Maharshtra Politics : राज ठाकरे का बड़ा सियासी प्लान, यूरोप में होगी उद्धव ठाकरे से मुलाकात! कहा- ‘मैं लौटकर…’
महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह कुछ अलग है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी MNS प्रमु़ख राज ठाकरे इन दिनों विदेश दौरे पर हैं,

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह कुछ अलग है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी MNS प्रमु़ख राज ठाकरे इन दिनों विदेश दौरे पर हैं, वहीं अब शिवसेना यानी उद्धव गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे भी यूरोप के लिए रवाना हो गए है। माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे 4 मई को भारत लौटेंगे, और इसी दौरान दोनों नेताओं की विदेश में संभावित मुलाकात को लेकर राजनीति गालियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। हालांकि एस मुलाकात को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है
दोनों ठाकरे नेताओं की विदेश यात्रा की टाइमिंग और अचानक हुए प्रस्थान ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या दोनों के बीच कोई रणनीतिक चर्चा होगी? क्या महाराष्ट्र में एक नई सियासी समीकरण की नींव रखी जा रही है? इन तमाम सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिल सकते हैं। विपक्षी पार्टियाँ भी इस घटनाक्रम पर नजरें टिकाए हुए हैं, जबकि समर्थकों में भी उत्सुकता बनी हुई है। अब देखना होगा कि 4 मई के बाद क्या नया राजनीतिक अध्याय सामने आता है।
राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को साफ शब्दों में हिदायत दी है कि वे 29 अप्रैल तक किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर कोई बयान न दें. उन्होंने कहा है, “मैं लौटकर खुद बोलूंगा.” इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि राज ठाकरे किसी बड़ी रणनीति की तैयारी में हैं. इस पूरे घटनाक्रम के बीच सबसे दिलचस्प बात यह है कि राज और उद्धव ठाकरे के फिर से एक साथ आने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं. बीते कुछ समय में दोनों पक्षों से कई सकारात्मक बयान सामने आए हैं, हालांकि राज ठाकरे ने अब तक अपने पत्ते पूरी तरह नहीं खोले हैं.
दादर में लगे पोस्टर
इस बीच दादर स्थित शिवसेना भवन के पास एक खास पोस्टर नजर आया. इस पोस्टर में उद्धव और राज ठाकरे को गले मिलते हुए दिखाया गया है और उस पर लिखा गया है कि ‘बटेंगे तो कटेंगे, छोड़कर ठाकरे बंधु साथ आएं.’ यह संदेश राजनीतिक गलियारों में
हलचल मचा रहा है और कार्यकर्ताओं में उम्मीदें जगा रहा है.
वहीं दूसरी ओर उसी जगह MNS ने एक और विवादास्पद पोस्टर लगाया है, जिसमें लिखा है कि ‘हिंदी बीजेपी के लिए भक्ति नहीं, मजबूरी है. अगर आधा देश महाराष्ट्र में आकर अपना पेट पाल रहा है, तो महाराष्ट्र को हिंदी नहीं, मराठी सीखने की जरूरत है.’
इस बयान से यह साफ है कि MNS अपनी मराठी अस्मिता की राजनीति पर अब भी अडिग है.
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की यह संभावित मुलाकात अगर होती है, तो महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है. दशकों से बिछड़े हुए ठाकरे बंधुओं का मिलन न सिर्फ कार्यकर्ताओं के लिए भावनात्मक होगा, बल्कि विपक्ष के लिए एक नई चुनौती भी बन सकता है.



