क्या मोटापे का समाधान आयुर्वेद में संभव है? एक्सपर्ट से जानें

आयुर्वेद को अब केवल आखिरी सहारा नहीं बल्कि बीमारियों के इलाज का पहला विकल्प बनाने की दिशा में केंद् सरकार कदम बढ़ा रही है. भारत में सितंबर में आयुर्वेद दिवस को नए रूप में मनाया जाएगा.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः केंद्र सरकार अब आयुर्वेद को केवल एक आखिरी उपाय के तौर पर नहीं, बल्कि बीमारियों के प्राथमिक इलाज के रूप में स्थापित करने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए इस साल सितंबर में आयुर्वेद दिवस को एक नए रूप और दृष्टिकोण के साथ मनाया जाएगा।

आयुर्वेद को अब केवल आखिरी सहारा नहीं बल्कि बीमारियों के इलाज का पहला विकल्प बनाने की दिशा में केंद् सरकार कदम बढ़ा रही है. भारत में सितंबर में आयुर्वेद दिवस को नए रूप में मनाया जाएगा. आयुर्वेद दिवस के मौके पर यह जाननें की कोशिश करेंगे कि क्या आयुर्वेद में मोटापे का इलाज है?

भारत में तेजी से लोग मोटापा का शिकार हो रहे हैं. बाहरी देशों में तो मोटापे से परेशानी काफी पहले से बढ़ी हुई, लेकिन अब भारत में भी मोटापे के शिकार लोग तेजी से बढ़ रहे हैं. फ्राइड, तेल, मैदा से फास्ट-फूड जिस तरह से जिंदगी का हिस्सा बन रहा है वो कहीं न कहीं खतरनाक है. इनके अलावा कम शारीरिक गतिविधि और तनाव भी मोटापे के मेजर कारण हैं. मोटापा हमारी पर्सनैलिटी पर असर डालता है, साथ ही डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियां जैसी कई गंभीर समस्या हो सकती है. मोटापे को कम करने के लिए व्यायाम करने का समय नहीं निकाल पाते. ऐसे में लोग अब नेचुरल और साइड इफेक्ट फ्री इलाज की तरफ देख रहे हैं. जिसमें सबसे भरोसेमंद तरीका है आयुर्वेद के उपाय जिससे मोटापा आसानी से कम होता है.

आयुर्वेद में मोटापे को स्थूलता कहा जाता है, इसका मतलब होता है शरीर में चर्बी का असंतुलित तरीके से जमा हो जाना. आयुर्वेद के मुताबिक शरीर में चर्बी तब जमति है जब शरीर में कफ दोष बढ़ता है और अग्नि यानी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है.

इस पर आयुर्वेद कहता है कि पाचन को सही रखें और कफ को नियंत्रित करेंगे तो मोटापे पर काबू पाया जा सकता है.हालांकि आयुर्वेद के जरिए मोटापे से बचा जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि कोई मोटा व्यक्ति है और आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ समय में ही पतला हो जाएगा. आयुर्वेद का काम करने का तरीका अलग है. यह एलोपैथी की तरह नहीं है. कुछ ऐसी औषधि है तो मोटापे को कंट्रोल कर सकती है.

मोटापा कम करने में आयुर्वेदिक नुस्खे

त्रिफला चूर्ण- त्रिफला तीन सामग्रियों का मिश्रण होता है. आंवला, हरड़, बहेड़ा का मिश्रण होता है त्रिफला. रात में गुनगुने पानी के साथ पीने से धीरे-धीरे चर्बी घटती है. त्रिफला पाचन सुधारने और फैट घटाने में मदद करता है.

गुग्गल- आयुर्वेद में गुग्गल का फैट कम करने वाली औषधि माना जाता है. गुग्गल मेटाबॉलिज्म तेज करती है और शरीर का फैट कम करने में मदद करती है.

ग्रीन टी- ग्रीन टी शरीर से टॉक्सिन बाहर निकलते हैं. इसके साथ ही फैट कम करने के लिए हर्बल चाय का सेवन फायदेमंद होता है.

नींबू-शहद वाला पानी- सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ नींबू और थोड़ा शहद मिलाकर पीने से मेटाबॉलिज्म एक्टिव होता है. ये मिश्रण वजन घटाने में मदद करता है.

खानपान और दिनचर्या का महत्व

आयुर्वेद कहता है कि मोटापा कम करने के लिए दवाएं और जड़ी-बूटियों के सेवन से ही फायदा नहीं होता है. इनके साथ ही दिनचर्या में बदलाव और खानपान में बदलाव के साथ ही फायदा होगा.

हल्का और सुपाच्य खाना खाएं
तला भुना और अधिक मीठा कम करें
समय पर भोजन करें, देर रात खाने से बचें
व्यायाम करें, योग और प्राणायाम की आदत डालें
सूर्य नमस्कार, कपालभाति, धनुरासन जैसे योग मोटापा घटाते हैं.
मोटापा घटने में लगता है समय

आपको बता दें,कि  डॉ कहते हैं कि मोटापा एक दिन में कम होने वाली बीमारी नहीं है. मोटापा जैसे धीरे-धीरे बढ़ता है वैसे ही धीरे-धीरे कम होता है. आयुर्वेदिक दवाएं और नुस्खे शरीर को अंदर संतुलित करते हैं, जिसके परिणाम लंबे समय तक टिकते हैं. लेकिन इसके साथ ही लाइफस्टाइल सुधारें और व्यायाम करें. इस मामले में अपनी डॉक्टर की सलाह भी जरूर लें.

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