नीतीश के तेवर से घबराई मोदी सेना, अचानक सीएम फेस घोषित, नीतीश ने रद्द की यात्रा

नीतीश कुमार के तेवर से मोदी-शाह की परेशानी और बढ़ गई है... और मोदी सेना में हड़कंप मच गया हैं... वहीं एक बार फिर से नीतीश कुमार ने अपनी यात्रा को रद्द कर दिया है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः बिहार की राजनीति से इस समय एक बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है….. कि नीतीश कुमार के तेवर बदल गए हैं…. और नीतीश कुमार अमित शाह के बयान से नाराज हो गए है…. बता दें कि पिछले दिनों अमित शाह ने जो बाबा साहेब को लेकर वयान दिया था…. उस बयावन पर नीतीश कुमार नाराज हो गए हैं…. जिससे गुजरात लॉबी पूरी तरह से हिल गई है…. खुद अमित शाह नीतीश कुमार को मनाने की कोशिश कर रहे हैं…. आपको बता दें कि नीतीश कुमार ने मोदी और शाह की परेशानी को बढ़ा दिया है…. और बिहार में नीतीश को मनाने के लिए बीजेपी के बड़े नेता लगे हुए हैं…. वहीं सियासी गलियारों महाराष्ट्र जीतने के बाद यह चर्चा होने लगी थी की बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी इस बार बिना सीएम फेस के चुनाव लड़ेगी…. जिसके बाद से बवाल मच गया था….

वहीं नीतीश की बेरूखी और सख्त तेवर के चलते बीजेपी ने इमरजेंसी मीटिंग कर नीतीश कुमार को सीएम का चेहरा घोषित कर दिया था…. और बीजेपी ने ऐलान किया कि नीतीश कुमार ही आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में सीएम का चेहरा होंगे…. वहीं अब एक बार सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर चल रही है…. कि अमित शाह के बयान को लेकर विपक्ष द्वारा नीतीश कुमार पर लगातार दबाव पड़ रहा था…. जिसके चलते नीतीश कुमार ने अपनी यात्रा को एक बार फिर से रद्द कर दिया है…. जिससे सियासी पारा और बढ़ गया है…. और गुजरात लॉबी की नींद उड़ गई है….

आपको बता दें कि नीतीश कुमार ने अपनी बिहार यात्रा रद्द तो नहीं की….. लेकिन हफ्ता भर टाल तो दिया ही है…. और अचानक ही नाम भी बदल डाला है… ये सब क्यों हुआ, इसके कई कारण लगते हैं…. जिसमें एक तो बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का दबाव भी माना जा रहा है….. बता दें कि दो हजार तेइस के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव…. और हाल के महाराष्ट्र चुनाव में महिलाओं की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका देखी जा रही है….. नीतीश कुमार का फोकस तो महिला वोटर पर बहुत पहले से रहा है…. लेकिन अब तेजस्वी यादव को भी अहमियत समझ में आने लगी है…. वहीं बिहार में लागू की गई शराबबंदी तो महिला वोट बैंक से जुड़ी सबसे बड़ी मिसाल है….. चुनावों में महिलाओं की भूमिका की तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी तारीफ कर चुके हैं…. मोदी ने एक बार महिलाओं को साइलेंट वोटर करार दिया था…. और बिहार में जातिगत गणना के बाद मोदी ने जो चार जातियां बताई थी….. उनमें एक तो महिला ही है…..

महिला वोट बैंक को साधने के लिए ही नीतीश कुमार ने पंद्रह दिसंबर से महिला संवाद यात्रा की घोषणा की थी….. लेकिन विवाद होने पर टाल दिया….. बिहार यात्रा पर तो वो निकल ही रहे हैं….. लेकिन उसे नया नाम मिला है….. तेइस दिसंबर से नीतीश कुमार प्रगति यात्रा पर जाने वाले हैं….. प्रगति यात्रा के दौरान वो विकास कार्यों की समीक्षा करेंगे…. और महिला संवाद यात्रा में भी करीब करीब यही होना था….

फिलहाल ये तो नहीं पता कि नीतीश कुमार की महिला संवाद यात्रा आगे भी होगी या नहीं….., लेकिन उसका कार्यक्रम बनेगा भी तो प्रगति यात्रा के बाद ही…. महिला संवाद यात्रा को टाले जाने में नीतीश कुमार के मौजूदा कट्टर विरोधी लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव का ही हाथ लगता है….. असल में, लालू यादव ने नीतीश कुमार की महिला संवाद यात्रा पर बड़ा ही अजीब कटाक्ष किया था…. और उसके बाद नीतीश कुमार के विधानसभा में उनके बयान को लेकर विरोधियों की तरफ से माहौल बनाया जाने लगा था….

आपको बता दें कि नीतीश कुमार की महिला संवाद यात्रा को लेकर आरजेडी नेता लालू यादव ने कह दिया था कि वो महिला संवाद यात्रा के बहाने ‘आंख सेंकने’ जा रहे हैं…. देसी लहजे में ये बड़ी ही छिछोरी हरकत मानी जाती है….. जिसे सड़क छाप लफंगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है….. वहीं जब पत्रकारों ने लालू यादव को नीतीश कुमार के बयान पर प्रतिक्रिया पूछी….. तो लालू यादव का कहना था….. ‘पहले आंख सेंकें न अपना… जा रहे है आंख सेंकने….. नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार विधानसभा चुनाव दो हजार पच्चीस में भी जीत तो एनडीए की ही होगी….. और लालू यादव ने उसी बात पर इस रूप में प्रतिक्रिया जताई थी…..

वहीं लालू यादव की बात के बाद नीतीश कुमार इसलिए भी बचाव की मुद्रा में आ गये…. क्योंकि विधानसभा में उनका एक बयान याद दिलाया जाने लगा….. नीतीश कुमार का वो बयान तभी का है…. जब वो महागठबंधन के मुख्यमंत्री हुआ करते थे….. तब तो तेजस्वी यादव से लेकर राबड़ी देवी तक ने नीतीश कुमार का जोरदार बचाव किया था….. लेकिन अब उनके एनडीए में चले जाने के चलते लालू यादव…. और तेजस्वी यादव हमलावर हो गये हैं….. हो सकता है नीतीश कुमार को लगा हो कि महिला संवाद यात्रा पर निकले तो और ज्यादा बवाल मचेगा….. लिहाजा मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम बदल दिया है….. प्रगति यात्रा में भी नीतीश कुमार चाहें तो जगह जगह महिलाओं से संवाद तो कर ही सकते हैं…..

वहीं लालू यादव की टिप्पणी के बाद तेजस्वी यादव की एक घोषणा भी नीतीश कुमार के बैकफुट पर जाने की वजह लगती है….. बिहार में विधानसभा के चुनाव तो अगले साल होने वाले हैं….. लेकिन तेजस्वी यादव ने सत्ता में आने की सूरत में करीब करीब वैसा ही वादा किया है…. जैसा दो हजार बीस के चुनाव में नौकरियों को लेकर किया था….. बता दें कि तेजस्वी यादव अच्छी तरह समझ चुके हैं कि नीतीश कुमार को कमजोर करने के लिए महिला वोट बैंक में सेंध लगानी होगी….. पिछले चुनाव में तेजस्वी यादव ने बिहार के युवाओं को दस लाख नौकरियां देने का वादा किया था…… और बाद में नीतीश कुमार के साथ सरकार में शामिल होने पर नौकरियां दी भी गई थीं…..

वहीं अब तेजस्वी यादव ने कहा है कि उनकी सरकार बनी तो वे बिहार में ‘माई-बहिन मान योजना’ लागू करेंगे….. माई-बहिन मान योजना के तहत तेजस्वी यादव ने महिलाओं को हर महीने पच्चीस सौ रुपये की सम्मान राशि देने का वादा किया है….. वहीं ऐसा लगता है नीतीश कुमार महिलाओं के लिए कोई नया ऑफर लाने की सोच रहे हैं….., और उसकी घोषणा के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हों….. वैसे नीतीश कुमार ने बिहार में महिला वोटर को ध्यान में रखकर कई स्कीम चलाई है….. और उसका फायदा भी मिला है….. मसलन, छात्राओं के लिए साइकिल, ड्रेस के लिए पैसे और अविवाहित लड़कियों के लिए प्रोत्साहन राशि सीधे उनके खाते में भेजते हैं….. पंचायत और निकाय चुनावों में महिलाओं को पचास फीसदी आरक्षण दिया….. सरकारी नौकरियों में पैंतीस फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की है…. और सबसे बड़ी बात, बिहार में शराबबंदी लागू किये जाने के पीछे भी महिला वोट बैंक ही है….. और तमाम विवादों के बावजूद अब तक शराबबंदी वापस न लिये जाने की वजह भी महिला वोट बैंक ही है……

दरअसल, अमित शाह ने एक मीडिया चैनल के इंटरव्यू में बिहार की राजनीति से जुड़ी कुछ सवालों का जवाब दिया था…. जिसके बाद बिहार की राजनीति गरमा गई थी….. अमित शाह ने पूछा गया था कि क्या बिहार में भी महाराष्ट्र मॉडल से बिहार विधानसभा चुनाव दो हजार पच्चीस लड़ा जाएगा…. इस बात पर अमित शाह बचते दिखे….. उनसे पूछा गया कि मुंबई में चुनाव परिणाम के बाद सीएम नहीं बन पाने से क्या एकनाथ शिंदे नाराज हैं…. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इसमें नाराजगी कि कोई बात नहीं है….. चुनाव प्रचार के दौरान ही कह दिया था मुख्यमंत्री बनाने का फैसला चुनाव बाद लिया जाएगा….. इसलिए उनके साथ कोई धोखा नहीं हुआ है….. जिसके बाद अमित शाह से सवाल किया गया कि मुंबई से पटना में क्या मैसेज जाएगा…. इस सवाल को टालते हुए अमित शाह ने कहा कि एनडीए में आप भले दरार लाने की कोशिश कर लें लेकिन दरार पड़ने वाली नहीं है…..

वहीं जब अमित शाह से पूछा गया कि क्या बीजेपी सीएम नीतीश के नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव दो हजार पच्चीस लड़ेगी तो उन्होंने इस सवाल से भी बचते हुए कहा कि, पार्टी के डिसिजन लेने के लिए या बताने के लिए ऐसे मंच नहीं होते है….. मैं पार्टी का डिसिप्लिन कार्यकर्ता हूं….. पार्टी पार्टिलियामेंट्री बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होगी…. और फैसला लिया जाएगा….. उसी तरह यह मुद्दा जेडीयू में भी विचार किया जाएगा…. दोनों पार्टयों के बीच बातचीत के बाद जो तय होगा उसे आपको बता दिया जाएगा…. अमित शाह के बातों से साफ जाहिर नहीं होता है…. कि एनडीए सीएम नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी या नहीं….

मालूम हो कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिले भारी बहुमत के बाद देवेंद्र फडणवीस की सीएम पद पर ताजपोशी हुई….. एकनाथ शिंदे जो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे वो अब वहां के डिप्टी सीएम हैं…… बता दें कि, बिहार और महाराष्ट्र में एक ही मॉडल चल रहा था…. महाराष्ट्र में कम विधायकों के बाद भी एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने हुए थे….. लेकिन दो हजार चौबीस में हुए विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला….. बीजेपी ने महाराष्ट्र का सीएम देवेंद्र फडणवीस को बनाया…. वहीं एकनाथ शिंदे और अजीत पवार डिप्टी सीएम बनाए गए….. महाराष्ट्र में बीजेपी पहले भी अधिक सीट जीतने के बावजूद सहयोग पार्टी को सीएम पद दिया था…. बिहार में भी बीजेपी के अधिक विधायक होने के बाद भी सीएम का पद नीतीश कुमार के पास हैं….

 

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