मनमोहन सिंह ने देश के करोड़ों लोगों को निकाला गरीबी के दलदल से बाहर
नई दिल्ली। 26 दिसंबर की रात भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया, उनके कई मजबूत फैसलों ने बार-बार ऐसे हिन्दुस्तान की तकदीर बदलने का काम किया है, जिससे दुनिया के सामने आज हर हिन्दुस्तानी को अपने को भारतीय कहने पर गर्व होता है.
आजाद भारत के इतिहास में 3 ही ऐसे प्रधानमंत्री हुए हैं जिनका आजादी से पहले आज के पाकिस्तान में हुआ, लेकिन इनमें मनमोहन सिंह इकलौते ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्हें हिंदुस्तान की तकदीर बदलने का मौका कई बार मिला है. वह देश में सबसे लंबे वक्त तक काम करने वाले कुछ प्रधानमंत्रियों में भी शुमार रहे हैं. आखिर कैसे उन्होंने अपने मजबूत फैसलों से इस देश को तरक्की के रास्ते पर लाए थे.
मनमोहन सिंह के आर्थिक उदारीकरण की नीतियों ने देश को गरीबी के जंजाल से मुक्त कराने का काम किया. आज उनके 1991 के ऐतिहासिक बजट को आए लगभग 33 साल का वक्त बीत चुका है. इन नीतियों की वजह से देश में 30 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर आने में मदद मिली है. प्राइवेट सेक्टर का विस्तार हुआ है, जिससे करोड़ों नई नौकरियां पैदा हुई हैं. वहीं भारत, जो कई मामलों में इंपोर्ट पर निर्भर था, आज दुनिया के सबसे बड़े सॉफ्टवेयर एक्सपोर्टर में से एक बन चुका है. आईटी सेक्टर के विस्तार ने इस देश की बड़ी आबादी को अमीर बनाया है.
इतना ही नहीं मनमोहन सिंह के कार्यकाल में नया कंपनी अधिनियम भी लाया गया. इस कानून ने देश के कॉरपोरेट्स की जिम्मेदारी तय की. कंपनियों के लिए सामाजिक उत्तरदायित्व लागू किया. इससे समाज के स्तर पर बड़े बदलाव देखने को मिले.
अगर मनमोहन सिंह के जीवन को देखा जाए, तो कई ऐसे मौके आए जब उन्होंने हिन्दुस्तान की तकदीर को बदलने वाले फैसले लिए. जब पीएम नरसिम्हा राव की सरकार में वह देश के वित्त मंत्री बने, तब उन्होंने 1991 का ऐतिहासिक बजट पेश किया. इस बजट ने देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की. उनकी बनाई नीतियों का ही नतीजा है कि आज भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन पाया है.