लोहड़ी का महत्व जानिए इस पर्व से जुड़ी कहानी

Know the importance of Lohri, the story related to this festival

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ। लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। उत्तर भारत में, खासकर कि पंजाब में इस त्योहार का महत्व है। जिन लोगों की नई-नई शादी हुई हो या जिनके घर में बच्चा हुआ हो, उन लोगों के लिये ये त्योहार विशेष महत्व रखता है। इस साल लोहड़ी का त्योहार 13 जनवरी 2022 को मनाया जाएगा।

लोहड़ी को शाम के समय लकड़ियों और गोबर के उपलों को इकट्ठा करके जलाया जाता है और परिवार के साथ उसके चारों ओर घेरा बनाकर परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा के समय जलती हुई आग में मूंगफली, रेवड़ी, तिल, मक्की के दाने आदि चीज़ें डालने की परंपरा है। कहते हैं ऐसा करने से दूसरों की बुरी नजर से छुटकारा मिलता है, घर में सुखद माहौल बनता है और व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

लोहड़ी मनान का कारण

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार, दरअसल लोहड़ी के इस त्योहार को मनाने के पीछे इतिहास के कुछ पन्ने भी जुड़े हैं। इस दिन को मुगलशासकों के विरुद्ध न्याय की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नायक, परमवीर, हिन्दू गुर्जर अब्दुल्ला भाटी की याद में मनाया जाता है। अब्दुल्ला भाटी हमेशा सबकी मदद के लिये तैयार रहते थे।ऐसे ही एक बार उन्होंने एक ब्राह्मण की कन्या को मुगलशासक के चंगुल से छुडाया था और उसकी शादी एक सुयोग्य हिन्दू वर से करवायी थी।

उस कन्या का नाम सुंदर मुंदरिए था। अब अब्दुल्ला भाटी कोई पंडित तो था नहीं, इसलिए उसने आस-पास पड़ी लकड़ियों और गोबर के उपलों को इकट्ठा करके उसमें आग जलायी और उसके पास जो कुछ खाने की चीज़ें जैसे मूंगफली, रेवड़ी आदि थीं, वो सब उसने आग में डाल दी और उन दोनों की शादी करवा दी।

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