महुआ मोइत्रा को अपना बचाव करने का हक: दिल्ली हाईकोर्ट
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नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता महुआ मोइत्रा पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट पर चुनावी मैदान में हैं। चुनावी अभियान के दौरान लगातार वह अपने लोकसभा से निष्कासन पर बात कर रही हैं। ऐसे में उनके खिलाफ वकील जय अनंत देहाद्राई ने एक याचिका दाखिल की थी, जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा उन्हें अपना बचाव करने से नहीं रोका जा सकता।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि महुआ मोइत्रा को उनके एक मित्र द्वारा सार्वजनिक तौर पर लगाए गए आरोपों के खिलाफ अपना बचाव करने से नहीं रोका जा सकता।
पीठ ने वकील देहाद्राई की एक याचिका का निस्तारण करते हुए मौखिक टिप्पणी की। वकील ने लोकसभा से निष्कासित सदस्य महुआ को उनके खिलाफ अपमानजनक बयान देने से रोकने के लिए अंतरिम आदेश जारी करने का अनुरोध किया था। देहाद्राई ने मोइत्रा के खिलाफ धन लेकर सवाल पूछने के मामले में उनके खिलाफ कुछ कथित मानहानिकारक बयान देने के लिए दो करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए मुकदमा दायर किया है।
मोइत्रा को वादी के इन आरोपों के बाद आठ दिसंबर को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था कि उन्होंने संसद में प्रश्न पूछने के लिए व्यवसायी और हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली थी।
न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने सुनवाई के दौरान कहा कि यदि आपने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए तो उन्हें अपना बचाव करने का पूरा अधिकार है। केवल इस स्थिति को छोडक़र कि वह किसी उद्देश्यपूर्ण तरीके से झूठे बयान नहीं दे सकतीं। यदि दोनों पक्ष कहते हैं कि हम इस लड़ाई को सार्वजनिक क्षेत्र में नहीं रखेंगे तो यह एक अलग बात है। लेकिन यदि आप सार्वजनिक टिप्पणी कर रहे हैं, तो उन्हें भी अपना बचाव करने के लिए मौका मिलना चाहिए।
अदालत ने कहा, दोनों के बीच पिछले संबंधों की प्रकृति को देखते हुए, यह सोचना सामान्य है कि दूसरा व्यक्ति गलत था लेकिन पार्टियों ने सार्वजनिक चर्चा को बेहद निचले स्तर पर ला दिया है। किसी के खिलाफ असत्य बयान देने के लिए, हमें उसके खिलाफ निषेधाज्ञा पारित करनी होगी। मैं उनसे अच्छी समझ की अपील कर रहा हूं। दोनों पक्ष शिक्षित हैं।