बहाल होगी संसद की सदस्यता, दोषसिद्धी पर रोक, अफजाल अंसारी को SC से बड़ी राहत

अफजाल अंसारी को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत दी और उनकी दोषसिद्धी पर रोक लगा दी है. अफजाल अंसारी बीएसपी के सांसद थे, जिनके दोषी पाए जाने के बाद संसद की सदस्यता गंवा दी थी. एमपी फंड से संबंधित उनके खिलाफ कुछ केस थे, जिसमें उन्हें चार साल जेल की सजा सुना गई थी. नियमों के मुताबिक, बाद में उनकी संसद की सदस्यता रद्द कर दी गई थी. अफजाल अंसारी माफिया मुख्तार अंसारी के भाई हैं.
बीएसपी के नेता अफजाल अंसारी की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सदस्यता बहाल कर दी जाएगी. वह मौजूदा सत्र में भी हिस्सा ले सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हालांकि लोकसभा सचिवालय की तरफ से फिलहाल कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है. सचिवालय की तरफ से उनकी सदस्यता बहाल किए जाने के बाद वह सत्र में हिस्सा ले सकेंगे. अगले साल होना वाला लोकसभा चुनाव भी वह सड़ सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पूर्व सांसद अंसारी की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि अदालत को मामले के हर पहलू को देखना चाहिए, क्योंकि अगर उनकी दोषसिद्धि को निलंबित नहीं किया गया तो उनका गाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र लोकसभा में प्रतिनिधित्वहीन हो जाएगा. अफजाल संसद की विभिन्न स्थायी समितियों के सदस्य थे, जब वे सांसद नहीं रहेंगे तो वहां वह योगदान नहीं दे पाएंगे.
अपनी याचिका में अफजाल अंसारी ने 2007 के गैंगस्टर एक्ट मामले में अपनी दोषसिद्धि को निलंबित करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की थी. अफजाल ने राहुल गांधी के मामले का हवाला देकर अपनी भी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की थी. गाजीपुर की विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने इस साल 29 अप्रैल को अफजाल अंसारी और उनके भाई मुख्तार अंसारी को 2007 के गैंगस्टर एक्ट मामले में दोषी ठहराया था. मई 2023 में अफजाल अंसारी की संसद की सदस्यता रद्द कर दी गई थी.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पांच बड़ी बात:

अफजाल की दोषसिद्धि पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई है.
हाईकोर्ट को 30 जून 2024 तक अफजाल के मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला देने कहा है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब गाजीपुर लोकसभा सीट पर उप चुनाव नहीं होगा.
एससी के फैसले के बाद अब एमपी लैड स्कीम के पैसे का इस्तेमाल किया जा सकेगा.
अफजाल अंसारी संसद की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं.
अफजाल अंसारी की सदस्यता बहाली पर वकील की दलील

 

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