BMC चुनाव में महायुति की तकरार! BJP से नाराज शिंदे? क्या टूट जाएगी महायुति?

BMC चुनाव से पहले महायुति में अंदरूनी तकरार खुलकर सामने आ गई है... सीट बंटवारे को लेकर BJP और एकनाथ शिंदे गुट...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों मुंबई की बृहन्मुंबई महानगरपालिका भारत की सबसे अमीर और बड़ी नगर निगम है.. इसका सालाना बजट करीब 60,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होता है.. जो कई राज्यों के बजट से भी बड़ा है.. यहां सड़कें, पानी, स्कूल, अस्पताल, कचरा प्रबंधन जैसी बुनियादी सुविधाएं इसी निगम के जिम्मे हैं.. इसलिए बीएमसी चुनाव को मिनी विधानसभा चुनाव कहा जाता है.. लंबे इंतजार के बाद महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग ने 15 दिसंबर 2025 को घोषणा की कि बीएमसी सहित 29 नगर निगमों के चुनाव 15 जनवरी 2026 को होंगे.. वहीं मतों की गिनती 16 जनवरी को होगी..

आपको बता दें कि बीएमसी में कुल 227 वार्ड हैं.. पिछले चुनाव 2017 में शिवसेना ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं.. और सत्ता में रही.. लेकिन 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद राजनीति बदल गई.. एकनाथ शिंदे गुट ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई.. जबकि उद्धव ठाकरे गुट विपक्ष में चला गया.. अब 2026 के चुनाव में मुंबई की सत्ता पर कब्जे की बड़ी लड़ाई है.. सत्तारूढ़ महायुति (भाजपा, शिंदे शिवसेना और अजित पवार एनसीपी).. और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच सीधी टक्कर है..

जानकारी के अनुसार महायुति गठबंधन में बीएमसी चुनाव को लेकर शुरू में कुछ तनाव की खबरें आईं.. लेकिन अब बातचीत सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है.. सबसे बड़ा फैसला यह लिया गया कि मुंबई में अजित पवार की एनसीपी चुनाव नहीं लड़ेगी.. सिर्फ भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ही मैदान में उतरेंगी.. इससे गठबंधन के वोट बंटने का खतरा कम हो गया है..

जानकारी के मुताबिक शिंदे गुट ने शुरू में 125 सीटों की मांग की थी.. लेकिन अब बात 90 से 100 सीटों के आसपास चल रही है.. भाजपा खुद 150 से ज्यादा सीटें लड़ना चाहती है.. और गठबंधन का लक्ष्य कुल 150 से अधिक सीटें जीतना है.. भाजपा मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा कि दोनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे.. और 150 प्लस का लक्ष्य हासिल करेंगे.. वहीं दोनों दलों के बीच दिसंबर महीने में कई बैठकें हुईं.. पहली औपचारिक बैठक दादर स्थित भाजपा कार्यालय में हुई.. इसके बाद दूसरी दौर की चर्चा भी चली.. शिंदे गुट के कुछ नेता पहले नाराज दिखे.. क्योंकि भाजपा उन वार्डों पर भी दावा कर रही थी.. जहां शिंदे के मौजूदा पार्षद हैं.. शिंदे गुट का तर्क है कि मुंबई-ठाणे के मराठी बहुल इलाकों जैसे दादर, माहिम, वर्ली, चेंबूर में उनकी जमीनी पकड़ मजबूत है..

आपको बता दें कि भाजपा का कहना है कि पिछले चुनाव में कई सीटों पर वह दूसरे नंबर पर थी.. इसलिए इस बार मौका मिलना चाहिए.. साथ ही भाजपा की संगठन शक्ति और केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का फायदा भी गिनाया जा रहा है.. दिसंबर 2025 के मध्य तक बातचीत तेज हुई.. और शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड़ ने कहा कि सीट बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय हो गया है..

जिसको लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इन दिनों मुंबई के अलग-अलग इलाकों में शिवसेना शाखाओं का दौरा कर रहे हैं.. और कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे हैं.. और उन्होंने उम्मीदवारों के इंटरव्यू भी शुरू कर दिए हैं.. दूसरी तरफ उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भाजपा नेता गठबंधन को मजबूत बनाने पर जोर दे रहे हैं.. दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत रूप से अच्छे संबंध हैं.. इसलिए बड़ा विवाद होने की संभावना कम है.. वहीं खबरें हैं कि यह ‘फ्रेंडली टसल’ है और जल्द समझौता हो जाएगा..

आपको बता दें कि शुरुआती दौर में कुछ नाराजगी की खबरें आईं.. शिंदे गुट को लगा कि भाजपा ज्यादा सीटें हड़पना चाहती है.. शिंदे ने फडणवीस से मुलाकात कर अपनी बात रखी.. लेकिन अब स्थिति सामान्य है.. दोनों दल जानते हैं कि एकजुट रहकर ही उद्धव ठाकरे.. और उनके नए सहयोगी को हराया जा सकता है.. अगर गठबंधन टूटा तो वोट बंटेंगे.. और विपक्ष को फायदा होगा.. इसलिए दोनों पक्ष समझौते की ओर बढ़ रहे हैं..

विपक्ष में बड़ा बदलाव यह है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी).. और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना साथ आ गए हैं.. दो दशक बाद ठाकरे भाई एक मंच पर दिखे.. उद्धव को करीब 125 सीटें.. और एमएनएस को 90 सीटें देने की बात चल रही है.. इस गठबंधन की घोषणा नामांकन से पहले 22-23 दिसंबर तक हो सकती है..

आपको बता दें कि यह गठबंधन मराठी वोट बैंक को एकजुट करने की कोशिश है.. कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी (एनसीपी-एसपी) भी एमवीए का हिस्सा हैं.. लेकिन मुंबई में मुख्य लड़ाई शिवसेना के दोनों गुटों और भाजपा के बीच है.. शरद पवार गुट सभी निगमों में अकेले लड़ने की बात कह रहा है..

बीएमसी चुनाव महायुति के लिए बड़ी परीक्षा है.. 2024 विधानसभा चुनाव में महायुति ने शानदार जीत हासिल की थी.. वहीं अब मुंबई में अगर अच्छा प्रदर्शन नहीं हुआ तो गठबंधन पर सवाल उठेंगे.. शिंदे गुट के लिए यह अपनी ताकत साबित करने का मौका है.. क्योंकि मुंबई-ठाणे उनका गढ़ माना जाता है.. भाजपा भी यहां अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है.. वहीं अगर सीट बंटवारे में देरी हुई या समझौता नहीं हुआ तो कुछ सीटों पर बगावत हो सकती है.. लेकिन अभी दोनों दल एकजुटता दिखा रहे हैं.. विपक्ष का ठाकरे भाइयों का गठबंधन महायुति के लिए चुनौती है.. क्योंकि मराठी अस्मिता का मुद्दा फिर गरमा सकता है..

 

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