इजरायल ने अपने ऊपर हमले पर महज इतने दिन में अकेले दिया था जवाब
अरब-इजराइल युद्ध के बारे में अपने नहीं सुना होगा ये सच
4pm न्यूज़ नेटवर्क : बता दें कि अरब और इजराइल के संघर्ष की छाया मोरोक्को से लेकर पूरे खाड़ी क्षेत्र पर है. गौरतलब है कि 14 मई 1948 को पहला यहूदी देश इजराइल अस्तित्व में आया था. जिसके बाद यहूदियों और अरबों ने एक-दूसरे पर हमला शुरू कर दिया था. लेकिन यहूदियों के हमलों से फ़लस्तीनियों के पाँव उखड़ गए और हज़ारों लोग जान बचाने के लिए लेबनान और मिस्र भाग खड़े हुए थे. वहीं 1948 में इसराइल के गठन के बाद से ही अरब देश इजराइल को जवाब देना चाहते थे.
1967 में मध्य-पूर्व में हालात बिगड़ने के साथ ही अमेरिका के राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन ने दोनों पक्षों को आगाह किया था. वहीं अमेरिका ने कहा था कि कोई भी पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ पहले गोली नहीं चलाएगा. उन्होंने जलडमरूमध्य का रास्ता तिरान को फिर से खुलवाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास का समर्थन किया था.
वहीं जंग के अंतिम चरण में इजरायली सेना 9 जून 1967 को सीरिया की उत्तरी सीमा पर पहुंच गई थी. वहीं भारी बमबारी के बाद इजरायल ने इस इलाके पर कब्जा जमा लिया था, जिसे गोलन गोलन हाइट्स कहा जाता है. 10 जून 1967 संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद संघर्षविराम का समझौते के साथ यह जंग खत्म हुई थी. लेकिन 6 दिन के इस युद्ध ने मध्यपूर्व का नक्शा बदल दिया था. अपनी हार से अरब के नेता आश्चर्यचकित थे. वहीं मिस्र के राष्ट्रपति नासिर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.