देश के कई राज्यों में मलेरिया और फ्लू के मामले बढ़े, लक्षणों में फर्क पहचानना जरूरी
विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर सही पहचान और इलाज न होने पर ये बीमारियां गंभीर और जानलेवा साबित हो सकती है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: देश के कई राज्यों में इन दिनों मलेरिया और फ्लू में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। दोनों ही बिमारियां शुरूआत में सिर दर्द, तेज बुखार, कमजोरी जैसे सामान्य लक्षणों के साथ सामने आती है। जिससे आम लोग इनके बीच फर्क नहीं लगा पाते हैं, और इलाज में देरी हो जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर सही पहचान और इलाज न होने पर ये बीमारियां गंभीर और जानलेवा साबित हो सकती है।
मलेरिया का कारण है प्लाज़्मोडियम नामक पैरासाइट, जो एनोफिलीज़ मच्छर के काटने से शरीर में प्रवेश करता है. यह बीमारी ज्यादातर उन इलाकों में फैलती है जहां साफ-सफाई की कमी और गंदा पानी जमा रहता है. कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, बच्चे और प्रेग्नेंट महिलाएं मलेरिया की चपेट में जल्दी आते हैं. दूसरी ओर, फ्लू एक इन्फ्लुएंजा वायरस से फैलने वाला रोग है, जो खांसने-छींकने या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है. मौसम बदलने पर खासतौर पर फ्लू के मामले तेजी से बढ़ते हैं. बुजुर्ग, छोटे बच्चे और पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे लोग फ्लू के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं. दोनों ही बीमारियां लापरवाही बरतने पर गंभीर रूप ले सकती हैं.
मलेरिया और फ्लू के लक्षणों में अंतर क्या है?
डॉ. बताते है कि मलेरिया और फ्लू दोनों की शुरुआत बुखार और थकान से होती है, लेकिन लक्षणों में अंतर साफ दिखाई देता है. मलेरिया में मरीज को ठंड लगना, अचानक तेज बुखार आना, अत्यधिक पसीना आना, सिरदर्द और उल्टी जैसी शिकायतें होती हैं. बुखार अक्सर हर 48 से 72 घंटे के गैप पर आता है. अगर समय पर इलाज न मिले तो मलेरिया लिवर, किडनी और दिमाग तक को प्रभावित कर सकता है.
वहीं, फ्लू में अचानक तेज बुखार के साथ नाक बहना, गले में खराश, खांसी, थकान, कमजोरी, शरीर और मांसपेशियों में दर्द महसूस होता है. फ्लू के लक्षण सामान्य वायरल जैसे लगते हैं, लेकिन यह संक्रमण जल्दी फैलता है और कई बार सांस लेने में तकलीफ भी पैदा कर सकता है. मलेरिया और फ्लू के बीच सबसे बड़ा फर्क यह है कि मलेरिया पैरासाइट से और फ्लू वायरस से फैलता है. इसके अलावा मलेरिया का बुखार गैप में आता है, जबकि फ्लू के लक्षण लगातार बने रहते हैं. यही वजह है कि डॉक्टर लक्षणों की बारीकी से जांच करने पर जोर देते हैं ताकि सही इलाज समय पर हो सके.
कैसे करें बचाव
आपको बता दें,कि अपने स्वस्थ्य को बचाने के लिए आप अपने आसपास पानी इकट्ठा न होने दें. मच्छरदानी और रिपेलेंट का इस्तेमाल करें. मौसम बदलते समय खानपान पर ध्यान दें. भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनें. हाथों को बार-बार धोएं और साफ रखें. बुखार की स्थिति में तुरंत जांच करवाएं. डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न लें.


