महाराष्ट्र और पूरा देश जानता है एनसीपी का संस्थापक कौन: शरद पवार

  • सुप्रिया सुले ने भी कहा- कहीं नहीं जाएगी एनसीपी
  • 6 अक्टूबर को चुनाव आयोग करेगा मामले में सुनवाई

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। महाराष्ट्र में एनसीपी के नाम और सिंबल को लेकर चाचा-भतीजे यानी कि शरद पवार और अजित पवार के बीच मची रार और लड़ा अब चुनाव आयोग के पाले में है। जहां 6 अक्टूबर को चुनाव आयोग सुनवाई करेगा। लेकिन उससे पहले दोनों ही दल अपने-अपने दावे कर रहे हैं। इस बीच एनसीपी शरद पवार गुट की वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने एनसीपी के नाम व चुनाव चिह्न को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बच्चा-बच्चा जानता है कि एनसीपी का संस्थापक और मुखिया कौन है।
पार्टी सिंबल और नाम पर बात करते हुए सुप्रिया सुले ने कहा कि शरद पवार के पार्टी और चुनाव चिह्न खोने का कोई सवाल ही नहीं है। एनसीपी सांसद ने जोर देकर कहा कि यह स्पष्ट है कि पार्टी अपने संस्थापक के साथ रहेगी। सुले ने कहा कि मेरा मानना है कि पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न जाने का कोई सवाल ही नहीं है। सुले ने साफ शब्दों में कहा कि पार्टी की स्थापना शरद पवार ने की थी और यह उन्हीं के पास रहना चाहिए, यह स्पष्ट है। वहीं इस पूरे मामले पर शरद पवार ने भी अपनी टिप्पणी की। शरद पवार ने पार्टी सिंबल और नाम पर बोलते हुए कहा कि आम आदमी क्या सोचता है यह महत्वपूर्ण है। कुछ लोगों ने एक अलग राजनीतिक रुख अपनाया है और मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता क्योंकि लोकतंत्र में यह उनका अधिकार है। लेकिन, महाराष्ट्र और देश के बाकी लोग जानते हैं कि कौन एनसीपी का संस्थापक है। मेरे लोग जो कहते हैं उसमें सच्चाई है। स्थिति हमारे अनुकूल है। इस दौरान पवार ने ये भी कहा कि जिन लोगों ने बीजेपी से हाथ मिलाया है, वे एनसीपी के नहीं हो सकते। इस बीच अजित पवार ने कहा कि वह चुनाव आयोग के अंतिम फैसले को स्वीकार करेंगे।

बढ़ सकती हैं अजित गुट की मुश्किलें

फिलहाल ये साफ है कि शरद पवार और अजित पवार के नेतृत्व में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दोनों गुट इस सप्ताह के अंत में चुनाव आयोग के सामने पेश होने वाले हैं। चुनाव आयोग 6 अक्टूबर को इस पूरे मामले पर सुनवाई करेगा। अजित पवार की शिवसेना के विभाजन को लेकर अजित पवार के बयानों के आधार पर शरद पवार का गुट चुनाव आयोग में अपना पक्ष रख सकता है। इससे अजित गुट की मुश्किलें बढऩे संभावना है।

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