प्रदेश में बढ़ा है महिलाओं का उत्पीड़न : अखिलेश
- बोले- हर मुद्दे पर भाजपा सरकार को घेरेगी सपा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। मानसून सत्र के पहले सपा मुख्यालय पर विधानमंडल दल की बैठक में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने सभी विधायकों को पार्टी की रणनीति समझाई। प्रदेश में महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार पर चर्चा हुई साथ ही निर्णय लिया गया कि मानूसन सत्र में इस पर सरकार को घेरा जाएगा।
इस दौरान शिवपाल सिंह यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य, माता प्रसाद पांडेय, लालजी वर्मा, राम अचल राजभर समेत विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों ने हिस्सा लिया। दो घंटे तक चली बैठक में विधायकों की ओर से बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, बिजली संकट, प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था, किसानों की समस्या, सूखा, खाद की कमी, गन्ना मूल्य का बकाया, बुलडोजर और सांडों के आतंक की समस्या को रखा गया। विधायकों ने कहा कि इन समस्याओं को सदन में प्रमुखता से उठाया जाना चाहिए, ताकि आम जनता की आवाज को बुलंद किया जा सके। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बैठक में ये तय हुआ कि सोमवार को दोनों सदनों में मणिपुर हिंसा की घटना को प्रमुखता से उठाया जाएगा। उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को इस घटना से जोड़ते हुए ध्यान आकर्षित किया जाएगा। पार्टी के विधायक सदन में मणिपुर की घटना पर निंदा प्रस्ताव पास करने और इसे केंद्र को भेजने का दबाव बनाएंगे। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराहट तय मानी जा रही है।
मुंबई बैठक में सीट बंटवारे के फॉर्मूला में सपा की भूमिका अहम
इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच लोकसभा सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला सबसे अहम माना जा रहा है। इस लिहाज से जहां 31 अगस्त से मुंबई में होने वाली इंडिया की बैठक अहम होगी, वहीं यूपी में भी पश्चिम बंगाल और बिहार में सीटों के बंटवारे के तरीकों पर काफी कुछ निर्भर करेगा। इंडिया के सबसे मजबूत घटक दल सपा की नजर अब इसी फॉर्मूले पर है। विपक्षी समावेशी गठबंधन इंडिया के जुलाई में हुए बंगलुरु सम्मेलन में 26 विपक्षी दल जुटे। 31 अगस्त व एक सितंबर को इंडिया की तीसरी बैठक मुंबई में होने जा रही है। जिसकी मेजबानी मुख्य रूप से शिवसेना (यूबीटी) करेगी। जबकि, राकांपा और कांग्रेस सहयोगी की भूमिका में रहेंगे। इस गठबंधन की सफलता के लिए दो अहम मुद्दे हैं। एक ये कि संयोजक कौन होगा और दूसरा ये कि सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला क्या होगा। सूत्रों के मुताबिक, आहिस्ता-आहिस्ता ये दल इन मुद्दों पर सर्वमान्य हल निकालने की दिशा में आगे बढऩे का प्रयास कर रहे हैं, ताकि इंडिया को मजबूती दी जा सके। यूपी में समाजवादी नेतृत्व भी इस पर मंथन कर रहा है। क्योंकि, यहां सीटें छोडऩे पर सबसे ज्यादा अंसतोष सपा के ही कार्यकताओं और नेताओं में पैदा होगा।