जयंत का ऐलान, सपा के साथ मिलकर लड़ेंगे लोक सभा चुनाव
भविष्य में भाजपा खेमे में जाने की अटकलों को किया खारिज
- भाजपा की अस्सी बनाम बीस की राजनीति को कर दिया खत्म
- जहां दंगों का अधिक था असर वहां दी भाजपा को शिकस्त
- किसान आंदोलन का रहा असर, निभाएंगे सशक्त विपक्ष की भूमिका
- एनडी टीवी को दिए अपने साक्षात्कार में विभिन्न मुद्दों पर की बात
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने ऐलान किया कि आगामी लोक सभा चुनाव में वे अखिलेश यादव के साथ मिलकर लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा की अस्सी बनाम बीस प्रतिशत की राजनीति को हमने खत्म कर दिया है और जिन जिलों में दंगों की बदनामी थी उन सभी में भाजपा को हरा कर यह बात साफ कर दी कि हमने सकारात्मक बदलाव किये हैं। एनडी टीवी के सौरभ शुक्ला से बातचीत करते हुए उन्होंने भाजपा खेमे की उन सभी अटकलों को खारिज कर दिया कि वे भविष्य में भाजपा के साथ जा सकते हैं।
यूपी विधान सभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से रालोद प्रमुख जयंत चौधरी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक साथ चुनाव लड़ा था। हालांकि वे सत्ता में नहीं आ पाए। चुनाव नतीजे उनके पक्ष में क्यों नहीं रहे। ऐसे तमाम सवालों के जवाब में रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि जहां दंगों का सबसे ज्यादा असर था वहां हमने भाजपा को हरा दिया है। मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ में भाजपा को हराया। ये लोग कैराना में पलायन का मुद्दा लेकर आए थे और वहां भी हमने भाजपा को शिकस्त दी। संगीत सोम, उमेश मलिक, सुरेश राणा सब चुनाव हार गए हैं। चुनाव में भाजपा का 80 बनाम 20 नहीं चला। किसान आंदोलन का भी असर देखने को मिला। जयंत चौधरी ने कहा कि बसपा का ठीक तरह से चुनाव नहीं लड़ पाना भी हार की वजह रहा है। हमने इस चुनाव से बहुत कुछ सीखा है। लोक सभा चुनाव भी मैं और अखिलेश साथ मिलकर लड़ेंगे। लोग भाजपा से नाराज थे पर वोट खिलाफ में नहीं दिया है। हम विपक्ष में रहकर लोगों के मुद्दे उठाएंगे। प्रदेश में भाजपा को 80 बनाम 20 नहीं करने देंगे। गौरतलब है कि जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली रालोद जो 2017 के चुनावों में एक सीट पर सिमट गई थी, इस बार सपा के साथ गठबंधन कर 33 सीटों पर लड़ी और उनमें से आठ पर जीत हासिल की।
जनता तक नहीं पहुंचा पाए अपनी बात
रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि मैं मानता हूं कि हम अपनी बात जनता तक नहीं पहुंचा पाए। बहुत सी सीटों पर हम 500 से भी कम वोटों से हारे। ब्रज और गाजियाबाद की पूरी बेल्ट में हार गए।
हरभजन सिंह होंगे आप के राज्य सभा उम्मीदवार
- पंजाब में सरकार बनते ही केजरीवाल का फैसला
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। राज्य सभा के लिए आप ने पहले उम्मीदवार की घोषणा की। क्रिकेटर हरभजन सिंह को आम आदमी पार्टी ने अपना राज्य सभा उम्मीदवार बनाया है। कहा जा रहा है कि उन्हें स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की कमान भी दी जा सकती है। चुनाव प्रचार के दौरान ही भगवंत मान ने ऐलान कर दिया था कि उनके कार्यकाल में पंजाब में खेल को काफी बढ़ावा दिया जाएगा।
इस महीने के आखिर तक राज्य सभा के लिए आम आदमी पार्टी को पांच सीटें मिलने वाली हैं। इसमें पहला नाम हरभजन सिंह का सामने आया है। आम आदमी पार्टी के हाईकमान अरविंद केजरीवाल ने हरभजन सिंह के नाम को हरी झंडी दे दी है। हरभजन के नाम की अटकलें लंबे समय से चल रही थीं। भगवंत मान और हरभजन सिंह करीबी दोस्त माने जाते हैं। जब पंजाब में आम आदमी पार्टी की अप्रत्याशित जीत हुई थी, तब भी हरभजन सिंह ने ट्वीट कर भगवंत मान को बधाई दी थी। पंजाब चुनाव की बात करें तो इस बार आम आदमी पार्टी ने एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की। यहां की 117 सीटों में आप ने इस चुनाव में 92 सीटें जीतीं हैं।
फिर सतह पर कांग्रेस की कलह मुलाकातों का दौर शुरू
- राहुल गांधी से मिलने के बाद गुलाम नबी आजाद से मिलने पहुंचे हुड्डा
- जी-23 नेताओं ने कांग्रेस नेतृत्व पर उठाये सवाल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस की पांच राज्यों में करारी हार के बाद पार्टी में अंतर्कलह एक बार फिर सतह पर आ गई है। पार्टी के बागी जी-23 नेताओं ने पांच राज्यों में पार्टी की हार पर कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। वहीं आज जी-23 बैठक में शामिल कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने राहुल गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की है। राहुल से मुलाकात के बाद हुड्डा, गुलाम नबी आजाद से मिलने पहुंचे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि हुड्डा ने राहुल से पार्टी के संगठन में फेरबदल की बात की है।
पार्टी से नाराज नेताओं के गुट जी-23 ने कल ही एक बैठक की थी। इस बैठक में सीधे पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए गए। इन नेताओं का मानना है कि पांच राज्यों में करारी हार के लिए शीर्ष नेतृत्व को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक बैठक में प्रियंका गांधी पर भी सवाल उठे और उनके इस्तीफे की भी बात की गई। गुलाम नबी आजाद के घर कल हुई जी-23 नेताओं की बैठक में कई बड़े नेता शामिल हुए। इनमें कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, शशि थरूर, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, आनंद शर्मा, अखिलेश प्रसाद सिंह आदि शामिल हुए।