हटाई गई एलईडी और सजीव प्रसारण पर भी रोक; तमिलनाडु में प्राण प्रतिष्ठा पर गरमाई सियासत तो sc पहुंचा मामला
नई दिल्ली। तमिलनाडु सरकार की तरफ से राज्य के मंदिरों को राम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह के प्रसारण और विशेष पूजा आयोजित करने से रोकने का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि अनुमति को केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि क्षेत्र में अन्य समुदाय रह रहे हैं। पीठ ने तमिलनाडु के अधिकारियों से कहा कि वे कानून के अनुसार काम करें, न कि राज्य भर के सभी मंदिरों में विशेष प्रार्थना और प्राण प्रतिष्ठा के लाइव प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने वाले किसी मौखिक आदेश पर।
जज संजीव खन्ना और जज दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वे कोई भी मौखिक आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया है। हालांकि, तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है और आज अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर पूजा, अर्चना, भजनों के सीधे प्रसारण पर कोई प्रतिबंध नहीं है। ये याचिका सिर्फ राजनीति से प्रेरित है।
पीठ ने तमिलनाडु के लिए वरिष्ठ वकील अमित आनंद तिवारी के बयान को रिकॉर्ड पर लिया कि मंदिरों में पूजा-अर्चना या अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के लाइव प्रसारण पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
इस बीच राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की लाइव स्ट्रीमिंग देखने के लिए कामाक्षी अम्मन मंदिर में लगाई गई एलईडी स्क्रीन को हटा दिया गया है। बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्राण प्रतिष्ठा का लाइव टेलीकास्ट देखने वाली थीं।
पीठ ने याचिका पर तमिलनाडु सरकार से 29 जनवरी तक जवाब भी मांगा है। बता दें कि विनोज नाम के व्यक्ति ने यह याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि तमिलनाडु सरकार ने प्राण प्रतिष्ठा के सजीव प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है। आरोप लगाया गया है कि सरकार ने इस अवसर पर सभी तरह की प्रार्थनाओं और अन्नदानम, भजन पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।