मोदी की गारंटी से बीजेपी को नुकसान, राहुल ने खेल कर दिया!

भारतीय जनता पार्टी को पता चल चुका है... कि मोदी के चेहरे पर एक भी चुनाव को नहीं जीता जा सकता है... मोदी और शाह ने मिलकर पिछले दस सालों में देश को खोखला करने का काम किया है... देखिए खास रिपोर्ट...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन के हौसले बुलंद है… लोकसभा चुनाव के बाद से इंडिया के नेता लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है… लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी हार के चलते मोदी बैकफुट पर आ गए है… और मोदी का बीजेपी पार्टी में पहले जैसा रूतबा नहीं रहा है… आपको बता दें कि अब भारतीय जनता पार्टी को पता चल चुका है… कि मोदी के चेहरे पर एक भी चुनाव को नहीं जीता जा सकता है… जिससे पार्टी में अंदरूनी कलह जारी है… इस बीच खबर निकलकर सामने आ रही है कि मोदी सितंबर में अपना इस्तीफा दे सकते हैं… मोदी अपने पिछले दो कार्यकालों में अपनी मनमानी से जो चाहते थे करते थे… तब विपक्ष बहुत कमजोर था… लेकिन लोकसभा चुनाव दो हजार चौबीस के बाद से मोदी का कद छोटा पड़ गया है… मोदी बैसाखी के सहारे पर आ गए है… मोदी प्रधानमंत्री पद पर आसीन है… लेकिन निर्णय कोई और ले रहा है… मोदी और शाह ने मिलकर पिछले दस सालों में देश को खोखला करने का काम किया है… और देश की जनता को किनारे कर दिया… जिसका बड़ा असर लोकसभा चुनाव में देखने को मिला और बीजेपी तीन सौ तीन से दो चालीस पर आ गई… जिसके बाद से मोदी की जमकर फजीहत शुरू हो गई… लेकिन अपने सहयोगियों की मदद से मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गए… लेकिन पहले जैसी सक्ति नहीं रह गई… आप इसका अंदाजा सदन में लाई गई दो बिलों से लगा सकते हैं… मोदी के द्वारा लाई गई दोनों बिल सदन में पास नहीं हुई… और उन दोनों बिलों को जेसीपी के पास भेजना पड़ा… वहीं विपक्ष के नेता और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोदी की सारी सच्चाई को जनता के सामने लाकर रख दिया… जिससे मोदी डर गए… और सदन में राहुल गांधी के भाषणों से दूरी बना ली… और कई बार राहुल का संबोधन बीच में छोड़कर चले गए… क्योंकि मोदी में विपक्ष का सामना करने का साहस नहीं बचा है… और जनता से किए हुए एक भी वादे मोदी सरकार ने नहीं पूरे किए है…

आपको बता दें कि हाल ही में चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने थे… जिससे महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू और कश्मीर शामिल थे… लेकिन चारों राज्यों में अपनी बड़ी हार को देखते हुए मोदी ने चुनाव आयोग से कहकर सिर्फ दो राज्यों में चुनाव कराने की घोषणा करवाई… जिससे एक साथ चार राज्यों मे चुनाव हारने से बेहतर है कि एक साथ दो राज्यों में चुनाव हारा जाए… और जनता के बीच में थोड़ी इज्जत बची रहे… वहीं दो राज्यों की चुनाव के घोषणा के बाद सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारी में जुट गए है… हरियाणा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने भी कमर कस ली है… और हरियाणा का चुनाव जीतना बीजेपी के लिए बहुत मुश्किल है… वहीं हरियाणा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है… और हरियाणा में जनसभाएं और रैलियां कर रही है… आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में जेजेपी से गठबंधन करने की अटकलों को खारिज कर दिया है… और आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है… जिससे भाजपा की मुश्किलें और बढ़ गई है… हरियाणा में कांग्रेस पार्टी का पलड़ा पहले से ही भारी है… और बीजेपी का सुफड़ा साफ होता दिख रहा है… जिससे बीजेपी में हलचल तेज हो गई है… मोदी की गारंटी का लोकसभा चुनाव से कोई असर नहीं दिख रहा है… एक अकेला सबपर भारी जुमला गायब हो चुका है… लोकसभा चुनाव के बाद से मोदी को पता चल चुका है कि जनता के बीच में मेरा प्रभाव खत्म हो चुका है… लगातार दो बार जनता को बरगलाने के बाद से मोदी की हालत खराब हो चुकी है… और धीरे-धीरे वो चुनाव से दूरी बना रहें है…

बता दें कि हरियाणा में एक सीट पर होने वाले राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को वॉकओवर दे दिया है….. वो भी तब, जब वह सीट कांग्रेस कोटे से ही रिक्त हुई थी…. हरियाणा के सियासी गलियारों में इसको लेकर सवाल उठने लगा है कि आखिर कांग्रेस ने दीपेंद्र हुड्डा की रिक्त सीट पर उम्मीदवार क्यों नहीं उतारे… आपको बता दें कि दो हजार उन्नीस में लोकसभा चुनाव हारने के बाद दीपेंद्र हुड्डा दो हजार बीस में राज्यसभा के जरिए सदन पहुंच गए…. लेकिन जबस दो हजार चौबीस में फिर से चुनाव की घोषणा हुई तो दीपेंद्र रोहतक सीट से मैदान में उतर गए….. दीपेंद्र को लोकसभा का टिकट देने पर भी सवाल उठा था….. लेकिन कांग्रेस के संगठन महासचिव ने यह कहकर बचाव किया कि पार्टी की कोशिश लोकसभा की ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने की है…. बता दें कि दीपेंद्र हुड्डा दो हजार चौबीस के लोकसभा चुनाव में रोहतक से बीजेपी के अरविंद शर्मा को करीब तीन लाख पैंतालीस हजार वोटों से हराया…. वहीं लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद दीपेंद्र ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था…. जिसके बाद इस सीट पर चुनाव की अधिसूचना जारी हुई…. बता दें कि राज्यसभा की रिक्त सीट पर नामांकन से पहले कांग्रेस के भूपिंदर सिंह हुड्डा ने विनेश फोगाट के नाम का दांव खेला था…. दरअसल, पेरिस ओलंपिक के फाइनल में वजन की वजह से महिला पहलवान विनेश फोगाट बाहर हो गईं….. जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए हुड्डा ने कहा था कि मेरी सरकार होती तो मैं विनेश को राज्यसभा भेजता…. आपको बता दें कि भूपिंदर हु्ड्डा के इस प्रस्ताव का जननायक जनता पार्टी के दु्ष्यंत चौटाला ने भी समर्थन किया था…. हालांकि, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इसे घटिया पॉलिटिक्स करार दिया था…. सैनी का कहना था कि हुड्डा खेल में राजनीति घुसेड़ रहे हैं….

वहीं राज्यसभा की रिक्त सीट पर बीजेपी ने कद्दावर नेता बंसीलाल की बहू किरण चौधरी को उम्मीदवार बनाया है….. किरण कांग्रेस से इस्तीफा देकर हाल ही में बीजेपी में शामिल हुई थीं…. किरण भिवानी-महेंद्रगढ़ की तोसम सीट से विधायक भी थीं…. बता दें कि बंसीलाल एक वक्त में इंदिरा गांधी के करीबी माने जाते थे…. और वे तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे थे…. इसके अलावा बंसीलाल केंद्र में रक्षा और रेल मंत्री भी रहे थे…. किरण चौधरी हरियाणा की हुड्डा सरकार में मंत्री रह चुकी हैं…. और उनकी बेटी श्रुति ने दो हजार नौ में हरियाणा के भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से जीत हासिल की थी…. वहीं एक ही नामांकन दाखिल होने की स्थिति में अब किरण का राज्यसभा जाना तय माना जा रहा है…. बता दें कि किरण दो हजार छब्बीस तक इस सीट से सांसद रहेंगी…. वहीं जेजेपी के विधायक दुष्यंत चौटाला ने राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवार नहीं उतारने को लेकर सवाल उठाया है….. चौटाला का कहना है कि बीजेपी से सांठगांठ की वजह से हुड्डा ने उम्मीदवार नहीं उतारने दिया है….. हालांकि, कांग्रेस की दलील बिल्कुल इसके उलट है…. हाल ही में सोनीपत में कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भूपिंदर हुड्डा ने राज्यसभा में उम्मीदवार नहीं उतारने को लेकर जवाब दिया था…. हुड्डा का कहना था कि हमारे पास बहुमत नहीं है… और अगर हम उम्मीदवार उतारते हैं तो हरियाणा में हॉर्स ट्रेडिंग का खेल शुरू होगा…. आपको बता दें कि हरियाणा विधानसभा में कुल नब्बे सीट है…. जिसमें से ग्यारह सीट अभी रिक्त है…. कांग्रेस के पास इकतीस और बीजेपी के पास चौव्वालीस विधायकों का समर्थन है… वहीं जेजेपी के पास अब सिर्फ तीन विधायक बचे हैं….. इंडियन नेशनल लोक दल के पास भी एक विधायक हैं…. राज्यसभा की सीट जीतने के लिए अभी इकतालीस विधायकों की जरूरत होगी…. एनडीए के पास चौव्वालीस विधायक है… तो उसे जीत में कोई दिक्कत नहीं होगी…. इतना ही नहीं, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली है…. और इस सिलसिले को पार्टी विधानसभा में भी बरकरार रखने की कोशिश में है…. राज्यसभा में अगर उसे हार मिलती तो मनोवैज्ञानिक तौर पर पार्टी पर असर पड़ता… उम्मीदवार न उतारने की यह भी एक वजह है….

बता दें कि दो हजार उन्नीस में हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इकतीस और बीजेपी को चालीस सीटों पर जीत मिली थी…. राज्य में विधानसभा की कुल नब्बे सीटें हैं…. जहां सरकार बनाने के लिए कम से कम पैंतालीस सीटों पर जीतना जरूरी है…. बीजेपी ने दस विधायक वाली जेजेपी के साथ समझौता कर लिया…. हालांकि, कांग्रेस चुनाव बाद भी यहां पूरी तरह सक्रिय रही…. और दो हजार चौबीस के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हरियाणा की दस में से पांच सीटों पर जीत मिली…. कांग्रेस और आप गठबंधन को राज्य की छियालीस सीटों पर बढ़त मिली…. जबकि बीजेपी को चौव्वालीस सीटों पर बढ़त मिली…. इसी चुनाव परिणाम से हरियाणा में कांग्रेस का जोश हाई है… जिसके चलते कांग्रेस पूरी तैयारी में जुटी हुई है… और इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हरियाणा में बड़ी हार तय है… आपको बता दें कि देश की जनता के साथ-साथ हरियाणा की जनता भी मोदी और बीजेपी के जुमलों से भली भांति परिचित हो चुकी है… जिसके चलते मोदी सरकार विपक्ष का सामना नहीं कर पा रहें हैं… और हमेशा विपक्ष के सवालों से दूरी बना कर रखते हैं… लोकसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद से मोदी सदमें हैं… और अब पहले जैसा बड़ा-बड़ा जुमला नहीं छोड़ रहें है… देश की जनता महंगाई बेरोजगारी से परेशान है… लेकिन मोदी सरकार का ध्यान इन सब मसलों पर नहीं है… जिससे जनता ने देश से बीजेपी के सफाया का मन बना लिया है… जिससे मोदी सहित बीजेपी में हलचल जारी है…

 

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