जस्टिस सूर्यकांत बने भारत के 53वें CJI, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ
CJI Suryakant- जस्टिस सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं. उनके कार्यकाल के दौरान आर्टिकल 370, राजद्रोह कानून और पेगासस जैसे अहम मामलों में उनके फैसले चर्चा में रहे हैं.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: CJI Suryakant- जस्टिस सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं. उनके कार्यकाल के दौरान आर्टिकल 370, राजद्रोह कानून और पेगासस जैसे अहम मामलों में उनके फैसले चर्चा में रहे हैं.
जस्टिस सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बन गए हैं. उन्होंने जस्टिस बीआर गवई की जगह ली है. वे लगभग 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे. उनको शपथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई, इस मौके पर सात देशों के चीफ जस्टिस मौजूद थे.
सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान कई फैसलों को लेकर चर्चा में रहे, उन्होंने आर्टिकल 370, पेगासस और बिहार वोटर लिस्ट जैसे कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों में अहम भूमिका निभाई है. उनके मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद एक बार फिर उनके और उनसे जुड़े फैसलों के बारे में चर्चा होने लगी है. उनसे जुड़े अहम फैसलों में आर्टिकल 370, राजद्रोह कानून, बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट, गवर्नर और प्रेसिडेंट की शक्तियां और पेगासस जैसे फैसले शामिल हैं.
10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक मिडिल-क्लास परिवार में जन्मे जस्टिस कांत एक छोटे शहर के प्रैक्टिशनर के तौर पर बार से देश के सबसे ऊंचे ज्यूडिशियल पद तक पहुंचे. जस्टिस कांत इससे पहले 5 अक्टूबर, 2018 से हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर काम कर रहे थे. उससे पहले, उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कई खास फैसले दिए.
CJI सूर्यकांत के वो 5 बड़े फैसले
यूं तो सूर्यकांत ने अपने कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसले सुनाए हैं, पर ये पांच फैसले बेहद अहम हैं. 370- इस निर्णय ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के केंद्र सरकार के कदम को वैध ठहराया, जो भारतीय संविधान के संघीय ढांचे में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने 11 दिसंबर 2023 को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। इस पीठ में तत्कालीन CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एस.के. कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे. राजद्रोह कानून (124A)- इस कानून को सस्पेंड करने वाला बेंच में जस्टिस सूर्यकांत ने अहम भूमिका निभाई जिसने राजद्रोह कानून पर रोक लगाते हुए निर्देश दिया कि सरकार इसके पुनरीक्षण तक 124A के तहत नई
FIR दर्ज न करें. इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए बड़े कदम के रूप में देखा गया. पेगासस स्पाइवेयर- पेगासस जासूसी मामले में जस्टिस सूर्यकांत ने बेंच में रहते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर राज्य को फ्री पास नहीं दिया जा सकता. इसके बाद कोर्ट ने एक साइबर जानकारों की स्वतंत्र कमेटी गठित की थी.
बिहार इलेक्टोरल रोल्स- बिहार से 65 लाख वोटरों के नाम काटे जाने पर दायर याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत
ने पूरा विवरण साझा करने का निर्देश दिया. यह चुनावी पारदर्शिता और मतदाता अधिकारों की दिशा में अहम
फैसला था.
गवर्नर और प्रेसिडेंट की शक्तियां- 20 नवंबर 2025 को पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
के अनुच्छेद 143 के तहत रेफरेंस पर राय दी, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पीठ ने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका राष्ट्रपति या राज्यपालों पर विधेयकों के फैसले के लिए समय-सीमा थोप नहीं सकती, लेकिन लंबे समय तक निष्क्रियता पर न्यायिक समीक्षा संभव है. यह फैसला तमिलनाडु राज्यपाल आरएन रवि के मामले से उपजा, जहां अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों को तीन महीने की समय-सीमा दी थी.
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में थे चीफ जस्टिस
CJI ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर डिग्री पूरी की, जिसमें उन्हें फर्स्ट क्लास फर्स्ट मिला. जस्टिस कांत इससे पहले 5 अक्टूबर, 2018 से हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर काम कर रहे थे. उससे पहले, उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कई खास फैसले दिए.



