भारत के हमलों में जैश, लश्कर और हिजबुल के ठिकाने तबाह
भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा किए गए हालिया हमलों में आतंकवादी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद के चार, लश्कर-ए-तैयबा के तीन और हिजबुल मुजाहिदीन के दो ठिकानों को निशाना बनाया गया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा किए गए हालिया हमलों में आतंकवादी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद के चार, लश्कर-ए-तैयबा के तीन और हिजबुल मुजाहिदीन के दो ठिकानों को निशाना बनाया गया है। इन हमलों का उद्देश्य सीमापार से होने वाली घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाना था। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के कई आतंकी ठिकाने बुनियादी स्वास्थ्य इकाइयों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के आड़ में संचालित किए जा रहे हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण ठिकाना जम्मू और कश्मीर के सांबा सेक्टर के पास स्थित है, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर है।
यह ठिकाना आतंकियों की भारत में घुसपैठ के लिए बनाई गई सुरंगों का प्रमुख केंद्र है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और जैश-ए-मोहम्मद ने शकरगढ़ क्षेत्र में भूमिगत सुरंगों का एक नेटवर्क तैयार किया है। इन सुरंगों का इस्तेमाल अरनिया-जम्मू सेक्टर में भारत में आतंकियों की घुसपैठ के लिए किया जाता है। इस ठिकाने पर एक उन्नत नियंत्रण कक्ष भी मौजूद है, जहां से जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी हफ रेडियो रिसीवर और अन्य संचार उपकरणों के जरिए एन्क्रिप्टेड संदेशों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को निर्देश भेजते हैं।
सूत्रों का कहना है कि जैश का प्रमुख मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर इस ठिकाने से आतंकवादी अभियानों की निगरानी करता है। यहां आतंकियों की घुसपैठ, अस्पताल के बुनियादी ढांचे का दुरुपयोग और पैरा-ग्लाइडर जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। यह रणनीति काफी हद तक मध्य-पूर्व में हमास द्वारा अपनाई गई युद्धनीति से मिलती-जुलती है। इसके अलावा, जैश के आतंकवादियों और हमास के नेताओं के बीच नियमित संपर्क की भी जानकारी सामने आई है, जिससे दोनों संगठनों के बीच रणनीतिक साझेदारी के संकेत मिलते हैं।
जैश ए मोहम्मद का अहम लॉन्चिंग स्थल
पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के कई अन्य ठिकाने बुनियादी स्वास्थ्य इकाइयों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से ही संचालित होते हैं. जम्मू और कश्मीर के सांबा सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 6 किलोमीटर की निकटता के कारण जैश-ए मोहम्मद का यह ठिकाना विशेष महत्व रखता है. ये ठिकाना आतंकवादियों की घुसपैठ के लिए सीमा पार सुरंगों की खुदाई का आधार है. पाक आईएसआई और जैश-ए-मोहम्मद ने शकरगढ़ क्षेत्र में भूमिगत सुरंगों का एक नेटवर्क विकसित किया है.
अंडरग्राउंड सुरंगों का इस्तेमाल होता है
इसका इस्तेमाल भारत में जैश-ए-मोहम्मद के कैडरों की घुसपैठ के लिए किया जाता है. अरनिया-जम्मू सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार खोदी गई सभी सुरंगें इस ठिकाना के संचालकों के काम आती हैं.इसलिए ये सुविधा एक महत्वपूर्ण आतंकी अड्डे के रूप में काम करती है. इस सुविधा में एक नियंत्रण कक्ष भी है, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल-मुजाहिदीन के आतंकवादी इस्तेमाल किए जा रहे एचएफ रेडियो रिसीवर और अन्य संचार सुविधाएं इस्तेमाल करते हैं. इस सुविधा से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों को एन्क्रिप्टेड मोड के माध्यम से निर्देश दिए जाते हैं.
आपको बता दें,कि जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर इस ठिकाने पर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के गुर्गों के जरिए जैश-ए-मोहम्मद के अभियानों की निगरानी करता है. साथ ही, वेघुसपैठ के लिए सुरंगों, अस्पताल के बुनियादी ढांचे और आतंकी हमलों के लिए पैरा-ग्लाइडर के इस्तेमाल की ये रणनीति मध्य-पूर्व में संघर्ष में हमास द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति से प्रेरित प्रतीत होती है. इसके अलावा, हमास नेताओं के साथ जैश के आतंकवादियों की नियमित बातचीत के बारे में भी कई तरह के इनपुट हैं.



