सरकार की उदासीनता का पऱिणाम भुगत रही जनता, हड़ताल पर राशन विक्रेता

राजस्थान में राशन डीलरों का प्रदर्शन लगातार जारी है... बता दें कि राशन डीलरों ने पिछले दिनों सरकार के अपनी मांग रखी थी... और सरकार से अपनी मानदेय बढ़ाने समेत तमाम मांगे की थी...और सरकार को अपनी मांगों को पूरा करने के लिए समय दिया था... देखिए खास रिपोर्ट...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः राजस्थान में राशन डीलरों का प्रदर्शन लगातार जारी है… बता दें कि राशन डीलरों ने पिछले दिनों सरकार के अपनी मांग रखी थी… और सरकार से अपनी मानदेय बढ़ाने समेत तमाम मांगे की थी…और सरकार को अपनी मांगों को पूरा करने के लिए समय दिया था… वहीं समय पूरा हो जाने के बाद भी सरकार ने राशन डीलरों की मांगों पर कोई अमल नहीं किया… जिससे नाराज राशन डीलरों ने बीते एक अगस्त से प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है…. जिससे करीब लाखों लोगों का राशन वितरण प्रभावित हो रहा है…. बावजूद इसके भजनलाल सरकार के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है… वहीं सत्ता में आने के बाद से ही बीजेपी सरकार को जनता से कोई मतलब नहीं है… सरकार को सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने से मतलब है… और जनता के किसी मुद्दे से कोई मतलब नहीं है…. वहीं सरकार को सिर्फ कुछ लोगों से मतलब है… और उनका हित करना है… जिससे लगातार जनता की उपेक्षा हो रही है….

आपको बता दें कि प्रदेशभर के लगभग 27000 राशन डीलर्स बीते 1 अगस्त से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं…. जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है…. और राज्य सरकार का खाद्य विभाग तमाशबीन बनाकर नजारे देख रहा है…. लेकिन राशन विक्रेताओं की वर्षों से चली आ रही लंबित मांगों को मानने को तैयार नहीं है… जिसके कारण एक तरफ तो उपभोक्ता राशन सामग्री प्राप्त करने से वंचित हो रहा है…. वहीं राशन विक्रेता भी अपनी मांगें पूरी नहीं होने के कारण हड़ताल करने पर विवश हो रहे हैं…. गौरतलब है कि पिछले लंबे समय से प्रदेश भर के राशन विक्रेता मिनिमम इनकम गारंटी योजना के तहत निश्चित मासिक मानदेय सहित कई मुद्दों पर खाद्य विभाग सहित मुख्यमंत्री को ज्ञापन दे चुके….. लेकिन हर बार केवल आश्वासन पर राशन विक्रेता पुनः राशन वितरण करने को राजी हो जाते थे…. लेकिन किसी भी दल की सरकार द्वारा राशन विक्रेताओं की मांगे पूरी नहीं की गई….

बता दें कि राशन विक्रेताओं की सबसे बड़ी मजबूरी ये भी है कि राज्य सरकार के निर्देश पर खाद्य विभाग उनसे कई कार्य नि:शुल्क करवाता है….. जिसके लिए उपभोक्ता को ई:मित्र पर शुल्क देना पड़ता, लेकिन खाद्य विभाग आदेश जारी करके राशन विक्रेताओं से इस तरह के कार्य भी नि:शुल्क करवाता…. और दबाव बना कर समय सीमा भी निर्धारित की जाती है…. जिसके कारण राशन डीलर को वे कार्य भी मजबूरी में करने पड़ते हैं…. वहीं राशन विक्रेताओं की दूसरी सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि…. उन्हें सरकारी योजनाओं के तहत उपभोक्ताओं को सामग्री वितरण करने का कमीशन भी समय पर नहीं मिलता….. जिसके कारण कई डीलर्स की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय होने लगी है….. लेकिन राज्य सरकार राशन विक्रेताओं से बिना मजदूरी वाला हम्माल समझ कर कार्य करवाती है…. जिसके कारण राशन विक्रेताओं में रोष भी व्याप्त है…. वहीं अब राज्य सरकार के निर्देश पर खाद्य विभाग ने उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए ग्रामीण स्तर पर जीएसएस के माध्यम से राशन सामग्री वितरण की व्यवस्था प्रारंभ करवा दी है…. परंतु राशन विक्रेताओं को किसी भी प्रकार की राहत देने….. और उनकी मांगे मानने के लिए तैयार नहीं हैं…. इसका क्या तात्पर्य निकाला जाए….

आपको बता दें कि क्या राज्य सरकार राशन विक्रेताओं का हित नहीं चाहती… और उन्हें भूखे मरने को छोड़ रही है…. क्योंकि खाद्य विभाग के पास राशन सामग्री वितरण के विकल्प उपलब्ध है…. जानकारी के अनुसार जिस प्रकार ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए जीएसएस से वितरण व्यवस्था की जा रही है…. उसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में भी क्रय विक्रय सहकारी समितियों से वितरण की व्यवस्था करवाए जाने पर मंथन चल रहा है…. और यदि ऐसा होता है…. तो संभवत: राशन विक्रेताओं की मांगे पूरी नहीं की जाएंगी… और खाद्य विभाग तथा राज्य सरकार उनकी मांगों को अनदेखा कर देगा….

वहीं देखा जाए तो राज्य सरकार राशन विक्रेताओं से गुलामों की भांति काम करवा रही है…. जिन्हें किसी भी प्रकार का मेहनताना नहीं देना…. और योजनाओं के नाम पर कार्य करवाना ही उद्देश्य है… और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई भी जनप्रतिनिधि या विधायक या सांसद या मंत्री इन राशन विक्रेताओं के हक में आवाज नहीं उठा रहा है… जिसके कारण कई डीलर्स दयनीय आर्थिक स्थिति के कारण खून के आंसू रोने को मजबूर हैं… और मजबूरी के कारण कार्य भी नहीं छोड़ रहे….

 

 

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