गुजरात में क्लास-3 कर्मचारियों का हो रहा शोषण, क्या यही है सबका साथ, सबका विकास?
गुजरात में सिर्फ सरकारी कर्मचारियों का ही नहीं प्राइवेट संस्थान में भी युवकों का शोषण हो रहा है... सरकार को मेट्रो सीटी में BASIC SALARY बढ़ानी पड़ेगी...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों आज हम बात करेंगे गुजरात के उन लाखों कर्मचारियों की……. जो सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं…….. लेकिन उनकी मेहनत का उचित सम्मान और वेतन नहीं मिल रहा है……. गुजरात देश का एक समृद्ध और विकसित राज्य माना जाता है……. वहां मिडल क्लास की जिंदगी दिन-ब-दिन मुश्किल होती जा रही है…….. बढ़ती महंगाई, प्राइवेट स्कूलों, अस्पतालों और रोजमर्रा की जरूरतों के दाम आसमान छू रहे हैं…….. लेकिन कर्मचारियों की सैलरी में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हो रही……. खासकर, गुजरात के क्लास-3 कर्मचारियों की स्थिति तो और भी चिंताजनक है……. जो पांच साल से फिक्स सैलरी पर काम करने को मजबूर हैं……. बिना प्रमोशन, बिना भत्ते और बिना सम्मान के…… वो काम कर रहे हैं…..
गुजरात में सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की स्थिति आज चर्चा का एक बड़ा विषय बन चुकी है…… सोशल मीडिया पर लोग खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं…… एक यूजर ने लिखा कि इस देश में नेताओं की सैलरी बिना मांगे बढ़ जाती है…….. लेकिन गुजरात के क्लास-3 कर्मचारी पांच साल तक फिक्स सैलरी पर काम करते हैं……. बिना प्रमोशन, बिना भत्ता, बिना सम्मान…… क्या यही है सबका साथ, सबका विकास?……
वहीं यह सवाल सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं……. बल्कि गुजरात के लाखों कर्मचारियों का है……. बता दें कि क्लास-3 और क्लास-4 कर्मचारियों को लंबे समय तक कम वेतन पर काम करना पड़ रहा है……. दूसरी ओर, प्राइवेट सेक्टर में भी युवाओं का शोषण हो रहा है…….. मेट्रो शहरों में बेसिक सैलरी इतनी कम है कि बढ़ती महंगाई के सामने वह टिक नहीं पाती……… प्राइवेट स्कूलों की फीस, अस्पतालों के खर्चे…….. और किराने की चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं…….. जिससे मिडल क्लास परिवारों का बजट बिगड़ रहा है…….
गुजरात में क्लास-3 कर्मचारियों की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है……. इन कर्मचारियों को नियुक्ति के बाद पांच साल तक फिक्स सैलरी पर काम करना पड़ता है……. इस दौरान न तो उन्हें प्रमोशन मिलता है…….. न ही कोई भत्ता, और न ही वह सम्मान जो एक सरकारी कर्मचारी को मिलना चाहिए……. वहीं X पर एक अन्य यूजर ने लिखा कि गुजरात एक ऐसा राज्य है जहां नए चयनित क्लास-3 कर्मचारियों को पांच साल तक फिक्स वेतन देकर शोषित किया जाता है…… ऐसा अन्याय क्यों……
आपको बता दें कि 2017 में गुजरात सरकार ने फिक्स-पे कर्मचारियों के वेतन में 63% से 124% तक की बढ़ोतरी की थी…….. जिससे 1,18,738 कर्मचारियों को लाभ हुआ…….. इस फैसले से सरकारी खजाने पर 1300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा…….. इसके बाद 2023 में, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में फिक्स-पे कर्मचारियों के वेतन में 30% की बढ़ोतरी का फैसला लिया गया…….. जिससे 61,560 कर्मचारियों को फायदा हुआ…….. क्लास-3 कर्मचारियों का वेतन 38,090 रुपये से बढ़कर 49,600 रुपये और क्लास-4 कर्मचारियों का वेतन 16,224 रुपये से बढ़कर 21,100 रुपये हो गया…….
हालांकि, इन बढ़ोतरी के बावजूद कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं……. कारण है कि फिक्स सैलरी की नीति अभी भी लागू है…….. और पांच साल तक कर्मचारियों को कम वेतन पर काम करना पड़ता है……. गुजरात हाई कोर्ट ने इस नीति को खत्म करने का आदेश दिया था……. लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की……. जिससे यह मामला अभी लंबित है…..
गुजरात के मेट्रो शहरों जैसे अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, और राजकोट में प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले युवाओं की स्थिति भी कोई खास बेहतर नहीं है……. एक यूजर ने X पर लिखा कि गुजरात में सिर्फ सरकारी कर्मचारियों का ही नहीं…… प्राइवेट संस्थानों में भी युवकों का शोषण हो रहा है…….. सरकार को मेट्रो शहरों में बेसिक सैलरी बढ़ानी होगी…… प्राइवेट स्कूलों की फीस में हर साल इजाफा हो रहा है…….. अस्पतालों में इलाज का खर्च इतना ज्यादा है कि मिडल क्लास परिवारों के लिए बीमारी एक बड़ा आर्थिक बोझ बन जाती है…… किराने की चीजों के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं…….
वहीं प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले युवाओं को अक्सर कम सैलरी…….. लंबे काम के घंटे, और नौकरी की असुरक्षा का सामना करना पड़ता है…….. कई कंपनियां कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन से भी कम पर रखती हैं…….. और ओवरटाइम का कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं करती…….. इससे मिडल क्लास परिवारों का जीवन स्तर प्रभावित हो रहा है……
सोशल मीडिया साइट एक्स पर कई यूजर्स ने नेताओं की बढ़ती सैलरी और कर्मचारियों की स्थिर सैलरी की तुलना की है……. एक यूजर ने लिखा कि मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद, प्रधानमंत्री, और राष्ट्रपति की सैलरी लगातार बढ़ रही है……. लेकिन क्लास-3 कर्मचारियों को पांच साल तक फिक्स सैलरी पर काम करना पड़ता है……. यह बात सच है कि नेताओं की सैलरी और भत्तों में समय-समय पर बढ़ोतरी होती रहती है…….. 2024 में गुजरात सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए महंगाई भत्ते में 3% की बढ़ोतरी की…….. जिससे बेसिक सैलरी का 53% DA कर्मचारियों को मिलने लगा……..
हालांकि, यह बढ़ोतरी ज्यादातर नियमित कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए थी………. फिक्स-पे कर्मचारियों को इसका कोई खास लाभ नहीं मिला……. दूसरी ओर, नेताओं को मिलने वाले भत्ते, सुविधाएं……. और पेंशन योजनाएं मिडल क्लास कर्मचारियों की तुलना में कहीं ज्यादा आकर्षक हैं…….. यह असमानता कर्मचारियों में असंतोष का बड़ा कारण है…..
गुजरात सरकार ने समय-समय पर कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने की कोशिश की है……. 2022 में पुलिसकर्मियों के वेतन वृद्धि के लिए 550 करोड़ रुपये के वार्षिक कोष को मंजूरी दी गई…….. इस फैसले से लोक रक्षक दल, पुलिस सिपाहियों, हेड कांस्टेबल…….. और सहायक उप-निरीक्षकों का वेतन बढ़ा…… 2024 में सरकार ने रिटायर होने वाले कर्मचारियों की ग्रेच्युटी सीमा को बढ़ाकर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर कर दिया……. जिससे 1 जनवरी 2024 के बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों को 25 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी मिलेगी…….
वहीं 2025 में शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार ने बड़ा कदम उठाया…… शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत आय सीमा को 1.20 लाख (ग्रामीण) और 1.50 लाख (शहरी) से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दिया गया……. ताकि ज्यादा मिडल क्लास परिवार अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिला सकें…… लेकिन इन सभी प्रयासों के बावजूद, कर्मचारियों का असंतोष कम नहीं हुआ है…….. फिक्स सैलरी की नीति, प्रमोशन की कमी……… और भत्तों का अभाव अभी भी बड़े मुद्दे हैं……… प्राइवेट सेक्टर में भी कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई है……. जिससे न्यूनतम वेतन और काम के घंटों को नियंत्रित किया जा सके…….
गुजरात का मिडल क्लास परिवार आज कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहा है……. बढ़ती महंगाई ने उनके बजट को पूरी तरह से हिला दिया है……… एक सामान्य मिडल क्लास परिवार की मासिक आय का बड़ा हिस्सा किराए, स्कूल की फीस……. और मेडिकल खर्चों में चला जाता है……. इसके अलावा, किराने की चीजों जैसे दाल, चावल, तेल……. और सब्जियों के दाम पिछले कुछ सालों में 20-30% तक बढ़ गए हैं……
प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले युवा अक्सर 12-14 घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं…… लेकिन उनकी सैलरी इतनी कम होती है कि वे अपने परिवार का खर्चा मुश्किल से चला पाते हैं।…….. दूसरी ओर सरकारी कर्मचारी, खासकर क्लास-3 और क्लास-4, फिक्स सैलरी के कारण अपनी बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाते……. एक यूजर ने X पर लिखा कि कंपनी के कर्मचारियों को हर साल वेतन वृद्धि मिलती है…….. लेकिन सरकारी कर्मचारी पांच साल तक एक ही वेतनमान पर काम करते हैं…… ये अन्याय क्यों……
आपको बता दें कि कर्मचारियों की मांगे हैं कि क्लास-3 और क्लास-4 कर्मचारियों को पांच साल तक फिक्स सैलरी पर रखने की नीति को खत्म किया जाए…… प्राइवेट और सरकारी दोनों सेक्टर में कर्मचारियों को हर साल नियमित वेतन वृद्धि मिलनी चाहिए……. सरकारी कर्मचारियों को समय पर प्रमोशन और महंगाई भत्ता जैसे लाभ दिए जाएं…… मेट्रो शहरों में प्राइवेट कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारित किया जाए…….. जो महंगाई के हिसाब से हर साल अपडेट हो……….. प्राइवेट सेक्टर में 12-14 घंटे की शिफ्ट को कम करके 8 घंटे की शिफ्ट लागू की जाए……..
वहीं गुजरात सरकार ने हाल के वर्षों में कुछ कदम उठाए हैं……. जैसे फिक्स-पे कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी……. और ग्रेच्युटी सीमा में इजाफा……. लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि ये कदम नाकाफी हैं……… 2022 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने का वादा किया था…….. जिसे लेकर कर्मचारियों में कुछ उम्मीद जगी थी……. हालांकि बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद यह मुद्दा पीछे छूट गया……. वहीं भविष्य में अगर सरकार फिक्स सैलरी की नीति को खत्म करती है…….. और प्राइवेट सेक्टर में न्यूनतम वेतन को लागू करती है…….. तो मिडल क्लास की स्थिति में सुधार हो सकता है……. इसके अलावा महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार को सब्सिडी……… और अन्य राहत योजनाओं पर ध्यान देना होगा……
गुजरात के कर्मचारी चाहे वे सरकारी हों या प्राइवेट……. आज एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं…….. बढ़ती महंगाई, कम सैलरी…… और प्रमोशन की कमी ने उनके जीवन को मुश्किल बना दिया है……. मिडल क्लास जो देश की रीढ़ माना जाता है…….. आज संघर्ष कर रहा है…….. लेकिन उम्मीद अभी बाकी है…….. वहीं अगर सरकार कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान दे……. और ठोस नीतियां बनाए……. तो स्थिति में सुधार हो सकता है……



