राहुल गांधी के वोट चोरी अभियान से डर गए ज्ञानेश कुमार, नया खेल शुरु कर दिया
दोस्तों बिहार में एक ओर जहां नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है और वो राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर रिजल्ट के बाद जिस तरह से पूरे देश में न सिर्फ चुनाव अयोग को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों बिहार में एक ओर जहां नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है और वो राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर रिजल्ट के बाद जिस तरह से पूरे देश में न सिर्फ चुनाव अयोग को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
बल्कि एक दो जगह नहीं कई जगह रंगेहाथ वोटचोरी पकड़ी गई है और इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस ने न सिर्फ बहुत बड़े आंदोलन का ऐलान कर दिया बल्कि सड़क पर उतर कर पूरे देश में बहुत बड़ा प्रदर्शन करने जा रहा है। तो ऐसे में दूसरी ओर न सिर्फ चाणक्य जी के करीबी परम ज्ञानी ज्ञानेश जी न सिर्फ डरे सहमे हैं बल्कि उन्होंने 272 लोगों का एक नया खेल शुरु कर दिया है साथ ही नीतीश कुमार को लेकर बीजेपी का प्लान बी तैयार बताया जा रहा है। और जैसे ही दोनों नए खेल एक्सपेाज हुए है, पूरा हड़कंप मचा है। ज्ञानेश जी और बीजेपी का कौन सा नया खेल शुरु कर किया है और कहां एक बार फिर से रंगेहाथ वोटचोरी पकड़ी गई है। ये हम आपको आगे अपनी इस रिपोर्ट में बताएंगे।
दोस्तों, बिहार चुनाव को चौंका देेने वाले रिजल्ट सभी ने देखा, किसी को अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि कुछ ऐसा रिजल्ट आएगा, तमाम एक्टिज पोल और सर्वे फ्लाप हो गए और न सिर्फ बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला बल्कि जो सबसे चौंका देने वाली बात भी कि आखिर बीजेपी का स्ट्राइक रेट 90 प्रतिशत कैसे आ गया, और यही से एसआईआर को लेकर सवाल उठना शुरु हुआ। केरल कांग्रेस ने इस लिस्ट 202 सीटों की लिस्ट जारी करके ये ऐलान किया कि 128 सीटें ऐंसी हैं जिनपर एसआईआर ने एनडीए को जीत दिलाई है। तर्क ये था कि जिस 128 सीटों पर एसआईआर में वोट काटे गए हैं वहां एनडीए जीत गई और आपको बात दें कि मामला सिर्फ यही तक सीमित नहीं रहा बल्कि एक और चौंका देने वाला खुलासा सामने आया एक दो नहीं बिहार विधान सभा की करीब 13 सीटें ऐसी है जिन पर एक लाख 12 हजार चार सौ कुछ वोट बीजेपी विधायकों को मिलें हैं, और इन 13 सीटों में सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा की सीट का भी नाम है ।
कुछ विधायक ऐसे भी है कि जिन को एक लाख से उपर वोट मिले हैं। इनको भी कुल मिले वोटर्स की संख्या लगभग बराबर है। सवाल यह हैं कि देश में अब तक इतने चुनाव हुए लेकिन एक जैसा आंकड़ा न कभी देखा गया और न कभी सुना गया। और आपको बता दें कि इन में ज्यादातर वही सीटें हैं जिन को लेकर पहले कांग्रेस के राजीव शुक्ल ने दावा किया था कि 12 से 13 मंत्री चुनाव में न सिर्फ बुरी तरह से हार रहे हैं और जब रिजल्ट आया तो सभी जीते और सबसे बड़ा कमाल ये हो गया है कि कई एनडीए के मंत्रियों के वोट लगभग-लगभग एक बराबर ही पाए गए। ऐसे में सवाल यह हुआ कि ये कैसे संभव है और क्या इसके पीछे कोई बडा खेल है या फिर ये सिर्फ एक आंकडा है। वैसे इस आकंडे़े को देखकर हर कोई अचंभित है तो कांग्रेस ने सवाल उठा दिया कि ये वोटचोरी का मामला लगता है। ये ईवीएम हैक का मामला लगता है, आखिर कैसे एक दो नहीं 13- 13 विधायकों को लगभग एक बराबर वोट मिल सकते हैं, ये सिर्फ और सिर्फ सेटिंग से ही संभव है।
सुना आपने कि पप्पू यादव का साफतौर पर कहना है कि ये सीधे सीधे ईवीएम और साफ्टवेयर का कमाल है वरना कैसे 13 विधायको के एक जैसे ही नंबर क्यों मिले। आपकेा बता दें कि ये सवाल अपने आप में न सिर्फ बहुत चौंका देने वाला है बल्कि शक की गुंजाईश को भी पैदा करता है और अगर इस सबको छोड़ दिया जाए तो बीच चुनाव में हर विधान सभा में औसत 57 हजार महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपए जा रहे हैं क्या ये सीधे नोट के बदले वोट का खेल नहीं है और कैसे ये सबकुछ हुआ, चुनाव अयोग कहां सोया था और ऐसे में हर विपक्षी पार्टी सवाल उठा रही है और जनता की नजर में चुनाव अयोग की साख को बट्टा लग रहा हैं।
ऐसे में चुनाव अयोग न सिर्फ अपने को निष्पक्ष साबित करने में कहीं न कहीं फेल साबित होता दिख रहा है बल्कि बीजेपी वाले नरेटिव यानि कि राहुल गांधी के खिलाफ मैदान में उतर पड़ा हैं आपको बता दें कि राहुल गांधी को एक नहीं देश के 272 पूर्व अफसर और जजों ने एक लेटर लिखा है और इसमें राहुल गांधी से सीधा सवाल किया है कि आप चुनाव अयोग पर सीधा सवाल उठा कर देश के लोकतांित्रक ढांचे को नुकसान पहुंचा रहे है।
जैसा कि आपने देखा कि खबर की हेडलाइन से ही साफ है कि 272 देश के मानिंद लोगों ने चिट्ठी लिखी है और लेटर में राहुल गांधी पर सवाल उठाए हैं। ‘Assault on National Constitutional Authorities’ नाम के टाइटल वाले पत्र में कहा गया कि कुछ विपक्षी नेता जहरीली बयानबाजी और बिना सबूत के आरोपों के जरिए यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि देश की संस्थाएं ठीक तरह काम नहीं कर रहीं। साइन करने वालों ने आरोप लगाया कि सेना, न्यायपालिका और संसद के बाद अब कांग्रेस का निशाना चुनाव आयोग है। पत्र में कहा गया कि राहुल गांधी बार-बार वोट चोरी के आरोप लगाते रहे, लेकिन उन्होंने आज तक कोई आधिकारिक शिकायत या एफिडेविट जमा नहीं किया. उनके 100 प्रतिशत प्रूफ, एटम बम और देशद्रोह जैसे दावों को भी बिना आधार बताया गया है।
पूर्व अधिकारियों ने कहा कि कांग्रेस, विपक्ष और उससे जुड़े संगठन बार-बार चुनाव आयोग को बीजेपी की बी-टीम बताकर बदनाम करते रहे, जबकि ईसीआई लगातार अपने तरीके, डेटा और प्रक्रियाएं सार्वजनिक कर रही है। पत्र में लिखा गया कि अदालत की निगरानी में हुई जांच, प्रकाशित डेटा और हटाए गए अवैध नाम इस तरह के आरोपों को गलत साबित करते हैं। अब आपको बता दें कि यहां से सवाल शुरु होता है कि सवाल यह है कि ये 272 लोग कौन हैं और क्यों इनको अचानक इलेक्शन कमीशन की याद आई। इन लोगों को उस समय इलेक्शन कमीशन की याद क्यों नहीं आई जब पीएम साहब और उनके चाणक्य जी ने अपने मन से चीफ इलेक्शन कमिशनर को नियुक्त करने की समिति में बदलाव कर दिया और सीजेआई को पैनल से बाहर करके खुद अपने मंत्री को चयन समिति में रख दिया तब इन 272 महानुभावों को लेटर लिखने की जरुर मोदी सरकार को नहीं पड़ी।
कि इससे इलेक्शन कमीशन कमजोर हो जाएगा, साथ ही इलेक्शन कमीशन पर सवाल उठने खड़े हो जाएंगे लेकिन ये 272 महानुभाव तब तो चुप बैठे रहे । जब हरियाणा हाईकोर्ट ने वोटिंग का वीडियो और फोटो ग्राफी देने को कहा तो बीजेपी और इलेक्शन कमीशन ने रातों रात वीडियो ग्राफी और फुटेज देने के लिए निजता का मामला बनाकर उसके लिए अगल से नियम बना दिए लेकिन तक भी ये 272 लोग नहीं आए और जहां तक राहुल गांधी के सवाल है तो राहुल गांधी ने सार्वजनिक रुप से प्रेस कॉन्फ्रेंस की और एक एक सबूत रखे, इलेक्शन कमीशन भी प्रेस करे और कह दे कि वोटर लिस्ट में जो राहुल गांधी ने खामियां गिनाई हैं वो गलत है लेकिन क्योंकि वोटर लिस्ट में खामियां है और ये न सिर्फ खामी है बल्कि इसके पीछे खेल भी है, इसलिए शायद चुनाव अयोग सामने नहीं आता है। खेल हम इसलिए भी कह रहे है कि पिछले दिनों बिहार के चुनाव में कम से कम बीजेपी के एक नहीं आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे नेता सामने आए जिन्होंने बिहार के अलावा दूसरे राज्यों में भी वोट दिए थे।
और इस से तस्वीर साफ हो गई कि जो वोटर लिस्ट में नाम गलत हैं वो कहीं कहीं खेल का हिस्सा है। लेकिन एक सवाल कि इस 272 लोगों को सिर्फ और सिर्फ राहुल गांधी की गलती दिखती है और वो इसलिए कि इसके पीछे कहीं न कहीं चुनाव अयोग की पूरी तैयार की गई व्यूहरचना है। अगर यह मान भी लिया जाए कि बिहार एसआईआर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ था तो कैसे बीजेपी के आधा दर्जन लोगों ने वोट डाल दिया और क्यों नहीं सुप्रीम कोर्ट ने इसको स्वतः संज्ञान लेते हुए ज्ञानेश जी और उनके विभाग को लतब किया।
ऐसे में साफ है कि ये 272 वही लोग है जो ज्ञानेश या फिर पीएम साहब और उनके चाणक्य जी या उनके दैवीय संगठन यानि कि आरएससए के लोग काम कर रहे हैं। क्योंकि अगर ये राहुल गांधी की कुछ प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठा रहे हैं तो इसको आकर साबित करना चाहिए कि जो राहुल ने डेटा वोटर लिस्ट का रखा है वो गलत है लेकिन क्योंकि ये लोग इशारों पर काम करने वाले हैं इसलिए ऐसा बिल्कुल नहीं करेंगे। बस लेटर लिखकर वोटचोरी और एसआईआर जैसे मुद्दों को खत्म कर देना चाहते हैं।
ऐसे में साफ है कि ये जो 272 लोग है ये वहीं लोग हैं जो या तो संघ से जुड़े हैं या फिर कोई ज्ञानेश जी और मोदी शाह के चाहने वाले। वरना, वाई कुरैशी हो या फिर कई पुराने चुनाव आयुक्त सब ये मान रहे है कि ये चुनाव अयोग का फेलोअर है और ऐसे में ज्ञानेश की को राजनीति की तरह कैंपेनिंग नहीं करनी होगी बल्कि जनता के बीच जाकर ये साबित करना होगा कि वो किसी की बी पार्टी नहीं हैं और ये साबित होगा निष्पक्ष मतदान से, निष्पक्ष वोटर लिस्ट से और निष्पक्ष प्रक्रिया से। क्यों नहीं ज्ञानेश जी ने बंगाल और तमिलनाडू से बिहार चुनाव में फोर्स बुलाई क्या वहां फोस नहीं थी।
ऐसे में साफ है कि ये 272 लोग वही है जो कांग्रेस और राहुल गांधी के वोटचोरी और एसआईआर के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर देना चाहते हैं और चाहतेे हैं। आपको बाता दें कि एक ओर जहां ज्ञानेश जी 272 वाला खेल खेल रहे हैं वहीं बीजेपी को प्लान बी भी तैयार बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कुछ ही दिन में बिहार में महाराष्ट्र का उद्वव ठाकरे वाला मॉडल आएगा और ये दावा पूर्व बीजेपी लीडर यशवंत सिन्हा है, जिसको लेकर हड़कंप मचा हुआ है।



