तियानजिन में मोदी-शी की मुलाकात, TIME मैगजीन ने ट्रंप की टैरिफ नीति को ठहराया जिम्मेदार
शंघाई सहयोग संगठन यानी SCO शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के तियानजिन शहर में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक ऐतिहासिक मुलाकात हुई।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: शंघाई सहयोग संगठन यानी SCO शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के तियानजिन शहर में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक ऐतिहासिक मुलाकात हुई।इस बहुप्रतीक्षित बैठक पर पूरी दुनिया की पैनी नजरें टिकीं थीं, क्योंकि यह मुलाकात केवल द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से ही नहीं, बल्कि वैश्विक कूटनीति के लिहाज से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
चीन के तियानजिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान ऐतिहासिक मुलाकात हुई. इस मुलाकात पर दुनिया पैनी नजर लगाए बैठी थी. वहीं, अमेरिकी TIME मैगजीन ने दोनों नेताओं के बीच मुलाकात को लेकर डोनाल्ड ट्रंप को घेरा है और उनकी जमकर आलोचना की है. उसका कहना है कि ट्रंप के टैरिफ ने पीएम मोदी को बीजिंग के नजदीक किया है.
उसने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर सम्मेलन में भाग लिया. यह तीनों वैश्विक नेताओं की एक दुर्लभ बैठक है जहां ट्रंप की व्यापक टैरिफ व्यवस्था पर जोरदार चर्चा होने की उम्मीद है. यह सात सालों में मोदी की भारत के दीर्घकालिक क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी की पहली यात्रा थी और ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देश अमेरिका से भारी टैरिफ का सामना कर रहे हैं. शिखर सम्मेलन से कुछ ही दिन पहले व्हाइट हाउस ने भारत की ओर से रूसी तेल की निरंतर खरीद के जवाब में उसके सामानों पर टैरिफ को दोगुना करके 50 फीसदी कर दिया.
टाइम मैगजीन ने कहा कि शिखर सम्मेलन में ट्रंप के टैरिफ पर सूक्ष्म कटाक्ष और शी की ओर से अपनी वैश्विक नेतृत्व साख को मजबूत करने के प्रयासों पर जोर दिया गया, जबकि वाशिंगटन अपने मित्रों और शत्रुओं दोनों के साथ ट्रेड वॉर में उलझा हुआ है. अमेरिका सालों से भारत के साथ बेहतर संबंधों की कोशिश कर रहा है, इस उम्मीद में कि नई दिल्ली चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति के खिलाफ एक मजबूत दीवार की तरह काम कर सकता है, लेकिन अब कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि ट्रंप के टैरिफ ने मोदी को बीजिंग के और करीब ला दिया है.
उसने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका के साथ संबंधों में आई दरार के लिए भारत की ओर रूसी तेल की खरीद को जिम्मेदार ठहराया है. ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने भारत की रूसी तेल खरीद को अवसरवादी और बेहद विनाशकारी बताया है. इस टैरिफ व्यवस्था ने भारत में रोष पैदा कर दिया है. 50 फीसदी टैरिफ लागू होने के बाद अपनी पहली टिप्पणी में भारत के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत न तो झुकेगा और न ही कभी कमजोर दिखाई देगा, हाल ही में छिड़े युद्ध के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता कराने के ट्रंप के दावों को मोदी की ओर से नकारना और अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित न करना, दोनों देशों के संबंधों में आई दरार के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार हो सकता है.
मैगजीन ने चीन की तारीफ करते हुए कहा कि चीन की ओर मोदी के कदम को अमेरिका के लिए एक रणनीतिक झटका माना जा सकता है, लेकिन इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य संभवतः एक वैश्विक नेता के रूप में शी जिनपिंग की स्थिति को मजबूत करना और वैश्विक मामलों में पश्चिमी प्रभाव का मुकाबला करना है. जहां अमेरिका अपने सहयोगियों और प्रतिद्वंद्वियों, दोनों के साथ व्यापार युद्ध में उलझा हुआ है, वहीं चीन तुर्की, मलेशिया और पाकिस्तान जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ आर्थिक सहयोग को बढ़ावा दे रहा है. पुतिन ने अपनी यात्रा से पहले कहा था कि यह शिखर सम्मेलन भाग लेने वाले देशों के बीच “एकजुटता को मज़बूत करेगा” और “एक अधिक न्यायसंगत बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को आकार देने में मदद करेगा.



