शिंदे-फडणवीस के बीच भारी तकरार, टेंशन में दिखे मोदी-शाह!

एकनाथ शिंदे ने इसी हफ्ते की शुरुआत में एक रैली के दौरान बीजेपी पर खुलकर निशाना साधा। अब देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे पर पलटवार किया है। एकनाथ शिंदे ने भाजपा पर रावण वाला तंज कसा था।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों महाराष्ट्र की महायुति सरकार में इन दिनों सबकुछ सही नहीं चल रहा है। एक तरफ जहां BMC चुनाव की तैयारियां चल रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ महायुति में आपसी कलह बढ़ती जा रही है।

कई मौकों पर ऐसा देखा जा चुका है जब नेताओं ने अपने सहयोगी दलों पर खुलकर हमला बोला है। आलम ये है कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी आमने-सामने आ गए हैं। जी हाँ सही सुना आपने। अभी के मौजूदा माहौल को देखते हुए यह ज़रूर लगता है कि महायुति सरकार जल्द ही डगमगा सकती है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच तनाव अब खुलकर सामने आ रहा है।

एकनाथ शिंदे ने इसी हफ्ते की शुरुआत में एक रैली के दौरान बीजेपी पर खुलकर निशाना साधा। अब देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे पर पलटवार किया है। एकनाथ शिंदे ने भाजपा पर रावण वाला तंज कसा था। देवेंद्र फडणवीस ने उसी का जवाब देते हुए कहा कि जो लोग हमारे बारे में बुरा बोलते हैं, उन्हें नज़रअंदाज़ करें। वे कह सकते हैं कि वे हमारी लंका जला देंगे। हम लंका में नहीं रहते। हम राम के भक्त हैं, रावण के नहीं।

इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि चुनाव के दौरान ऐसी बातें कही जाती हैं, इसे दिल पर न लें। उन्होंने आगे कहा कि हम वही हैं जो जय श्री राम का नारा लगाते हैं। कल ही हमने अयोध्या में राम मंदिर में धर्म ध्वजा का अनावरण किया। हम भगवान राम की पूजा करने वाली पार्टी हैं। हम लंका जला देंगे। आपको बता दें कि फडणवीस पालघर ज़िले में नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों के लिए एक चुनावी रैली के दौरान दहानु में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। यह वही जगह है जहां शिंदे ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए रावत बताया था।

पालघर में अपने पार्टी उम्मीदवार के लिए प्रचार करते हुए शिवसेना नेता शिंदे ने बिना नाम लिए भाजपा की तुलना रावण से की थी। शिंदे ने कहा था कि रावण भी अहंकारी था, इसलिए उसकी लंका जला दी गई। आपको भी 2 दिसंबर यानी मतदान के दिन को ऐसा ही करना होगा। पालघर चुनावों में, शिवसेना ने भाजपा से मुकाबला करने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दोनों धड़ों को साथ लिया है, जो शिंदे के अनुसार, निरंकुश है। उन्होंने कहा कि हम सब एक साथ आए हैं, हम निरंकुशता, अहंकार के खिलाफ एक साथ आए हैं।

हालांकि इन सभी इस बयानबाजी से एक बात तो साफ़ है कि शिंदे और सीएम फडणवीस के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं। डोंबिवली कल्याण में शिंदे के बेटे श्रीकांत के करीबी माने जाने वाले शिवसेना के कुछ पूर्व पार्षदों को भाजपा में शामिल करने के बाद से फडणवीस और शिंदे के बीच तनाव बढ़ गया है। शिवसेना ने इस मुद्दे पर साप्ताहिक कैबिनेट बैठक का बहिष्कार किया था और इस मुद्दे को उठाने के लिए फडणवीस से मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा शिवसेना के उदाहरण का अनुसरण कर रही है, क्योंकि शिवसेना ने उल्हासनगर से भाजपा पदाधिकारियों को पार्टी में शामिल किया है। शिंदे फडणवीस के जवाब से खुश नहीं थे और उन्होंने दिल्ली जाकर भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह से राज्य भाजपा की शिकायत की।

आपको बता दें कि महायुति में बाहर से सब ठीक दिख रहा था, लेकिन अंदरूनी तौर पर बड़े मतभेद स्पष्ट हो गए. शिंदे गुट की नाराजगी के पीछे कई घटनाएं जिम्मेदार बताई जा रही हैं. नगरपालिका चुनावों के लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख खत्म हो चुकी है. राज्य की 246 नगरपालिकाओं और 42 नगर पंचायत चुनावों में कुछ जगह महायुती गठबंधन तो कुछ जगह घटक दल अकेले चुनाव लड़ते दिखाई दे रहे हैं. कई नगरपालिकाओं में बीजेपी ने शिवसेना शिंदे गुट के उम्मीदवारों को अपने पक्ष में शामिल कर उन्हें टिकट दिया.

इसी कारण बीजेपी और शिंदे की शिवसेना के बीच राजनीतिक संघर्ष बढ़ गया है. अभी हाल ही की बात करें तो कैबिनेट बैठक से पहले शिवसेना की प्री-कैबिनेट बैठक हुई. उसके बाद राज्य मंत्रिमंडल की बैठक थी. लेकिन इस बैठक में एकनाथ शिंदे को छोड़कर शिवसेना का एक भी मंत्री मौजूद नहीं था. जब शिंदे गुट के मंत्री गुलाबराव पाटील से इसका कारण पूछा गया, तो उन्होंने कहा “एकनाथ शिंदे ने हमें स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव के लिए आंकड़े और डेटा इकट्ठा करने को कहा है.”

अब राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहा है कि इतनी जरूरी कौन-सी रणनीति थी कि शिंदे गुट को कैबिनेट बैठक छोड़नी पड़ी? कैबिनेट बैठक के बाद शिंदे गुट के सभी मंत्री, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कमरे में पहुंचे और वहां बीजेपी को लेकर तीखी नाराजगी जताई. हालांकि शिंदे गुट के नाराजगी की अगर बात की जाए तो कई वजह हैं। बीजेपी, शिवसेना शिंदे गुट के नेता, नगरसेवक और पदाधिकारियों को अपने दल में शामिल कर रही है. विधानसभा चुनाव में जिनके खिलाफ शिवसेना ने चुनाव लड़ा था, उन्हीं उम्मीदवारों को अब बीजेपी में शामिल किया जा रहा है. शिंदे गुट के कई नेताओं और पालकमंत्रियों को भरोसे में लिए बिना निर्णय किए जा रहे हैं और फंड भी सीधे अन्य लोगों को दिया जा रहा.

स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव में बीजेपी गठबंधन के नियमों का पालन नहीं कर रही है. विकास कार्यों के लिए फंड प्राप्त करने में भी शिवसेना और शिंदे गुट के मंत्रियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. धाराशिव जिले में एकनाथ शिंदे के विभाग को दरकिनार करते हुए बीजेपी के राणा जगजीतसिंह को सीधे फंड दिया गया. एकनाथ शिंदे के कई फैसलों को रद्द किया गया. संभाजीनगर, कल्याण-डोंबिवली, अंबरनाथ, कोकण इन जगहों पर बीजेपी ने ऐसे नेताओं को शामिल किया जहा. गठबंधन का धर्म नहीं निभाया गया. पिछले कई दिनों से महायुती में भारी आंतरिक मतभेद की चर्चा है. इन घटनाओं से शिंदे गुट में भारी असंतोष था. आज तक शिंदे गुट का कोई मंत्री कैबिनेट बैठक से अनुपस्थित नहीं रहा था. पहली बार ऐसा हुआ, इसलिए माना जा रहा है कि नाराजगी बहुत गहरी है.

हालांकि एक तरफ जहां शिंदे और फडणवीस की आपसी बयानबजी सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी है तो वहीं दूसरी तरफ एक पोस्टर के वायरल होने के बाद शिंदे से भाजपा की खटास और भी ज्यादा बढ़ गई है। दरअसल एक चुनावी बैनर को लेकर सियासी घमासान मचा है. इसे लेकर शिवसेना (UBT) के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और उनके गुट पर तीखा हमला बोला है. दरअसल सोशल मीडिया पर इन दिनों एक चुनावी बैनर वायरल है, जिसमें एकनाथ शिंदे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी तीनों एक साथ नजर आ रहे हैं. दानवे ने यह फोटो शेयर कर शिंदे पर सीधा प्रहार किया. उन्होंने आरोप लगाया कि ‘बालासाहेब के विचारों’ को खूंटी पर टांग दिया है.

इस बैनर को शेयर करते हुए दानवे ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर यह बैनर शेयर किया है. इस बैनर में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी तीनों के फोटो एक साथ दिखाई दे रहे हैं. खास बात यह है कि बैनर पर शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का ‘धनुष-बाण’ चुनाव चिह्न भी साफ दिखाई दे रहा है. यह बैनर उमरगा नगरपरिषद चुनाव के प्रचार से जुड़ा है. इस पर लिखा है कि शिवसेना-कांग्रेस-लहुजी शक्ति सेना-रयत क्रांती और मित्र शहर विकास पैनल के नगराध्यक्ष पद और प्रभाग क्रमांक 2 के अधिकृत उम्मीदवार. इससे स्पष्ट होता है कि स्थानीय स्तर पर महायुती में असामान्य और उलझे हुए राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं.

दानवे ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “कांग्रेस नहीं चलेगी कहकर छाती ठोकते हुए सूरत-गुवाहाटी-गोवा घूम आए और अब नाक कटवा ली. अब देखो! साजिशकर्ता एकनाथ शिंदे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी एक ही बैनर पर. वह भी धनुष-बाण चिन्ह के साथ! संक्षेप में, दिल्लीशासकों के डर से ‘बालासाहेब के विचारों’ को खूंटी पर टांग दिया है. इसे ही कहते हैं पैरों तले अंधेरा!” दानवे ने यह पोस्ट अमित शाह और महाराष्ट्र भाजपा को भी टैग की है. दानवे ने आरोप लगाया कि शिंदे गुट ने बगावत करते समय कहा था कि वे बालासाहेब के विचारों की रक्षा कर रहे हैं, लेकिन अब वही कांग्रेस नेताओं के साथ बैनर पर दिख रहे हैं.

इस घटनाक्रम के कारण भाजपा-शिंदे गुट की महायुती और स्थानीय स्तर पर बनाए जा रहे राजनीतिक समीकरण दोनों पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गए हैं. कई जगहों पर महायुती में रहते हुए भी स्थानीय चुनावों में कांग्रेस से तालमेल बनते दिखाई दे रहा है, और इसी मुद्दे को लेकर शिंदे गुट पर जबरदस्त राजनीतिक निशाना साधा जा रहा है. गौरतलब है कि जिस तरह से महायुति में नेताओं की आपसी कलह सामने आ रही है इससे एक बात तो तय है कि आगामी BMC चुनाव भाजपा गठबंधन के लिए आसान नहीं होने वाला है। और इसका फायदा सीधा विपक्ष को पहुँचने वाला है।

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