फंस गए मोदी, कैसे बनेगी सरकार
- संघ की रणनीति पर टिकी सबकी निगाहें
- नीतीश और तेजस्वी की तस्वीरों ने मचाई सनसनी
- चंद्रबाबू नायडू के रुख से फंसा पेंच
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में जारी लोकतंत्र का महापर्व अब सम्पन्न हो चुका है। जनता ने अपना जनादेश सुना दिया है। इस बार का जनादेश जहां विपक्ष को उत्साहित कर रहा है, तो वहीं पिछले एक दशक से सत्ता पर बैठी भाजपा के लिए ये जनादेश एक बहुत बड़ा झटका है, एक सीख है और कहीं न कहीं उसके अहंकार व घमंड का परिणाम है। इस जनादेश से बेशक विपक्षी गठबंधन इंडिया को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुआ। लेकिन 400 पार की उम्मीदें पालकर चलने वाली सत्ताधारी भाजपा भी पूर्ण बहुमत तो दूर 250 सीटों तक के आंकड़े को तरस गई। ऐसे में ‘एक अकेला सब पर भारीÓ का दंभ भरने वाले पीएम मोदी के लिए अब इस बार एनडीए के पूर्ण बहुमत में आने के बावजूद सरकार बनाना और उसे चलाना मुश्किल हो गया है। या यूं कहें कि एक टेढ़ी खीर बन गई है।
2014 और 2019 में अकेले दम पर पूर्ण बहुमत पाने वाली भाजपा इस बार 240 सीटों पर ही लटक गई है। ऐसे में अब उसे सरकार बनाने के लिए अपने सहयोगियों के साथ की जरूरत है। जिनकी बैसाखी के सहारे ही भाजपा सत्ता के सिंघासन तक पहुंच सकेगी। हालांकि, इसके बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे या पांच साल बने रह पाएंगे ये कहना काफी मुश्किल लगता है। क्योंकि नरेंद्र मोदी ने कभी गठबंधन की सरकार नहीं चलाई है। इसलिए लोगों को कैसे साथ में लेकर चलना है ये मोदी साहेब को नहीं आता है। क्योंकि गठबंधन की सरकार में मोदी अपनी तानाशाही नहीं चला पाएंगे और न ही कोई उनकी तानाशाही को बर्दाश्त कर सकेगा। गठबंधन में सभी की सुनना पड़ती है और सभी को साथ लेकर चलना पड़ता है। यही कारण है कि एनडीए के बहुमत में आने के बावजूद ये तय नहीं हो पा रहा है कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे या फिर पिछले पांच साल से हाशिए पर चल रहा संघ किसी नए चेहरे पर दांव लगाता है। लेकिन इस सबसे पहले एक बात ये भी देखने वाली है कि अपने चिकने घड़े जैसे व्यक्तित्व के लिए मशहूर जेडीयू मुखिया नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के होने वाले नए-नवेले मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की भूमिका क्या होती है। क्योंकि भले ही बीजेपी के पास 240 सीटें हों लेकिन इस बार किंगमेकर की भूमिका में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ही हैं। ऐसे में अब उन्हें संतुष्ट कर पाना भाजपा व मोदी के लिए टेढ़ी खीर बनता जा रहा है।
नीतीश के बगल में बैठे तेजस्वी
नीतीश कुमार इस बार सबसे बड़े किंगमेकर की भूमिका में हैं। इसीलिए एनडीए और इंडिया दोनों ही नीतीश कुमार पर डोरे डाल रहे हैं। बेशक अभी नीतीश एनडीए में हैं लेकिन नीतीश की फितरत से भी हर कोई भली-भांति वाकिफ है। इस बीच आज दिल्ली में होने वाली एनडीए और इंडिया की बैठक के लिए दोनों गठबंधन के नेता दिल्ली पहुंच रहे हैं। इस बीच बिहार से हवाई जहाज के अंदर की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिन्होंने दिल्ली तक में हलचल मचा दी है और मोदी की बेचैनी को और भी बढ़ा दिया है। दरअसल, एनडीए की बैठक में शामिल होने के लिए नीतीश पटना से दिल्ली पहुंचे। इस दौरान वह जिस विमान से दिल्ली पहुंचे, उसी में राजद नेता तेजस्वी यादव भी सवार थे। इसी दौरान विमान से कुछ तस्वीरें सामने आईं जिनमें तेजस्वी पहले नीतीश के ठीक पीछे वाली सीट पर बैठे नजर आए। इसके थोड़ी देर बाद दोनों पास-पास बैठे भी नजर आए। दोनों के चेहरे पर मुस्कान दिखी। तेजस्वी पीछे से उठकर नीतीश की बगल वाली सीट पर जा बैठे। उन्होंने मुख्यमंत्री की तबीयत के बारे में पूछा, उनका हाल चाल लिया। नीतीश ने भी तेजस्वी की कुशलता जानी। इस तस्वीर के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की अटकलें लगने लगी हैं।
एनडीए में शुरू हो गई खींचतान
आज शाम दिल्ली में एनडीए की अहम बैठक होने वाली है। लेकिन इससे पहेल अभी से ही ऐसी खबरें आने लगी हैं कि सहयोगी दलों द्वारा भाजपा पर दबाव बनाना शुरू कर दिया गया है। इस सबके बीच नजरें टिकी हैं नीतीश कुमार पर, क्योंकि उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड एनडीए में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। जेडीयू ने 12 सीटें हासिल की हैं। ऐसे में जाहिर है कि नीतीश कुमार भाजपा से सरकार में बड़ी हिस्सेदारी की मांग करेंगे और अहम मंत्रिपद चाहेंगे। सूत्र बता रहे हैं कि जेडीयू ने 3 या उससे अधिक कैबिनेट मंत्रियों की मांग की है। साथ ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा भी नीतीश की शर्तों में शामिल है। सिर्फ नीतीश ही नहीं इसके अलावा शिवसेना के एकनाथ शिंदे भी 1 कैबिनेट और 2 एमओएस चाहते हैं। इसके अलावा चिराग पासवान 1 कैबिनेट और 1 राज्य मंत्री की मांग कर सकते हैं। जीतन राम माझी भी मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनना चाहते हैं।
नायडू की बड़ी मांगों ने बढ़ाई बेचैनी
एनडीए की सरकार और मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की चाबी इस समय अगर किसी के हाथ में है तो वो नीतीश कुमार और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ही हैं। ऐसे में जाहिर है कि ये दोनों ही भाजपा पर जमकर दबाव बनाएंगे या यूं कहें कि बनाने लगे हैं। मोदी और नायडू का रिश्ता कैसा है ये किसी से छिपा नहीं हैं। ये जग जाहिर है कि चंद्रबाबू नायडू नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं करते हैं। यही कारण है कि अभी से ही ये खबरें आने लगी हैं कि टीडीपी कई बड़ी-बड़ी डिमांड कर रही है। सबसे बड़ी डिमांड लोकसभा स्पीकर पद को लेकर रहने वाली है, जिस पर टीडीपी दावा ठोकने लगी है। कहा जा रहा है कि नायडू 5 से लेकर 6 या फिर इससे ज्यादा भी मंत्रालय मांग सकते हैं। इनके अलावा नायडू आंध्र प्रदेश के लिए स्पेशल स्टेटस भी मांग सकते हैं। यह उनकी काफी पुरानी मांग रही है।
फिर बढ़ेगा संघ का कद!
इस सबके बीच राष्ट्रीय स्वयेंसवक संघ पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं। जैसे-जैसे मोदी का कद बढ़ा है, वैसे-वैसे आरएसएस को किनारे किया जाने लगा। इस बार के चुनाव प्रचार के दौरान तो भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यहां तक कह दिया था कि उनको अब आरएसएस की जरूरत नहीं रह गई। नड्डा ने कहा था कि अब बीजेपी को आरएसएस के पीछे चलने की जरूरत नहीं है। आरएसएस की नाराजगी का ही नतीजा रहा कि इस बार पूरे चुनाव के दौरान आरएसएस उतनी सक्रियता से नहीं दिखाई दी। इसी का खामियाजा रहा कि भाजपा को उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी मुंह की खानी पड़ी। ऐसे में मोदी के तानाशाही रवैये से नाराज चल रहा संघ इस फैसले से काफी संतुष्ट नजर आता है। अब देखना ये भी होगा कि संघ प्रधानमंत्री पद के लिए किसका नाम आगे करता है। पीएम मोदी अब संघ से अलग होकर कैसे चल पाते हैं। क्योंकि इन नतीजों के बाद संघ की अहमियत फिर से बढऩा तय है।