जानिये, मध्‍य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर क्‍यों शुरू हो रहा विवाद

Know why the controversy is starting in Madhya Pradesh regarding Panchayat elections

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

दिल्ली।  मध्य प्रदेश में सात साल बाद हो रहे पंचायत चुनाव को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। मामला सुप्रीम कोर्ट में है। उधर, राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है। दरअसल, सरकार ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश के माध्यम से कमल नाथ सरकार के समय किए गए परिसीमन को निरस्त कर दिया। इससे पुराना आरक्षण लागू हो गया। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस आधार पर पंचायत चुनाव की घोषणा कर दी।

उधर, कांग्रेस के प्रवक्ता सैयद जाफर, जया ठाकुर सहित अन्य ने इसे संविधान और पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम की विरुद्ध बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी, लेकिन न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई तो वहां से फिर हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर करने के लिए कहा गया।

इस पर जब हाईकोर्ट जबलपुर ने तत्काल सुनवाई से इन्कार कर दिया तो याचिकाकर्ता फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को आदेश दिए कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों को चुनाव की प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए इन्हें सामान्य में परिवर्तित करने के लिए पुन: अधिसूचित किया जाए।

अनुसूचित जाति- जनजाति के लिए आरक्षित और अनारक्षित पदों पर चुनाव की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई गई, पर यह निर्देश दिए गए कि परिणाम घोषित नहीं होंगे। इस आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी के लिए आरक्षित पदों के लिए नामांकन पत्र जमा करने की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया। इसके साथ ही पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण समाप्त होने को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया।

विधानसभा में कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर बहस के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार सभी कानूनी पहलूओं पर अध्ययन कर रही है और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। मंगलवार को याचिका दायर कर दी गई और गुरुवार को जल्द सुनवाई के लिए आग्रह भी किया गया। साथ ही विधानसभा में सर्वसम्मति से संकल्प पारित किया गया कि प्रदेश में बगैर ओबीसी आरक्षण के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव न कराए जाएं।

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