मोदी अपनी कुर्सी बचाते रह गए NDA में बगावत ने सारे सपनों को कर दिया चकनाचूर!
4PMन्यूज़ नेटवर्क:
लोकसभा चुनाव के नतीजों ने इस बार सभी दलों को चौंका दिया है खासकर भाजपा के लिए इस बार के नतीजे बेहतर नहीं आए हैं। भले ही आकड़ों में भाजपा को ज्यादा सीटें मिली हों लेकिन सरकार बनाने के लिए भाजपा अकेले बहुमत से अभी भी बहुत दूर है। भाजपा जहां चुनावी परिणाम आने से पहले बड़े-बड़े दावे कर रही थी चार सौ पार का नारा दे रही थी वहीं नतीजों के आने के बाद भाजपा की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। अब आलम तो ये हो गया है कि इस बार भाजपा को सरकार बनाने के लिए नीतीश कुमार और चंद्र बाबू नायडू का सहारा लेना पड़ रहा है साथ ही यह भी डर सता रहा है कि कहीं इन दोनों नेताओं ने भाजपा का साथ छोड़ दिया तो बीच रास्ते में ही सत्ता से हाथ धोना पड़ सकता है।
अब भले ही सरकार बनाने के लिए भाजपा नीतीश कुमार और चंद्र बाबू नायडू का साथ ले रही हो लेकिन अभी हाल फिलहाल की अगर हम बात करें तो इन दोनों नेताओं ने ऐसी मांग रख दी है जिससे भाजपा के खेमे में टेंशन बढ़ गई है। दरअसल शपथ ग्रहण से पहले ही भाजपा के अंदर मंत्रिमंडल को लेकर खलल पड़ना शुरू हो गई है। मंत्रिमंडल विस्तार ने भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है। और इसे लेकर बैठक का सिलसला भी जारी है। ऐसे में कुछ रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया जा रहा है कि, नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने अपना डिमांड पत्र सौंप दिया है, जिनमें कई मंत्रालय मांगे गए हैं. अब मोदी 3.0 में किसके पास कौनसा मंत्रालय रहेगा और बीजेपी खुद अपने पास कौनसे मंत्रालय रखेगी, इसको लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. बता दें कि एनडीए में शामिल टीडीपी, जेडीयू, शिवसेना शिंदे गुट और एलजेपी जैसे दल शामिल हैं. इनकी तरफ से अलग-अलग मंत्रालयों की डिमांड की गई है. हालांकि NDA गठबंधन में शामिल भले ही इतने दल हों लेकिन NDA में शामिल इन सभी दलों में से सिर्फ दो दलों की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही हैहै , जिसमें से एक JDU और दूसरा TDP है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के साथ 12 सांसदों के हिसाब से 3 मंत्रालय मांगे हैं. नीतीश कुमार रेल, कृषि और वित्त मंत्रालय चाहते हैं. रेल मंत्रालय उनकी प्राथमिकता में है. वहीं, टीडीपी ने 3 कैबिनेट मंत्री और एक राज्य मंत्री के साथ-साथ लोकसभा अध्यक्ष का पद भी मांगा है. टीडीपी ने ग्रामीण विकास, आवास और शहरी मामले, बंदरगाह और शिपिंग, सड़क परिवहन और राजमार्ग और जल शक्ति मंत्रालय मांगे हैं. अब ऐसे में रिपोर्ट्स के मुताबिक विस्तारपूर्वक बात करें तो टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू नई सरकार में लोकसभा अध्यक्ष पद, 7-8 कैबिनेट और 1 राज्य मंत्री के पद पर भी नजर गड़ाए हुए है. इनमें सड़क परिवहन, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, आवास और शहरी मामले, कृषि, जल शक्ति, आईटी और संचार, शिक्षा और वित्त जैसे मंत्रायल शामिल हैं. वहीं, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू ने पर 3 कैबिनेट पदों की मांग की है. शिवसेना ने एनडीए 3.0 सरकार में 1 कैबिनेट और 2 राज्य मंत्री पद मांगे हैं. जेडीएस भी एक पद की उम्मीद कर रही है.
हालांकि अभी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ भी नहीं है कि अभी से ही NDA में बगावती सुर उठने लगे हैं। भाजपा द्वारा लाई गई योजनाओं पर NDA गठबंधन में शामिल नेता ही सवाल उठा रहे हैं। दरअसल अभी पीएम मोदी ने शपथ ली भी नहीं है और अभी से ही अग्निवीर योजना और यूसीसी को लेकर आवाज उठने लगी है। अब इसी बीच जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने सरकार गठन पर चर्चा के बीच अग्निवीर योजना और यूसीसी के साथ चार मुद्दों को उठाकर बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है. केसी त्यागी ने कहा कि यूसीसी पर नीतीश कुमार ने विधि आयोग को चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने कहा था कि हम इसके खिलाफ नहीं हैं लेकिन व्यापक विचार विमर्श की आवश्यकता है. हालांकि इससे पहले केसी त्यागी ने कहा कि बिहार में हम एक बड़ी ताकत के रूप में लंबे समय से कार्यरत हैं. नीतीश कुमार ने जिस तरीके से गुड गवर्नेंस के जरिए वहां समाज के बड़े तबके का समर्थन हासिल किया है उसकी बानगी कई बार जनता के सामने आ चुकी है. महिलाओं का सशक्तीकरण, महिलाओं का सभी विभागों में आरक्षण, जो वंचित समाज के लोग हैं उनकी व्यापक हिस्सेदारी, बिहार में भी हम लोगों ने एनडीए का जनाधार बढ़ाया है. एक बार फिर हम एनडीए के मजबूत हिस्सेदार के रूप में उभरकर आए हैं.
न सिर्फ NDA के नेता बल्कि विपक्षी गठबंधन भी अब इन योजनाओं को लेकर पीएम मोदी और भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है। ऐसे में अग्निवीर योजना को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी बात उठाई है उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने अग्निवीर योजना को लेकर भी बात की और कहा कि समाजवादी पार्टी इस सिस्टम को कभी स्वीकार नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा, “खुशी की बात है कि इस बार विपक्ष मजबूत होगा. इस बार विपक्ष की आवाज नहीं दबेगी. ऐसे कई महत्वपूर्ण सवाल हैं जो जनता के सामने प्रस्तुत किए गए. सबसे बड़ा सवाल अग्निवीर नौकरियां हैं. समाजवादी पार्टी कभी भी अग्निवीर व्यवस्था को स्वीकार नहीं कर सकती.” आपको बात दें कि भले ही NDA गठबंधन के नेता सरकार बनाने की बात कर रहे हो लेकिन अभी भी इंडिया गठबंधन को लेकर ये अटकलें लगाई जा थी कि अगर नीतीश कुमार और चंद्र बाबू नायडू पलटी मार देते हैं तो सरकार इंडिया गठबंधन की ही बनेगी।
लेकिन दिल्ली में इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने यह ऐलान कर दिया कि वे सरकार नहीं बनाएंगे। खरगे के इस एलान ने एनडीए के ही नहीं, बल्कि इंडिया गठबंधन के नेताओं को भी चौंका दिया। लोग यह समझ नहीं पा रहे थे कि सरकार बनाने की कोशिश करने की बजाय अचानक इस फ्रंट से अपना पैर वापस क्यों खींच लिया गया। वहीं अब ऐसी खबरें आईं कि इंडिया गठबंधन के नेताओं को सरकार बनाने से पीछे हटने की सलाह सोनिया गांधी ने दी। उन्होंने इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक में यह कहा कि सरकार बनाना उतना महत्त्वपूर्ण नहीं है, जितना कि जनता की नजर में उनकी विश्वसनीयता बरकरार रहना। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में जनता ने उनके ऊपर बहुत भरोसा जताया है। यह भरोसा टूटना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि जब इंडिया गठबंधन के पास पूरी संख्या नहीं है, ऐसे में यदि वे जल्दबाजी में सरकार बनाने की कोशिश करते हैं, तो जनता में गलत संदेश जाएगा।
साथ ही सोनिया गांधी ने कहा कि अगर वे किसी जल्दबाजी में सरकार बनाने की कोशिश करते हैं और वह कोशिश सफल नहीं होती है, तो इससे इंडिया गठबंधन के नेताओं की छवि सरकार बनाने को लालची लोगों की बन जाएगी। उन्होंने कहा कि आपसी मतभेद पर बन रही एनडीए सरकार में आपसी मतभेद उजागर होने के बाद इसका लाभ इंडिया गठबंधन के दलों-नेताओं को मिलेगा। उनके अनुसार इसका लाभ इसी साल के अंत में होने वाले हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में और इसके बाद दिल्ली-बिहार के विधानसभा चुनावों में दिखाई दे सकता है। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन को अपनी नैतिक बढ़त नहीं गंवानी चाहिए। इसके बाद गठबंधन के सभी नेताओं ने इस पर सहमति दे दी। हालांकि इससे एक बात तो साफ है कि इस बार के चुनाव में विपक्ष ने सूझ-बूझ दिखाई है इससे एक बात तो तय है कि भाजपा के लिए इस बार सरकार चलाना इतना आसान नहीं होगा और विपक्ष भाजपा को आसानी से घेर सकता है। हालांकि अभी सरकार बनाने पर संसय बना हुआ है लेकिन ऐसा मनाना है कि जल्द ही इसपर फैसला आ सकता है।