पीओके पर कब्जा कर आतंकियों का सफाया करे भारत सरकार: संजय सिंह

संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ट्रंप के दबाव में सुनहरा मौका गंवा दिया. पीओके को कब्जा करने और बलूचिस्तान को पाकिस्तान के नक्शे से अलग करने का मौका गंवा दिया.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः ऑपरेशन सिंदूर के एक महीने पूरे होने पर आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई. शनिवार (7 जून) को उन्होंने कहा कि सरकार ये स्पष्ट कर चुकी है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है. इस ऑपरेशन की शुरुआत प्रधानमंत्री और बीजेपी के लिए वोट मांगने के लिए नहीं हुई थी. वोट बैंक की पॉलिटिक्स के लिए इसकी शुरुआत नहीं हुई थी.

संजय सिंह ने कहा, “आज भी वो खूंखार आतंकवादी जिन्होंने पहलगाम में हमारी बहनों के सिंदूर उजाड़े, अभी तक गिरफ्तार नहीं किए गए, मारे नहीं गए. ऑपरेशन सिंदूर का जो लक्ष्य था, पीओके पर कब्जा करना, आतंकी ठिकानों को पूरी तरीके से समाप्त करना, उसको भारत सरकार पूरा करे. प्रधानमंत्री ऐसी इच्छाशक्ति दिखाएं मैं यही उम्मीद करता हूं.”

आप सांससद ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री के सामने जो एक सुनहरा मौका था पीओके को कब्जा करने का, 21 आतंकी ठिकानों को पूरी तरह से नेस्तनाबूद करने का, बलूचिस्तान को पाकिस्तान के नक्शे से अलग करने का, वो मौका ट्रंप के दबाव में उन्होंने गंवाया है, ये प्रश्न भी आज एक महीने पूरे होने के बाद प्रधानमंत्री जी से पूछना चाहता हूं. जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. एक नहीं दस बार ट्रंप ने खुलेआम कहा कि उन्होंने व्यापार बंद करने की धमकी के नाम पर लड़ाई रुकवाई, सीजफायर कराया है.”

सुप्रिया सुले ने शुक्रवार (6 जून) को कहा कि संसद के विशेष सत्र की मांग का सही समय नहीं है. इस पर संजय सिंह ने कहा, “किस समय को आप सही मानते हैं, नहीं मानते हैं, ये उनके दल की प्राथमिकता हो सकती है. लेकिन देश ये जानना चाहता है कि सेना के सबसे बड़े अधिकारी सीडीएस महोदय ने जो सवाल उठाए हैं कि विमान गिरे तो क्यों गिरे, इसका जवाब कौन देगा? कोई राजनीतिक दल तो देगा नहीं, देश के प्रधानमंत्री ही देंगे. सदन में आकर जवाब में, इसमें क्या परेशानी है?”

संजय सिंह ने निशाना साधते हुए कहा कि बहुत सारे सवाल पिछले दिनों उठे हैं. आप (प्रधानमंत्री) सर्वदलीय बैठक में नहीं आए. आप बिहार के चुनाव की रैली को संबोधित कर रहे थे. उसके बाद फिल्मी सितारों को संबोधित कर रहे थे. फिर आंध्र प्रदेश को संबोधित कर रहे थे. फिर घूम-घूमकर वोट मांग रहे हैं.

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