मुस्लिम से जुड़ा एक बड़ा नियम बदला, मोदी सरकार लाएगी बिल!
बीजेपी की सरकार बने हुए करीब दो महीने का समय हो गया है... लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी चुनाव प्रचार के दौरान बहुत रचनात्मक बातें करते हुए दिख रहे थे... और देश में कौमी एकता कै ज्ञान जनता को देते थे... देखिए खास रिपोर्ट...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः बीजेपी की सरकार बने हुए करीब दो महीने का समय हो गया है… लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी चुनाव प्रचार के दौरान बहुत रचनात्मक बातें करते हुए दिख रहे थे… और देश में कौमी एकता कै ज्ञान जनता को देते थे… और सबका साथ-सबका विकास और सबका विस्वास की बात करते थे… वहीं चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ा मोदी के लहजे में भी परिवर्तन दिखाई देने लगा… और जब चुनाव परिमाण घोषित हुए तभी से मोदी सदमें में चले गए… और जनता को नकारने का काम किया… इसका मेन कारण लोकसभा चुनाव में करारी हार रही… बता दें कि लगातार दो हजार चौदह और दो हजार उन्नीस में अकेले दम पर पूर्ण बहुमत पाने वाली भाजपा दो हजार चौबीस के चुनाव में दो सौ चालीस सीटों पर आ गई… या यूं कहें कि दो हजार चौबीस के लोकसभा चुनाव में मोदी की गारंटी, एक अकेला सब पर भारी… चार सौ पार सब धरासाही हो गया… और मोदी की जमकर फजीहत शुरू हो गई थी… और राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगीं कि संगठन मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटा देगा… संगठन किसी दूसरे नेता को प्रधानमंत्री बनाएगा… वहीं धीरे-धीरे इन सभी अटकलों पर विराम लग गया… और मोदी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर खिचड़ी की सरकार बना ली… और लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गए… वहीं तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी के मन में अपनी हार और जनता के द्वारा नकारें जाने का दुख आज भी है… जिसको देखते हुए मोदी विल्कुल शांत हो गए… और तीसरी बार कमान मिलने के बाद मोदी ने एक बार फिर जनता को दरकिनार करने का काम किया है…. और लोकसभा में पेश किए गए बजट में जनता के लिए कोई प्रावधान नहीं है… बता दें कि मोदी ने अपनी सत्ता में आम जनता को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है…
आपको बता दें कि कौमी एकता की बड़ी-बड़ी बात करने वाली बीजेपी एक बार फिर से धर्म की राजनीति करने लगी है… शुरू से ही धर्म की राजनीति करती आ रही बीजेपी की करारी हार के बाद भी व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया है… जनता ने मोदी को बैसाखी पर लाकर खड़ा कर दिया बावजूद इसके उनकी ध्रुवीकरण की राजनीति खत्म होने का नाम नहीं ले रही है… बता दें कि संसद में मोदी अब वक्फ बोर्ड संसोधन बिल पेश करने की तैयारी में है,,, वहीं इस बिल के सदन में पास होने के बाद वक्फ बोर्ड की शक्तियों मे कमी आ जाएगा.,… आपको बता दें कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करने का प्लान बना रही है… और जल्द ही वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन का बिल संसद में पेश किया जाएगा…. ऐसी उम्मीद है कि 5 अगस्त को ही सरकार इसे संसद में लाने जा रही है…. इस नए बिल में किसी जमीन को अपनी संपत्ति यानी वक्फ की संपत्ति बताने वाली पावर पर रोक लगेगी…. जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में वक्फ कानून से जुड़े चालीस संसोधन पर चर्चा के बाद इसे मंजूरी दे दी गई…. वहीं प्रस्तावित बिल में मौजूदा कानून से जुड़े कई क्लॉज हटाए जा सकते हैं…. तो आइये विस्तार समझते हैं कि वक्फ बोर्ड क्या है…. इसे कौन-कौन सी पावर मिली हुई है….
आपको बता दें कि वक्फ का मतलब होता है ‘अल्लाह के नाम’…. यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है…. वक्फ बोर्ड का एक सर्वेयर होता है…. वही तय करता है कि कौन सी संपत्ति वक्फ की है…. कौन सी नहीं…. इस निर्धारण के तीन आधार होते हैं…. अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी…. अगर कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन की लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है… या फिर सर्वे में जमीन का वक्फ की संपत्ति होना साबित हुआ…. वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज की जमीनों पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था…. जिससे इन जमीनों के बेजा इस्तेमाल को रोकने और गैरकानूनी तरीकों से बेचने पर रोक के लिए बनाया गया था…. बता दें कि वक्फ बोर्ड देशभर में जहां भी कब्रिस्तान की घेरेबंदी करवाता है…. उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति करार दे देता है…. इन मजारों और आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है…. चूंकि उन्नीस सौ पनचानबे का वक्फ एक्ट कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है…. तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं…. बल्कि जमीन के असली मालिक की होती है… कि वो बताए कि कैसे उसकी जमीन वक्फ की नहीं है….. आपको बता दें कि उन्नीस सौ पनचानबे का कानून यह जरूर कहता है कि किसी निजी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना दावा नहीं कर सकता…. लेकिन यह तय कैसे होगा कि संपत्ति निजी है…. वहीं अगर वक्फ बोर्ड को सिर्फ लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है… तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं करना है…. सारे कागज और सबूत उसे देने हैं जो अब तक दावेदार रहा है… कौन नहीं जानता है कि कई परिवारों के पास जमीन का पुख्ता कागज नहीं होता है…. वक्फ बोर्ड इसी का फायदा उठाता है क्योंकि उसे कब्जा जमाने के लिए कोई कागज नहीं देना है….
बता दें कि उन्नीस सौ चौव्वन में वक्फ बोर्ड का गठन हुआ….. हालांकि उन्नीस सौ पनचानबे के संशोधन से वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां मिलीं…. पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट उननीस सौ चौव्वन में संशोधन किया… और नए-नए प्रावधान जोड़कर वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दे दीं…. वक्फ एक्ट 1995 का सेक्शन 3(आर) के मुताबिक, अगर कोई संपत्ति, किसी भी उद्देश्य के लिए मुस्लिम कानून के मुताबिक पाक (पवित्र), मजहबी (धार्मिक) या (चेरिटेबल) परोपरकारी मान लिया जाए तो वह वक्फ की संपत्ति हो जाएगी…. वहीं वक्फ एक्ट 1995 का आर्टिकल 40 कहता है कि… यह जमीन किसकी है, यह वक्फ का सर्वेयर और वक्फ बोर्ड तय करेगा…. बाद में वर्ष 2013 में संशोधन पेश किए गए…. जिससे वक्फ को इससे संबंधित मामलों में असीमित…. और पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त हुई…. अगर आपकी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति बता दी गई तो आप उसके खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते…. आपको वक्फ बोर्ड से ही गुहार लगानी होगी…. वक्फ बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आया, तब भी आप कोर्ट नहीं जा सकते…. तब आप वक्फ ट्राइब्यूनल में जा सकते हैं…. इस ट्राइब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं…. उसमें गैर-मुस्लिम भी हो सकते हैं…. वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि ट्राइब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है…. देश में एक सेंट्रल वक्फ बोर्ड और 32 स्टेट बोर्ड हैं…. केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सेंट्रल वक्फ बोर्ड का पदेन अध्यक्ष होता है…. अब तक की सरकारों में वक्फ बोर्ड अनुदान दिया जाता रहा है…. मोदी सरकार में भी वक्फ को लेकर उदारता दिखाई गई…. सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने नियम बनाया कि अगर वक्फ की जमीन पर स्कूल, अस्पताल आदि बनते हैं… तो पूरा खर्च सरकार का होगा…. यह तब हुआ जब मुख्तार अब्बास नकवी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे….
वहीं केंद्र सरकार के वक्फ एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव पर राजनीतिक पार्टियों की प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी है…. जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि वक्फ एक्ट में संशोधन के लिए प्रस्तावित बिल का प्रारूप क्या है… ये देखना होगा…. बिहार में नीतीश कुमार ने वक्फ की संपत्ति के मैनेजमेंट के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं…. वक्फ की संपत्ति पर छात्रावास, शॉपिंग मॉल से लेकर यतीमखाना तक बनवाया गया है…. हमें उम्मीद है बिहार के वक्फ मॉडल पर केंद्र सरकार काम करेगी…. वहीं राजद प्रवक्ता मृतुंजय तिवारी ने कहा कि सरकार की निगाह कहीं और है, निशाना कहीं और…. किसी धर्म विशेष को टारगेट करना… विवादित मुद्दों को उठाना…. असली मुद्दों पर चर्चा न हो इसलिए केंद्र की मौजूदा सरकार ये तरीके अपनाती है…. जदयू और टीडीपी बीजेपी के सहयोगी दल हैं…. चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को बताना चाहिए की ये क्या हो रहा है…. देश अपने नियम और कानून से चलेगा, विपक्ष मजबूत है….
आपको बता दें कि हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ‘वक्फ एक्ट में ये संशोधन वक्फ संपत्तियों को छीनने के इरादे से किया जा रहा है…. वहीं यह संविधान में दिए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रहार है…. आरएसएस की शुरू से ही वक्फ संपत्तियों को छीनने की मंशा रही है….. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान कर दिया… और उन्होंने इसे इस्लामी कानून के तहत वक्फ का बना दिया… इसलिए जहां तक वक्फ कानून का सवाल है…. यह जरूरी है कि संपत्ति का उपयोग केवल उन धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए… जिनके लिए इसे हमारे पूर्वजों ने दान किया था…. और उन्होंने कहा कि यह कानून है कि एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ बन जाती है…. तो उसे न तो बेचा जा सकता है और न ही हस्तांतरित किया जा सकता है…. जहां तक संपत्तियों के प्रबंधन का सवाल है…. हमारे पास पहले से ही वक्फ अधिनियम उन्नीस सौ पनचानबे है…. और फिर दो हजार तेरह में कुछ संशोधन किए गए थे…. और वर्तमान में, हमें नहीं लगता कि इस वक्फ अधिनियम में किसी भी प्रकार के संशोधन की आवश्यकता है…. यदि सरकार को लगता है कि संशोधन की कोई जरूरत है…. तो पहले हितधारकों से सलाह-मशविरा करना चाहिए… और उनकी राय लेनी चाहिए…. सभी को यह ध्यान रखना चाहिए कि वक्फ संपत्तियों का लगभग साठ फीसदी से सत्तर फीसदी हिस्सा मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों के रूप में है….
वहीं वक्फ बोर्ड में संसोधन को लेकर सियासत तेज हो गई है… और मुस्लिम नेता, धर्मगुरू समेत तमाम लोग इसका विरोध कर रहें हैं… वहीं इस बिल को सदन में पेश करने को लेकर सरकार की मंशा का पता चलता है… कि लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार से मोदी कितना बौखलाएं हुए हैं… हमेशा अपने बयानों में कौमी एकता की बात करने वाले मोदी की सच्चाई एक-एक करके आम जनता के सामने आ रही है… वहीं अब देखना होगा की वक्फ बोर्ड संसोधन बिल को लेकर हो रहे विरोध के बीच मोदी सरकार अपने फैसले पर रोक लगाती है… या हमेशा की तरह तानाशाही पूर्वक बिल में संसोधन करती है… यह तो आने वाला वक्त तय करेगा….