कर्नाटक में सिद्धारमैया के शपथ समारोह में शामिल नहीं होंगी ममता बनर्जी
कोलकाता। कर्नाटक में रात बिताने के बाद नया मुख्यमंत्री होगा। कांग्रेस ने कर्नाटक के नये मुख्यमंत्री के सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में न केवल पार्टी के शीर्ष नेतृत्व, बल्कि अन्य समान विचारधारा वाले विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया था। शपथ समारोह में शामिल होने के न्योता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी भेजा गया है, लेकिन सीएम ममता बनर्जी खुद शपथ समारोह में शामिल नहीं होंगी। उनकी जगह टीएमसी सांसद काकोली घोष दस्तीदार शामिल होंगी।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा नेता बसवराज बोम्मई ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उनके इस्तीफे के पांच दिन बीत जाने के बाद भी नए मुख्यमंत्री ने शपथ नहीं ले पाए थे, लेकिन अब शनिवार को सिद्धारमैया मुख्यमंत्री के पद का शपथ लेंगे।
मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा के बाद एक-एक कर विभिन्न नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन वह इस इवेंट में नहीं जा पाएंगी। उनकी जगह तृणमूल सांसद काकोली घोष दस्तीदार लेंगी।
टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, कर्नाटक के मनोनीत मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके अन्य सहयोगियों ने व्यक्तिगत रूप से अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को शपथ समारोह में आमंत्रित किया है।
डेरेक ओ ब्रायन ने लिखा किउन्होंने अपनी शुभकामनाएं दीं और लोकसभा में तृणमूल के उपनेता डॉ। काकोली घोष दस्तीदार को समारोह में भाग लेने के लिए नामित किया है।
गुरुवार को कांग्रेस के अखिल भारतीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कर्नाटक के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के नामों की घोषणा की थी।
हालांकि सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने तृणमूल कांग्रेस की नेता और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आमंत्रित किया है। इसके अलावा, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और उस राज्य में कांग्रेस के सहयोगी डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन को भी आमंत्रित किया गया है।
तृणमूल सूत्रों ने भले ही शपथ ग्रहण समारोह का निमंत्रण मिलने की जानकारी दी है, लेकिन मुख्यमंत्री इस शपथ ग्रहण समारोह में नहीं जा पा रही हैं। उनकी जगह लोकसभा सांसद काकली घोष दस्तीदार कर्नाटक जाएंगी।
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से तृणमूल की कांग्रेस से दूरी बढ़ गई है। संसद के शीतकालीन सत्र से लेकर बजट सत्र तक दोनों पार्टियां भले ही एक ही मुद्दे पर केंद्र के खिलाफ लामबंद हो चुकी हैं, विरोध अलग-अलग दिखाया गया है।
तृणमूल ने कांग्रेस द्वारा बुलाई गई समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों की बैठकों से बार-बार परहेज किया है। हालांकि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सांसद पद को अस्वीकार किए जाने के बाद, तृणमूल कांग्रेस ने फैसले का विरोध करते हुए कांग्रेस का साथ दिया। हाल में ममता बनर्जी ने संकेत दिया था कि वह लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ देने को राजी है, लेकिन उन्हें भी बंगाल में समर्थन करना होगा। यह नहीं हो सकता है कि बंगाल में कांग्रेस उनके साथ लड़ेगी और वह राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का समर्थन करेंगी।