बंगाल की लेडी मैकबेथ… पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने ममता बनर्जी का सामाजिक बहिष्कार करने की कसम खाई

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोला और उन्हें बंगाल की लेडी मैकबेथ कहा। बोस ने कहा कि वह उनका सामाजिक बहिष्कार करेंगे और अब वह बनर्जी के साथ कोई सार्वजनिक मंच साझा नहीं करेंगे। उन्होंने कोलकाता के आर.जी. कर अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या पर आक्रोश का हवाला दिया।
राज्यपाल ने कहा यह विडंबना है कि स्वास्थ्य मंत्री गृह मंत्री हैं। पश्चिम बंगाल की लेडी मैकबेथ हुगली का पानी तो रखती हैं, लेकिन दागदार हाथों को साफ नहीं कर सकतीं। गृह मंत्री मुख्यमंत्री हैं और मुख्यमंत्री सुरक्षा करने के बजाय विरोध कर रही हैं। सडक़, अस्पताल और शहरों में हिंसा हो रही है।
बोस ने कहा मैं मुख्यमंत्री के साथ कोई सार्वजनिक मंच साझा नहीं करूंगा। मैं संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ सक्रिय कदम उठाऊंगा। राज्यपाल के रूप में मेरी भूमिका संवैधानिक दायित्वों तक ही सीमित रहेगी।
उनकी यह टिप्पणी तब आई जब बनर्जी ने कहा कि वह न्याय के लिए अपनी कुर्सी छोडऩे के लिए तैयार हैं, उन्होंने बलात्कार-हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का हवाला दिया और संकेत दिया कि यह उनकी सरकार को गिराने के प्रयास में किया गया था। उन्होंने कहा, मैं आम लोगों के लिए न्याय के लिए पद छोडऩे के लिए भी तैयार हूं। लेकिन वे न्याय नहीं चाहते। वे सिर्फ कुर्सी चाहते हैं।
बोस की बनर्जी के खिलाफ टिप्पणी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रवक्ता कुणाल घोष ने तीखी आलोचना की, जिन्होंने बोस की आलोचना करते हुए कहा कि राज्यपाल के पद पर बैठे व्यक्ति के लिए ऐसी टिप्पणियां अनुचित हैं।
घोष ने कहा वह राज्यपाल की कुर्सी पर बैठकर इस तरह के बयान नहीं दे सकते। वह राजनीति से प्रेरित हैं। और मुख्यमंत्री का बहिष्कार करने का उनका क्या मतलब है? 15 अगस्त को, संवैधानिक प्रोटोकॉल के तहत, मुख्यमंत्री राजभवन गईं, लेकिन उन्होंने दूसरों के साथ बैठकर दूरी बनाए रखी। राज्यपाल ही उनके पास आए थे। मुख्यमंत्री पहले से ही दूरी बनाए हुए हैं।
प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया है, डॉक्टरों ने पीडि़ता के लिए न्याय की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया है। 10 सितंबर की शाम तक काम पर लौटने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी है।

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