राम व मानस के बाद हनुमान से आस

जयंती के बहाने वोटों पर नजर

  • भाजपा व कांग्रेस की चुनावी तैयारी
  • मोदी ने याद दिलाया कार्यकर्ताओं का बल
  • राहुल ने कहा गदा से तोड़ेंगे सता का अंहकार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। राम, रामसेतु, राममंदिर, रामचरित मानस के बाद अब राजनीति के गलियारे में हनुमान जी की एंट्री हो गई है। बीजेपी के स्थापना दिवस पर पीएम मोदी भाजपा कार्यकर्ताओं को भगवान हनुमान जी की तरह उनके बल को याद दिलाकर सत्ता को पुन: प्राप्त करने के मंत्र दे रहे है। तो वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी हनुमान जी की गदा के सहारे सत्ता पर काबिज लोगों को खदेड़ कर खुद अपनी पार्टी को शीर्ष पर पंहुचाना चाहते हैं। जनता सबको देख रही है पर वह क्या करेगी इसका अंदाजा 24 के चुनाव के नतीजे के बाद पता चलेगा।
देश के अलग-अलग राज्यों में गुरुवार को हनुमान जयंती मनाई जा रही है। सोशल मीडिया से लेकर मंदिरों और अलग-अलग जगहों पर बड़े कार्यक्रम हो रहे हैं। एक तरह से हनुमानजी को अपना प्रेरणा स्रोत बताते हुए उनकी न सिर्फ पूजा अर्चना कर रहे हैं, बल्कि मंदिरों में सुंदरकांड और हनुमान चालीसा भी पढ़ी जा रही है। हनुमान जयंती पर इन आयोजनों के बीच सियासी अखाड में भी हनुमानजी के नाम की जोर आजमाइश चल रही है। भाजपा जहां हनुमानजी की अलौकिक शक्तियों के साथ उनकी खासियतों से अपनी पार्टी को जोड़ रही है, वही कांग्रेस भी सोशल मीडिया पर हनुमान भक्ति में लीन दिखी। भाजपा के स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने जहां हनुमानजी को हनुमान दादा कहकर संबोधित किया, वहीं कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने हनुमान जी की गदा का फोटो लगाकर अपनी आस्था और गदा के सांकेतिक अर्थ भी साझा किए। प्रधानमंत्री मोदी ने हनुमानजी को हनुमान दाद कहा हनुमान जयंती पर कांग्रेस से लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी से लेकर तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी शुभकामनाएं दीं। लेकिन सियासी मैदान के महारथियों की ओर से दी जाने वाली शुभकामनाओं में ऐसे सियासी संदेश चुके थे, जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में अब चर्चा होनी शुरू हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भाजपा के स्थापना दिवस पर अपने भाषण की शुरुआत ही हनुमानजी की शक्तियों और उनकी विशेषताओं को लेकर की। ठीक इसी तरह भाजपा भी इन समस्याओं से मुकाबला करने के लिए मजबूती के साथ संकल्प बद्ध है। अपने भाषण के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हनुमानजी को हनुमान दाद कहकर संबोधित करते हुए उनके आशीर्वाद की कामना की और जनता जनार्दन को ईश्वर का रूप बताया।

जनता की पैनी नजर

सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि कांग्रेस और भाजपा समेत आम आदमी पार्टी और अन्य ने पार्टी के नेताओं की ओर से हनुमान जयंती पर दी गई बधाईयों के कितने सियासी मायने हैं। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि सिर्फ हनुमान जयंती ही नहीं तमाम अन्य जयंतियों पर लगातार देखा जाता है कि राजनीतिक दल अपने अपने सियासी एजेंडे के साथ दिखते हैं। सियासी विश्लेषकों का कहना है कि प्रभु श्रीराम के साथ-साथ हनुमानजी और अन्य देवी देवताओं का सियासत में पहले से राजनैतिक दल अपने राजनैतिक लाभ के लिए इनका इस्तेमाल करते आए है। हालांकि कोई भी राजनीतिक दल इसे राजनीतिक तौर पर प्रकट नहीं करता है, बल्कि उसे आस्था के रूप में देश की जनता के बीच लेकर जाता है। जनता को इस बात का पूरा अंदाजा होता है कि किस भाव से देवी देवताओं का नाम लिया जा रहा है।

राहुल गांधी गदा के साथ आए

हनुमान जयंती पर कांग्रेस के राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं दी। हालांकि जिस अंदाज में राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर हनुमान जयंती की शुभकामनाएं दी हैं, उसे लेकर भी सियासी गलियारों में अलग-अलग तरह की चर्चाएं हैं। दरअसल राहुल गांधी ने हनुमान जयंती पर हनुमानजी की कोई भी तस्वीर ना पोस्ट करते हुए उनकी गदा को पोस्ट किया है। अब राहुल गांधी की गदा पोस्ट करने के बाद चर्चाएं हो रही हैं कि क्या राहुल गांधी ने हनुमान जी की गदा के माध्यम से सियासी युद्ध के उद्घोष का संदेश दिया है। कांग्रेस पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि हनुमानजी और उनकी गदा कि सियासी मायने निकालने का कोई मतलब नहीं है। उनका कहना है कि हनुमानजी की गदा अन्याय न सहने का वह संबल है, जो कि अन्याय की लड़ाई में न्याय की राह पर आगे चलता है। उनका कहना है जिस तरीके से रावण ने अधर्म को बढ़ावा देकर खुद को ही सर्वशक्तिमान मानते हुए अहंकारी हो गया, तो हनुमान जी की गदा ने रावण के अहंकार को तोड़ दिया था।

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