जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस एसवी भट्टी बने सुप्रीम कोर्ट के नए न्यायाधीश, सीजेआई ने दिलाई शपथ
नई दिल्ली। न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और न्यायमूर्ति एस वेंकटनारायण भट्टी ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में आज शपथ ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस भुइयां और भट्टी को पद की शपथ दिलाई। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत की कार्य क्षमता बढक़र 32 हो गई है।
केंद्र सरकार ने 12 जुलाई को शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भुइयां और केरल में उनके समकक्ष न्यायमूर्ति भट्टी के नामों को मंजूरी दे दी थी। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बुधवार को दोनों जजों की पदोन्नति षणा की थी।
सीजेआई की अध्यक्षता वाले शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने 5 जुलाई को शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के रूप में उनकी नियुक्ति की सिफारिश की थी। 2 अगस्त, 1964 को जन्मे न्यायमूर्ति भुइयां को 17 अक्टूबर, 2011 को गौहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और वह अपने मूल उच्च न्यायालय (गौहाटी) के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश थे। वह 28 जून, 2022 से तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति भुइयां ने कानून के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुभव हासिल किया है। उन्होंने कराधान के कानून में विशेषज्ञता और डोमेन ज्ञान हासिल किया है। उन्होंने बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में भी काम किया है। शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए कॉलेजियम प्रस्ताव में कहा गया था, उनके फैसले कानून और न्याय से संबंधित व्यापक मुद्दों को कवर करते हैं। न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ईमानदारी और योग्यता के लिए अच्छी प्रतिष्ठा वाले न्यायाधीश हैं।
न्यायमूर्ति भट्टी का जन्म 6 मई, 1962 को हुआ था,इनको 12 अप्रैल, 2013 को आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और वह अपने मूल उच्च न्यायालय में सबसे वरिष्ठ थे।
कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया था कि अगस्त 2022 से आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय का सुप्रीम कोर्ट की पीठ में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। न्यायमूर्ति भट्टी को मार्च 2019 में केरल के उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था और तब से वह वहां मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे।
आंध्र उच्च प्रदेश के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और बाद में केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति भट्टी ने कानून की विभिन्न शाखाओं में काफी अनुभव हासिल किया है।