अधिक डिजिटाइज हो चुके है..

आपको बता दें कि CEO हरित शुक्ला ने 3 दिसंबर को राजनीतिक दलों (बीजेपी, कांग्रेस, AAP, BSP) के साथ बैठक की.. और उन्होंने कहा कि यह अभियान लोकतंत्र को मजबूत करेगा.. कोई भी नाम गलत हटाया नहीं जाएगा.. विशेष कैंप 15, 16, 22, 23, 29 और 30 नवंबर को लगाए गए.. जहां 50 लाख से अधिक लोगों ने अपनी शिकायतें सुलझाईं गई.. गुजरात की मतदाता सूची में कुल 5.1 करोड़ नाम थे.. वहीं SIR से मिले आंकड़े हैरान करने वाले हैं.. जिसमें 15.58 लाख ऐसे नाम हैं जो वर्षों पहले मर चुके थे.. लेकिन सूची से नहीं हटे.. 4.40 लाख लोग घर पर नहीं मिले, शायद स्थानांतरित हो गए… और 21.68 लाख लोग गुजरात से बाहर चले गए… वहीं 2.68 लाख गलत एंट्री थी.. जिसमें एक ही व्यक्ति का नाम दो-दो जगह दर्ज हैं…

जिसको देखते हुए कुल 40.12 लाख नाम हटने की संभावना है.. यह आंकड़ा नवंबर 30 तक का है.. अंतिम संख्या बढ़ सकती है.. CEO कार्यालय के बुलेटिन में कहा गया कि यह त्रुटियां समय के साथ जमा हुईं.. अब डिजिटल सत्यापन से इन्हें रोका जाएगा.. नवंबर 30 तक 14.96 लाख मृत, 3.45 लाख लापता और 20 लाख प्रवासी मिले थे.. वहीं ये आंकड़े जिलों में बंटे हैं.. अहमदाबाद में प्रवास अधिक होने से 5 लाख नाम प्रभावित हुए.. सूरत में औद्योगिक क्षेत्रों में डुप्लीकेट अधिक है.. ग्रामीण इलाकों में मृत नामों की संख्या ज्यादा है.. यह खुलासा ‘वोट चोरी’ के आरोपों को भी बल देता है.. लेकिन आयोग का कहना है कि यह प्राकृतिक प्रक्रिया है..

आपको बता दें कि SIR का एक महत्वपूर्ण हिस्सा फॉर्मों का डिजिटलीकरण है.. गुजरात ने इसमें शानदार प्रदर्शन किया.. 2 दिसंबर तक 90% प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.. वहीं फॉर्म वितरण 99% जिलों में पूरा हो चुका है.. डांग जैसे आदिवासी क्षेत्रों में प्रवास अधिक होने से चुनौतियां थीं.. लेकिन BLO ने सफलता पाई.. जिसको लेकर CEO कार्यालय ने कहा कि डिजिटलीकरण से त्रुटियां कम होंगी.. Voters.eci.gov.in पर कोई भी नाम चेक कर सकता है..

SIR की सफलता का श्रेय BLO को जाता है.. गुजरात में 50,000 से अधिक BLO तैनात हैं.. वे शिक्षक, सरकारी कर्मचारी या स्वयंसेवक हैं.. CEO ने उनकी सराहना की… BLO ने कठिन परिश्रम किया.. अगर समस्या हो, तो मामलतदार या चुनाव कार्यालय से संपर्क करें.. वहीं SIR के आंकड़ों ने राजनीतिक हलचल मचा दी.. गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा ने CEO को पत्र लिखा कि 67 लाख नए मतदाता बिना सत्यापन के जोड़े गए.. BLO पर दबाव डाला जा रहा है.. आदिवासी क्षेत्रों में प्रवासियों के नाम हट रहे.. जो वोटिंग अधिकार छीन रहा है.. और  उन्होंने समय विस्तार की मांग की..

 

https://www.youtube.com/watch?v=eBOsoUnp2Co

Related Articles

Back to top button