उफान पर तूफान, जाटलैंड में आक्रोश की ज्वाला

सतपाल मलिक के बाद जगदीप धनखड़ की पॉलिटिकल हत्या से नाराज हैं जाट समाज के लोग, कोई तमिल तो कोई बिहार से चाहता है उपराष्ट्रपति

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। इस्तीफा देने के बाद पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एकांतवास में है, सरकार ने चुप्पी साध ली है और विपक्ष शोर मचा रहा है। वहीं जाट समाज धनखड़ के इस्तीफे के बाद गुस्से में हैं और समाज ने नया नारा भी दे दिया है।
राजस्थान, हरियाणा के बाद यूपी के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस नारे की गूंज साफ सुनाई दे रही है। नारे में कहा गया है कि अगर भाजपा सिर्फ ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर की राजनीति करेगी, तो जाट समाज क्यों खड़ा रहेगा। महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने साफ कहा है कि अगर हमारे लोगों को सत्ता में लाकर अपमानित ही करना है तो हम बीजेपी के लिए वोट मशीन नहीं हैं।
जैसा कभी सतपाल मलिक के साथ हुआ था उसी प्रकार से इस बार जगदीप धनखड़ के साथ भी वैसा ही हो रहा है। सतपाल मलिक को याद कीजिए पूर्व राज्यपाल, जाट नेता, किसान आंदोलन के पक्षधर। उन्हें भी धीरे-धीरे साइडलाइन किया गया। अब जगदीप धनखड़ एक तेज़तर्रार जाट चेहरा, जो भाजपा के सबसे बड़ी वकीलों में गिने जाते थे उन्हें भी साइड लाइन किया जा चुका है। वर्ष 2019 में जब उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया था तब यही कहा गया कि संघ और सरकार उन्हें एक मजबूत और आक्रामक हिंदुत्व चेहरा बनाना चाहती है। लेकिन उपराष्ट्रपति बनते ही जैसे उनका स्वतंत्र सोच सरकार को खटकने लगा। जाट समाज खासकर राजस्थान और हरियाणा में इसे खुलेआम जाट अपमान कह रहा है। सोशल मीडिया पर जाट विरोधी सरकार और धनखड़ हटाओ तो वोट भूल जाओ कई दिनो से ट्रेंड कर रहा है।

समाज ने विरोध शुरू किया

जाट समाज ने तय किया है कि अब वह चुप रहकर वोट नहीं देगा बल्कि बोलकर विरोध करेगा। जाट समाज की सियासत में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब अपमान की पीड़ा महसूस की गई हो। युवा जाट नेता अब खुलकर इस मुददे पर बोल रहे है और सोशल मीडिया पर कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि अगर आपको वफादारी पसंद है तो गुलाम चाहिए न कि नेता। जाट समाज गुलामी के लिए पैदा नहीं हुआ है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अगर भाजपा इस नाराजगी को नजरअंदाज करती है तो राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी यूपी की सीटों पर इसका सीधा असर पड़ेगा।

हरियाणा राजस्थान में हडक़ंप

धनखड़ का इस्तीफा केवल एक पद का त्याग नहीं बल्कि भाजपा की जाट वोट बैंक को लेकर समझ का संकट उजागर करता है। इस्तीफे के बाद हरियाणा और राजस्थान जहां जाट समाज के लोग है में भयंकर नाराजगी देखी जा रही है। जाट समाज जो अभी तक बीजेपी की गोद में बैठा था अब राजस्थान में सचिन पायलट के साथ आ सकता है। धनखड़ का इस्तीफा इस पूरे समीकरण को को उलट सकता है। बात अगर हरियाणा की करे तो हरियाणा में सेना में अग्निपथ योजना को लेकर युवा जाट समाज पहले से ही उबाल पर है। धनखड़ के इस्तीफे ने इस उबाल में आग में घी का काम किया है और उन्हें मुह खोलने के लिए मजबूर किया है।

अब कौन बनेगा उपराष्ट्रपति इस पर नजर

दरअसल भाजपा का लक्ष्य अब धनखड़ की आकामकता से हटकर एक मैनेजेबल और चुपचाप आज्ञाकारी उपराष्ट्रपति चुनना बताया जा रहा है। वहीं लीक से हटकर कुछ राजनीतिक दल मांग कर रहे हैं कि उपराष्ट्रपति तमिलनाडू से होना चाहिए। कुल मिलाकर उपराष्ट्रपति तो चुना ही जाना है। अब वह नाम कौन होगा? इस फेहरिस्त में वर्तमान कर्नाटक राज्यपाल, दलित नेता थावरचंद गहलोत का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। वहीं सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल. मुरुगन जोकि तमिलनाडु से आते हैं युवा है और प्रचारक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं उन्हें भी उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है। वहीं बात अगर बिहार की करे तो हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा के उपसभापति है उन्हें बिहार चुनाव को देखते हुए प्रमोशन देने के भरपूर चांस है। वो जेडीयू कोटे से भी आते हैं। वहीं मखमली छवि के ओबीसी नेता रामनाथ ठाकुर जोकि कर्पूरी ठाकुर के पुत्र है और इस समय की सबसे बड़ी मांग ओबीसी को भी पूरा कर रहे हैं उन्हें भी उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है।

बिहार विधानसभा चुनाव बहिष्कार करेगा विपक्ष

वोटर लिस्ट रिवीजन पर तेजस्वी फिर भडक़े

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक संकट के और तेज़ होते जाने के बीच, विपक्ष के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने संकेत दिया है कि विपक्ष आगामी विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने पर विचार कर सकता है।
विपक्ष द्वारा संभावित बहिष्कार के बारे में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए, तेजस्वी ने कहा कि इस पर भी चर्चा हो सकती है। हम देखेंगे कि जनता क्या चाहती है और सबकी क्या राय है। तेजस्वी ने मौजूदा हालात में चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि इस प्रक्रिया में जानबूझकर हेराफेरी की गई है। उन्होंने कहा कि जब चुनाव ईमानदारी से नहीं हो रहे हैं, तो फिर हम चुनाव क्यों करा रहे हैं? चुनावों में हेराफेरी की गई है। उन्होंने भाजपा और चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में सुधार की आड़ में विपक्षी मतदाताओं को हटाने के लिए मिलकर काम करने का आरोप लगाया। चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए, तेजस्वी ने बिहार में मतदाता सूची से कथित तौर पर 52.66 लाख नाम हटाए जाने पर सवाल उठाए। उन्होंने इस दावे को चुनौती दी कि जनवरी से जून 2025 के बीच 18.66 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो गई थी और पूछा कि ये नाम पहले क्यों नहीं हटाए गए। उन्होंने पूछा, क्या चुनाव आयोग इससे पहले सो रहा था? उन्होंने इस दावे की सत्यता पर भी सवाल उठाया कि चार महीनों के भीतर 26.01 लाख मतदाता स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए, और कहा कि बिना भौतिक सत्यापन के यह बेहद असंभव है।

नीतीश भाजपा की कठपुतली बने : अख्तरुल ईमान

एआईएमआईएम बिहार के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा कि जिन गरीबों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है, जिन दलितों के पास अन्य प्रमाण पत्र नहीं हैं, उन्हें कहा जाएगा कि वे वोट देने के योग्य नहीं हैं? यह सुनिश्चित करना आपकी जिम्मेदारी है कि एक नागरिक राज्य का है। नीतीश कुमार निर्णय लेने में सक्षम नहीं हैं और विषय से बाहर की बातें करते हैं। वह भाजपा की कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं। सांसद संसद भवन मकर द्वार पर एकत्रित हुए और इस प्रक्रिया को रोकने की मांग की।

बिहार में तेजस्वी ने पहले ही हार मान ली : रामदास अठावले

बिहार एसआईआर के खिलाफ विपक्ष के विरोध पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, अगर वे (तेजस्वी यादव) चुनाव बहिष्कार की बात कर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि वे हार मान रहे हैं। बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पटना में बुधवार शाम कहा था कि विपक्ष विधानसभा चुनाव का बायकॉट कर सकता है। इसे लेकर महागठबंधन की सभी पार्टियों के बीच विचार करेंगे।

फिर सामने आई रेलवे की लापरवाही बड़ी दुर्घटना टली

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कटक। शालीमार-संबलपुर महिमा गोसाईं एक्सप्रेस का एक डिब्बा बृहस्पतिवार को संबलपुर रेलवे स्टेशन के करीब पटरी से उतर गया। हालांकि इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
पूर्वी तटीय रेलवे ने एक बयान में कहा कि यह घटना संबलपुर सिटी स्टेशन-संबलपुर जंक्शन के बीच हुई, जब ट्रेन बहुत धीमी गति से सुबह नौ बजकर 18 मिनट पर संबलपुर शहर से रवाना हुई। रेलवे के बयान में कहा गया है, ‘‘इस घटना में जान या माल के नुकसान की खबर नहीं है।’’ ट्रेन के गार्ड ने बताया कि ट्रेन की गति धीमी होने के कारण एक बड़ी घटना टल गयी। रेलवे अधिकारी और स्थानीय पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और यात्रियों को दूसरी बोगी में बैठाया गया।

मुंबई ट्रेन ब्लास्ट: सुप्रीम कोर्ट की हाईकोर्ट के फैसले पर रोक

3 दिन पहले 12 आरोपी बरी हुए, सुप्रीम कोर्ट बोला- फिलहाल दोबारा जेल भेजना जरूरी नहीं

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के मुंबई सीरियल ट्रेन ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर गुरुवार को रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने 21 जुलाई को सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया था। महाराष्ट्र सरकार ने इस फैसले के खिलाफ 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा, बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक से आरोपियों की जेल से रिहाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ट्रेन ब्लास्ट केस में 13 लोग आरोपी थे। 12 सभी रिहा हो गए हैं। एक आरोपी की मौत हो गई है। 11 जुलाई 2006 को मुंबई के वेस्टर्न सब अर्बन ट्रेनों के सात कोचों में सिलसिलेवार धमाके हुए थे। इसमें 189 पैसेंजर की मौत हो गई थी और 824 लोग घायल हो गए थे। सभी धमाके फर्स्ट क्लास कोचों में हुए थे।
घटना के 19 साल बाद यह फैसला आया है।जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट\ राज्य की ओर से सॉलिसिटर जनरलतुषार मेहता पेश हुए। फैसले के बाद जेल से रिहा हुए आरोपियों को सरेंडर करने का निर्देश देने का अनुरोध नहीं कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि फैसले पर रोक लगाई जाए।सुप्रीम कोर्ट बेंच ने बताया हमें सूचित किया गया है कि सभी आरोपियों को रिहा कर दिया गया है। ऐसे में उन्हें वापस जेल भेजने का कोई सवाल नहीं उठता।

अनिल अंबानी ग्रुप पर ईडी का एक्शन

3000 करोड़ के घोटाले को लेकर 50 जगहों पर छापेमारी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलांयस अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की बड़ी जांच शुरू कर दी है। अनिल अंबानी से जुड़ी 48-50 लोकेशन पर श्वष्ठ का सर्च ऑपरेशन चल रहा है।
बता दें कि ये कार्रवाई सीबीआई की तरफ से 2 एफआईआर दर्ज करने के बाद की जा रही है। जांच में सामने आया है कि इन कंपनियों ने बैंकों से लोन लेकर पैसों का गलत इस्तेमाल किया। उन्हें दूसरी कंपनियों में घुमाया और आम लोगों, निवेशकों और सरकारी संस्थाओं के साथ धोखा किया गया। कई बड़ी संस्थाओं ने भी श्वष्ठ के साथ इस जांच में जानकारी शेयर की। इसमें नेशनल हाउसिंग बैंक, , नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी और बैंक ऑफ बड़ौदा शामिल हैं। ईडी की शुरुआती जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। बताया जा रहा है कि साल 2017 से 2019 के बीच यश बैंक से 3000 करोड़ का लोन लिया गया, जिसे बाद में दूसरी कंपनियों में घुमा दिया गया. इतना ही नहीं लोन पास कराने के लिए यश बैंक के अधिकारियों और प्रमोटर्स को रिश्वत देने की बात भी सामने आ रही है।

देशभर में एक साथ 50 जगहों पर रेड

केंद्रीय जांच एजेंसी इस पूरे मामले में आज देशभर में 48-50 जगहों पर रेड कर रही है। ईडी को जांच में ये भी पता चला है कि यश बैंक ने राग कंपनियों को लोन देते वक्त अपने ही नियमों की धज्जियां उड़ा दीं। लोन से जुड़े सारे जरूरी कागजात बैकडेट में तैयार किए गए।

 

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