सीएम योगी ने जिसको बताया माफिया अफसरों ने उसी को दे दिया नौनिहालों का काम

  • बाल विकास पुष्टाहार विभाग की निदेशक के एक पत्र से सिंडिकेट और अफसरों की करतूतों से उठा पर्दा
  • गर्भवती महिलाओं के मुंह का निवाला छीनकर किया खरबों रुपए का घोटाला
  • काली कमाई से देश ही नहीं, विदेशों में संपत्तियां खरीदी गईं

संजय शर्मा
लखनऊ। जिस सिंडिकेट को मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ पुष्टïाहार माफिया करार दे चुके हैं। उन्हीं को उप्र के भ्रष्टï अधिकारियों ने फिर से जिम्मेदारी देकर न केवल सीएम को गुमराह किया बल्कि प्रदेश के सबसे बड़े घोटाले को भी अंजाम दिया। प्रदेश के लाखों नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं के मुंह का निवाला छीनकर अंजाम दिए गए इस खरबों रुपए के घोटाले की काली कमाई से देश ही नहीं, विदेशों में संपत्तियां खरीदी गई।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इसे अंजाम देने वाले सिंडिकेट को खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पुष्टाहार माफिया करार दे चुके हैं, लेकिन घोटाला होता रहा। इतना ही नहीं, अफसरों ने घोटालेबाज कंपनियों को बचाने में मुख्यमंत्री कार्यालय को भी गुमराह किया। अब बाल विकास पुष्टाहार विभाग की निदेशक के एक पत्र से सिंडिकेट और अफसरों की करतूतों से पर्दा उठ गया है।

प्रमुख सचिव की सख्ती पर उन्हें हटाया गया

हालांकि विभागीय अफसरों की मिलीभगत से कई कंपनियों ने तब तक अपनी बैंक गारंटी भी वापस ले ली। यह पता लगने पर प्रमुख सचिव वीना कुमारी मीना ने सख्ती करनी शुरू की तो अचानक उनको हटा दिया गया। कंपनियां भुगतान के लिए कोर्ट चली गई। हैरानी की बात यह है कि कंपनियों के बड़े वकीलों का मुकाबला करने के लिए विभाग सरकारी वकीलों के सहारे है। शासन के आदेश पर भी किसी वरिष्ठ वकील की सेवाएं नहीं ली गई । इससे सिंडिकेट की शासन सत्ता में गहरी पैठ का अंदाजा लगाया जा सकता है

अफसरों व नेताओं का ख्याल रखते हैं अजय और आदित्य

इस मामले में सियासी गलियारों और ब्यूरोक्रेसी में अजय और आदित्य नाम के लाइजनर चर्चा में हैं। सिंडिकेट ने उन्हें भुगतान करवाने का काम सौंपा है। शालीमार वन वल्र्ड में आदित्य का आलीशान फ्लैट अफसरों से डीलिंग का ठिकाना बन चुका है तो नोएडा का अजय नेताओं व अफसरों की सारी सुख सुविधाओं का ध्यान रखता है। अजय से सीबीआई और ईडी दिल्ली के शराब घोटाले में पूछताछ कर चुकी है और चीनी मिल बिक्री घोटाले में बार-बार तलब कर रही है। इस मामले में पूर्व राज्यसभा सांसद का भाई भी सीबीआई के रडार पर हैं।

लंदन, मारीशस, दुबई और दक्षिण अफ्रीका की संपत्तियों में खपाया घोटाले का पैसा

सूत्रों के अनुसार पुष्टाहार की काली कमाई से सिंडिकेट के सदस्यों ने विदेश में अरबों रुपए की संपत्तियों को खरीदा है, जिसमें लंदन, मारीशस, दुबई और दक्षिण अफ्रीका शामिल है। साथ ही जयपुर, लखनऊ, दिल्ली, नोएडा, गुडग़ांव समेत कई बड़े शहरों में होटल, फार्म हाउस, अपार्टमेंट बनाए है।

पोंटी ग्रुप भी शामिल

पुष्टाहार घोटाले के अहम किरदारों में शराब सिंडिकेट वाला पोंटी चड्डा ग्रुप भी शामिल है। यह चीनी मिल बिक्री घोटाले में भी शामिल है। सहारनपुर के खनन माफिया मोहम्मद इकबाल ने भी फर्जी कंपनियां बनाकर चीनी मिलें खरीदी थीं। इससे सिंडिकेट की ताकत और पहुंच का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। दरअसल बसपा सरकार में पुष्टाहार की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के पास फ्लोर मिल और चीनी मिल होने की शर्त रखी गई थी। जिसके बाद सिंडिकेट के सदस्यों ने सरकारी चीनी मिलों को औने-पौने दाम पर खरीदने के साथ पुष्टाहार की आपूर्ति का काम भी हथिया लिया। फिलहाल यह सिंडिकेट पंजाब, छत्तीसगढ और झारखंड में काम कर रहा है।

बसपा सरकार में हुई थी घोटाले की शुरुआत

दरअसल, इस घोटाले की शुरुआत बसपा सरकार में हुई थी, जिसकी पड़ताल सीबीआई भी कर रही है। सीबीआई बसपा सरकार में दो दर्जन सरकारी चीनी मिलों की बिक्री के मामले की पर्तें उधेड़ रही है, जिसके आरोपियों के तार और मिलें खरीदने का मकसद पुष्टाहार सिंडिकेट से जुड़ा है। वर्ष 2017 में भाजपा सरकार आने पर इस सिंडिकेट को काम मिलना बंद नहीं हुआ, नतीजतन घोटाला जारी रहा। तीन साल बाद काम नहीं मिलने पर कंपनियों ने अपना करीब 250 करोड़ रुपए बकाया मांगा तो। फाइलों पर दस्तखत करने पर अफसरों को जेल जाने का डर सताने लगा। कई जिलों के डीएम से जांच कराई गई तो पता चला कि तीन साल तक पुष्टाहार की सप्लाई करने का कंपनियों का दावा फर्जी है। कोरोना काल में जब सबकुछ बंद था, कंपनी पुष्टाहार बांटने का दावा कर उसका भुगतान मांग रही है। लिहाजा जांच के बाद कंपनियों पर उल्टा नियमों का पालन नहीं करने और फर्जी आपूर्ति दर्शाने का आरोप लगाकर 564 करोड़ की रिकवरी के नोटिस जारी कर दिए गए।

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