चंद्रयान-3: प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हुआ लैंडर, अगले 6 दिन काफी अहम

दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने चंद्रयान-3 के लैंडर को सफलतापूर्वक प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग कर दिया है। यानी अब आगे की यात्रा लैंडर अकेले ही तय करेगा। इसरो के मुताबिक, आने वाले 6 दिन लैंडिंग के लिए बहुत जरूरी हैं क्योंकि यहां लैंडर को कई अहम पड़ाव काफी तेजी के साथ पार करने है। अब अगले 6 दिनों तक पूरा देश बस उम्मीद और दुआ के साथ आकाश की ओर निहारेंगे।

इसके अलावा इसरो ने बताया कि इस बीच प्रोपल्शन मॉड्यूल लगातार इसी धुरी पर घूमते हुए इसरो को पृथ्वी की कई अहम जानकारियां आने वाले कई सालों तक देता रहेगा। यह पेलोड आने वाले कई सालों तक पृथ्वी के वायुमंडल का स्पेक्ट्रोस्कोपिक अध्ययन करने के लिए जानकारी भेजेगा। साथ ही पृथ्वी पर बादलों के बनने और उनकी दिशा की सटीक जानकारी भी प्रदान करेगा।

अभी खत्म नहीं होंगी चुनौतियां

इसरो की मानें तो प्रोपल्शन माड्यूल से अलग होने की प्रक्रिया के बाद लैंडर को चंद्रमा की तरफ जाने वाले रास्ते में अभी की कक्षा से 90 डिग्री का एक टर्न लेना है। यह अहम है क्योंकि लैंडर की रफ्तार इस समय बहुत तेज है। टर्न लेने के बाद भी चुनौतियां खत्म नहीं होंगी क्योंकि इसके बाद जब लैंडर चंद्रमा की सीमा में प्रवेश करेगा उस समय भी उसकी रफ्तार काफी ज्यादा होगी। ऐसे में वैज्ञानिक लैंडर की डीबूस्टिंग करेंगे।

सॉफ्ट लैंडिंग के लिए रफ्तार कम करना बेहद जरूरी

जब लैंडर 90 डिग्री का टर्न लेने के बाद चांद की सतह की तरफ चलेगा और जब उसकी दूरी 30 किमी से कम रह जाएगी तो उसकी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए उसकी रफ्तार कम करना बेहद जरूरी होगा। अगर वैज्ञानिक लैंडर की रफ्तार कम करने में सफल हो जाते हैं तो सॉफ्ट लैंडिंग आराम से हो जाएगी और यह मिशन सफल हो जाएगा। लैंडर के लैंड होने के बाद इससे रोवर निकलेगा और वह रोवर ही चंद्रमा की सतह पर अगले 10 दिनों तक कई अहम चीजों की जांच करेगा।

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