‘एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा’

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कोई भी धार्मिक समुदाय संस्थान की स्थापना कर सकता हैै
  • 7 जजों की बेंच ने 4:3 के बहुमत से सुनाया फैसला
  • अल्पसंख्यक का दर्जा मिला पर मानदंड के साथ

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले में सुनवाई की। सात जजों की बेंच ने 4-3 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि एएमयू एक अल्पसंख्यक संस्थान हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी धार्मिक समुदाय संस्थान की स्थापना कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार है।
उधर इस फैसले के बाद मिलीजुली प्रतिक्रिया आई है। वहीं बहुमत के फैसले में एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने के लिए मानदंड निर्धारित किए गए हैं। इस निर्णय में यह स्पष्ट किया गया है कि एएमयू के अल्पसंख्यक संस्थान होने का निर्धारण वर्तमान मामले में बताए गए परीक्षणों और मानदंडों के आधार पर किया जाएगा। एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मामले से संबंधित दस्तावेज मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के समक्ष रखे जाएं ताकि 2006 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले की वैधता पर विचार करने के लिए एक नई पीठ का गठन किया जा सके। जनवरी 2006 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 1981 के उस कानून के प्रावधान को रद्द कर दिया था जिसके तहत अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ((एएमयू) को अल्पसंख्यक दर्जा दिया गया था।

अदालत को संस्थान की उत्पत्ति पर विचार करना होगा : सीजेआई

कुछ विश्वविद्यालय ऐसे थे जो शिक्षण कॉलेज थे और शिक्षण कॉलेजों को शिक्षण विश्वविद्यालयों में बदलने की प्रक्रिया एक शैक्षणिक संस्थान बनाने की प्रक्रिया है और इसलिए इसे इतने संकीर्ण रूप से नहीं देखा जा सकता है। यह नहीं कहा जा सकता कि सिर्फ इसलिए कि अधिनियम की प्रस्तावना ऐसा कहती है, इसलिए एक संस्थान कानून द्वारा बनाया गया है। मौलिक अधिकारों को वैधानिक भाषा के अधीन नहीं किया जा सकता है और औपचारिकता को वास्तविकता के लिए रास्ता देना चाहिए। अदालत को संस्थान की उत्पत्ति पर विचार करना होगा और अदालत को यह देखना होगा कि संस्थान की स्थापना के पीछे कौन था,यह देखना होगा कि जमीन के लिए किसे धन मिला और क्या अल्पसंख्यक समुदाय ने मदद की थी? चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने माना है कि एक अल्पसंख्यक संस्थान होने के लिए इसे केवल अल्पसंख्यक की ओर से स्थापित किया जाना चाहिए, न कि जरूरी है कि अल्पसंख्यक सदस्यों की तरफ से प्रशासित किया जाए। अल्पसंख्यक संस्थान धर्मनिरपेक्ष शिक्षा पर जोर दे सकते हैं और इसके लिए प्रशासन में अल्पसंख्यक सदस्यों की आवश्यकता नहीं है।

कोर्ट के फैसले का स्वागत : रशीद फिरंगी

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा, हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं जिसमें उसने 1967 के अपने फैसले को खारिज कर दिया है। तब फैसले में कहा गया था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। मुझे लगता है कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को तय करने में सुप्रीम कोर्ट का फैसला काफी मददगार साबित होगा। सभी ऐतिहासिक तथ्य हमारे सामने हैं और हम उन्हें तीन जजों की बेंच के सामने पेश करेंगे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जाता है तो फिर कौन सा संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान माना जाएगा और अनुच्छेद 30ए का क्या होगा?

तीन जजों की पीठ लेगी अंतिम निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर तीन जजों की नई बेंच बनेगी। यह नई बेंच ही तय करेगी एएमयू का दर्जा क्या होगा। बेंच अल्पसंख्यक संस्थानों के लेकर मानदंड भी तय करेगी। बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनके प्रशासन का अधिकार है। सात न्यायधीशों वाली संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, सूर्यकांत, जेबी पारदीवाला, दीपांकर दत्ता, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं।

एस अजीज बाशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामला खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने 4:3 से एस अज़ीज़ बाशा बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया मामले को खारिज कर दिया, जिसमें 1967 में कहा गया था कि चूंकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, इसलिए इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के मुद्दे पर रेगुलर बेंच द्वारा निर्णय लिया जाएगा।

भाजपा की विचारधारा ने मणिपुर को जलाया : राहुल

  • एनडीए व मोदी सरकार पर बरसे नेता प्रतिपक्ष
  • बोले- भाजपा दलित व अल्पसंख्यक विरोधी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी नं एनडीए सरकार व प्रधानमंत्री पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने झारखंड के सिमडेगा में एक रैली को संबोधित करते हुए लोगों से कहा कि मैं आपको मणिपुर के बारे में बताता हूं। नेता प्रतिपक्ष बोले भाजपा ने मणिपुर को जलाया और आज तक प्रधानमंत्री ने वहां का दौरा नहीं किया।
इसका मतलब है कि उन्होंने यह बात मान ली है कि मणिपुर जैसा कोई प्रदेश नहीं है। मणिपुर को जलाने का काम भाजपा की विचारधारा ने किया है। उन्होंने आगे कहा भाजपा दलित व अल्पसंख्यक विरोधी है। उन्होंने इससे पहले कहा कि सरकार उनकी छवि खराब कर रही है। उन्होंने कहा कि वह व्यवसायों के नहीं, बल्कि एकाधिकार के खिलाफ हैं।

मैं व्यवसाय विरोधी नहीं, एकाधिकार के खिलाफ हूं

उन्होंने अपने एक लेख का हवाला देते हुए यह दावा भी किया कि नियम-कायदे के अनुसार काम करने वाले कुछ कारोबारी समूहों को केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के कार्यक्रमों की तारीफ करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। दरअसल भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए राहुल गांधी की आलोचना की थी और उनसे किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले तथ्यों की जांच करने की सलाह दी थी। राहुल गांधी ने एक वीडियो जारी कर कहा, भाजपा के लोगों द्वारा मुझे व्यवसाय विरोधी बताने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन मैं व्यवसाय विरोधी नहीं हूं, बल्कि एकाधिकार के खिलाफ हूं। उनका कहना है कि वह एक, दो, तीन या पांच लोगों के उद्योग जगत में एकाधिकार स्थापित करने के खिलाफ हैं।

मैं नौकरियों के सृजन का समर्थक हूं

कांग्रेस नेता ने कहा मैंने अपने करियर की शुरुआत प्रबंधक सलाहकार के रूप में की। मैं कारोबार की सफलता के लिए जरूरी चीजों को समझता हूं। एक्स पर एक पोस्ट में कहा, मैं नौकरियों के सृजन का समर्थक हूं, व्यवसाय का समर्थक हूं, इनोवेशन का समर्थक हूं, प्रतिस्पर्धा का समर्थक हूं। मैं एकाधिकार विरोधी हूं। हमारी अर्थव्यवस्था तभी फूलेगी-फलेगी जब सभी व्यवसायों के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष स्थान होगा।

सरकार के बारे में सोशल मीडिया पर अच्छी बातें लिखने को किया जा रहा मजबूर

बाद में उन्होंने एक अन्य पोस्ट में दावा किया, मेरे लेख के बाद, नियम-कायदे से चलने वाले व्यवसायिक समूहों ने मुझे बताया कि एक वरिष्ठ मंत्री फोन कर रहे हैं और उन्हें प्रधानमंत्री मोदी और सरकार के कार्यक्रमों के बारे में सोशल मीडिया पर अच्छी बातें कहने के लिए मजबूर कर रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि इससे उनकी बात बिल्कुल सही साबित होती है। कांग्रेस नेता ने एक लेख में दावा किया था कि ईस्ट इंडिया कंपनी भले ही सैकड़ों साल पहले खत्म हो गई हो, लेकिन उसने जो डर पैदा किया था, वह आज फिर से दिखाई देने लगा है और एकाधिकारवादियों की एक नयी पीढ़ी ने उसकी जगह ले ली है।

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