प्रदेश में प्रायोजित ढंग से लीक कराए जा रहे लेटर!
4पीएम की परिचर्चा में उठे सवाल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। स्वास्थ्य और पीडब्ल्यूडी के बाद अब नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में प्रतिनियुक्ति पर अधिकारियों की तैनाती में बड़ा खेल सामने आया है। अधिकारियों की मनमानी का आलम यह है कि बिना पद के ही राजीव त्यागी को महाप्रबंधक बना दिया गया। खुद औद्यौगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी ने इस तैनाती में हुई अनियमितता पर सवाल उठाया है। ऐसे में सवाल उठता हैं कि किसके इशारे पर यूपी के मंत्रियों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने की होड़ लगी? इस मुद्ïदे पर वरिष्ठï पत्रकार अजय शुक्ला, उमाशंकर दुबे, सुशील दुबे और अभिषेक कुमार के साथ एक लंबी परिचर्चा की।
सुशील दुबे ने कहा कि पिछले कोरोना काल में जो पत्र लीक हुआ था, वह बृजेश पाठक का था जो पहुंचने से पहले लीक हो गया। चिट्ïठी तो बाबू जी के हाथ ही भेजेंगे। गनर, चपरासी, बाबू ये सब माध्यम हैं चिट्ठियां लीक होने का मगर आजकल जमाना व्हाटसअप का भी है। अखबारों तक कैसे जाती है चिट्ठियां। नोएडा की मिट्ïटी में कुछ ऐसा है जो छू लेता है वो नौकर भी मालिक बन जाता है। बाबू बिल्डर्स बन जाता है। त्यागी जी बिना योग्यता के बन गए तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं।
अजय शुक्ला ने कहा किसी को भी यदि भ्रष्टïाचार से तकलीफ होती है तो यूपी के किसी भी विभाग में बगैर पैसा दिए काम करा सकता है। जितिन प्रसाद के पिता का उदाहरण दिया, कहा तब सिफारिश होती थी कि गलती हो गई, इसे क्षमा कर दीजिए। आज स्थिति क्या है, जिससे सिफारिश करवाने जाएंगे तो ईर्द-गिर्द बैठे लोग घेर लेंगे, कहेंगे किनारे आओ काम करा देंगे तो वहां तक बात ही नहीं पहुंचती। फाइलों के लिए दौडऩा आम बात है। ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अब परिस्थितियां बदल गईं। अब ये जो विवाद उठ रहे हैं, अभी लड़ाई लंबी चलेगी। पहले कभी गलत काम कराने के लिए पैसे देते थे, अब आज सही काम कराने के लिए पैसे देते है, फर्क बस इतना है।
उमाशंकर दुबे ने कहा, पत्र प्लान्ड-वेे में लीक होता है। पाठक जी का पत्र भी लीक हो गया था। बता दूं कि कैबिनेट मंत्रियों के साथ राज्यमंत्री की स्थिति वहीं होती है, जैसे एक संपादक के अधीन ब्यूरोचीफ की, रिपोर्टर की। अभी योगी आदित्यनाथ की एक छवि है, हठी प्रवृत्ति के हैं। 24 में अगर केंद्र में नहीं गए तो वे यूपी के मुख्यमंत्री ही रहेंगे, पूरे पांच साल पूरे करेंगे।